Bollywood actor Arjun Kapoor – नेपोटिज्म के जीते जागते फ्लॉप उदाहरण अर्जुन कपूर आज किसी पहचान के मोहताज नहीं है…अपने करियर में उन्होंने एक से बढ़कर एक फ्लॉप फिल्में दी है…जिनमें से कई फिल्में महाफ्लॉप भी रही हैं…पर्दे पर जीरो एक्सप्रेशन के साथ एक्टिंग करने वाले अर्जुन कपूर मौजूदा समय में एक गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं, जिसका नाम है हाशिमोटो. हद से ज्यादा थकान, वजन बढ़ने और अन्य परेशानियों की वजह से जब अर्जुन कपूर डॉक्टर के पास गए तो उन्हें इस बीमारी के बारे में पता चला.
यह बीमारी उनकी मेंटल हेल्थ को भी बुरी तरह प्रभावित कर रही है. उन्होंने यह भी बताया कि उनकी मां को भी यह बीमारी थी और बहन को भी यही बीमारी है. आपको बता दें कि हाशिमोटो एक ऐसा नाम है, जिसके बारे में अधिकतर लोग नहीं जानते हैं. जब से एक्टर ने इस बीमारी का नाम बताया है, तब से तमाम लोग इस डिजीज के बारे में जानना चाह रहे हैं. मायोक्लीनिक की रिपोर्ट के मुताबिक हाशिमोटो डिजीज एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जो थायरॉयड ग्लैंड को प्रभावित करती है.
हाशिमोटो डिजीज (Hashimoto’s Disease) कौन सी बीमारी हैं
हाशिमोटो डिजीज (Hashimoto’s Disease), जिसे हाशिमोटो थायरॉइडाइटिस भी कहा जाता है, एक ऑटोइम्यून बीमारी है जो थायरॉइड ग्रंथि को प्रभावित करती है. इसमें शरीर का इम्यून सिस्टम अपनी ही थायरॉइड ग्रंथि पर हमला करता है, जिससे ग्रंथि की कार्यक्षमता में कमी आती है. थायरॉइड ग्रंथि शरीर के मेटाबोलिज़्म को नियंत्रित करने वाले हार्मोन (थायरॉइड हार्मोन) का उत्पादन करती है. हाशिमोटो डिजीज के कारण थायरॉइड का आकार बढ़ सकता है (जिसे गोइटर भी कहा जाता है) और यह पर्याप्त हार्मोन उत्पादन नहीं कर पाती, जिससे हाइपोथायरॉयडिज़्म (Hypothyroidism) का विकास होता है.
क्या होते हैं हाशिमोटो डिजीज के लक्षण?
- थकान और ऊर्जा की कमी
- वजन बढ़ना
- ठंडे स्थानों में अधिक सर्दी लगना
- त्वचा का सूखा होना
- बालों का गिरना
- कब्ज़ (constipation)
- मांसपेशियों में दर्द या ऐंठन
- अवसाद (depression) या मानसिक स्थिति में बदलाव
- चेहरे का फूला हुआ दिखना
- मासिक धर्म में असामान्यता (महिलाओं में)
हाशिमोटो डिजीज का कारण
हाशिमोटो डिजीज के कारण स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन यह जीन और पर्यावरणीय कारकों के संयोजन से उत्पन्न हो सकता है. निम्नलिखित कारक इस बीमारी के जोखिम को बढ़ा सकते हैं:
- पारिवारिक इतिहास (अगर किसी परिवार के सदस्य को थायरॉइड संबंधी समस्या हो)
- उम्र (यह बीमारी महिलाओं में अधिक होती है, विशेष रूप से 30 से 50 वर्ष के बीच)
- उच्च आयु
- तनाव
- अत्यधिक आयोडीन का सेवन
हाशिमोटो डिजीज का निदान रक्त परीक्षण द्वारा किया जाता है, जिसमें TSH (Thyroid Stimulating Hormone) और T4 जैसे थायरॉइड हार्मोन का स्तर देखा जाता है. साथ ही, एंटी-थायरॉयड एंटीबॉडी (Anti-thyroid antibodies) का परीक्षण भी किया जा सकता है, जो यह संकेत देते हैं कि शरीर का इम्यून सिस्टम थायरॉइड पर हमला कर रहा है.
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क्या है हाशिमोटो डिजीज का इलाज?
हाशिमोटो डिजीज का सबसे बढ़िया ट्रीटमेंट थायरॉयड हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थैरेपी है. इसमें डॉक्टर मरीज को सिंथेटिक थायरॉयड हॉर्मोन देते हैं. यह हॉर्मोन शरीर में थायरॉयड हॉर्मोन की कमी को पूरा करता है, जिससे हाइपोथायरायडिज्म को कंट्रोल किया जा सकता है. इस इलाज से थायरॉयड की कार्यप्रणाली सामान्य हो जाती है और शरीर के बाकी काम ठीक से चलते हैं. हॉर्मोन की डोज को समय-समय पर जांच कर सही मात्रा में निर्धारित किया जाता है, ताकि मरीज को सही संतुलन मिल सके. इसके अलावा किसी भी गंभीर जटिलताओं से बचने के लिए डॉक्टर की निगरानी में इलाज किया जाता है. हालांकि हाशिमोटो डिजीज को इलाज के लिए पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता है, लेकिन इसे कंट्रोल करके बिना परेशानी के जिंदगी जी सकते हैं.