पंजाब ने हमें सिर्फ़ सुरवीर ही नहीं दिए बल्कि कई ऐसे कलाकार भी दिए जिनकी कला को आज भी सलाम किया जाता है। इन्हीं कलाकारों में से एक थे सुरिंदर शिंदा, शिंदा पंजाबी म्यूजिक इंडस्ट्री के बहुत मशहूर गायक थे। उन्होंने कई हिट गानों को अपनी आवाज़ दी। इनमें ‘पुत्त जट्टा दे’, ‘जट्टा जियोना मोरे’, ‘कहर सिंह दी मौत’ जैसे गाने शामिल हैं। वो ‘ऊंचा दर बेब नानक दा’ और ‘पुत्त जट्टा दे’ जैसी पंजाबी फिल्मों में बतौर एक्टर भी नज़र आए। इतना ही नहीं सुरिंदर शिंदा ने अपने अनुभव, कला और हुनर से कई नए कलाकारों को दिशा दी और मशहूर पंजाबी गायक कुलदीप मानक के सहयोगी बने और उन्होंने ही दिवंगत अमर सिंह चमकीला को संगीत में बड़ा नाम बनाने में मदद की थी।
और पढ़ें: अमर सिंह चमकीला की मौत के बाद उनकी समाधि को लेकर मचा था हंगामा, पहली पत्नी गुरमेल ने बताया किस्सा
शिंदा ने पंजाबी म्यूजिक इंडस्ट्री पर अपनी छाप छोड़ी
शिंदा का असली नाम सुरिंदर पाल धम्मी था। उनके बेटे मनिंदर शिंदा हैं। सुरिंदर सिंह का जन्म 20 मई 1954 को जालंधर, पंजाब में हुआ था। उन्होंने अपनी दिलकश और दमदार आवाज़ से पंजाबी संगीत जगत पर अपनी अमिट छाप छोड़ी। उन्होंने अनगिनत गानों में जान फूंकी और अपनी अनूठी शैली और मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्रस्तुति से दर्शकों का दिल जीता। उस दौर में सुरिंदर शिंदा का नाम पंजाब संगीत जगत में मशहूर था।
चामकीला के बने गुरु
एक दिन सुरिंदर शिंदा लुधियाना के एक छोटे से गांव में अपनी परफॉर्मेंस देने पहुंचे। वहां एक लड़का उनकी आवाज सुनकर इतना दीवाना हो गया कि बिना कुछ सोचे-समझे उसने अपनी साइकिल निकाली और अपने दोस्त कुलदीप पारस को पीछे बैठाकर गायक का पीछा करने लगा। और ये लड़का कोई और नहीं बल्कि अमर सिंह चमकीला था। मुलाकात के दौरान अमर सिंह चमकीला ने उनसे कहा कि वो भी उनकी तरह सिंगर बनना चाहता है। उन्होंने मौके पर ही अपनी गायकी का नमूना पेश किया। सुरिंदर शिंदा उनकी आवाज से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने 18 साल के अमर सिंह चमकीला को काम पर रख लिया। अमर सिंह सुरिंदर को अपना गुरु मानने लगे और उनके साथ स्टेज शो करने जाने लगे।
अमर सिंह चमकीला गाने लिखते और धुनें बनाते थे और सुरिंदर शिंदा उन गीतों को स्टेज पर गाते थे। कुछ मौकों पर सुरिंदर शिंदा ने अमर सिंह चमकीला को अपने साथ गाने का मौका भी दिया। स्टेज शो करते हुए उन्हें के. दीप, मोहम्मद सादिक जैसे मशहूर पंजाबी लोक गायकों के साथ परफॉर्म करने का भी मौका मिला। हालांकि, 80 के दशक की शुरुआत में सुरिंदर शिंदा और उनके ग्रुप की मुख्य गायिका सुरिंदर सोनिया के बीच अनबन हो गई थी। इसके बाद अमर सिंह चमकीला ने कुछ समय बाद अपनी खुद की टीम बनाई और अपना नाम बनाया।
शिंदा ने संगीत जगत में भी खूब नाम कमाया और दुनिया के सामने अपना हुनर पेश करने के बाद पिछले साल जुलाई में 64 साल की उम्र में लुधियाना के डीएमसीएच अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली।
और पढ़ें: हत्या के 36 साल बाद बायोपिक के जरिए ‘अमर’ हुए चमकीला, जानें मौत के पीछे की असली वजह