विक्टर बनर्जी (Victor Banerjee) भारतीय सिनेमा (Bollywood) के उन चुनिंदा अभिनेताओं में से एक हैं जिन्होंने न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई है। आज विक्टर बनर्जी का जन्मदिन (Happy Birthday Victor Banerjee) है। आज वे 78 साल के हो रहे हैं। उनका जन्म 15 अक्टूबर 1946 को कलकत्ता (अब कोलकाता), पश्चिम बंगाल में हुआ था। विक्टर बनर्जी अपने शानदार अभिनय और बहुमुखी प्रतिभा के लिए जाने जाते हैं और उन्होंने हिंदी, अंग्रेजी, बंगाली और असमिया फिल्मों में काम किया है। उनके द्वारा निभाए गए किरदार आज भी सिनेमा प्रेमियों के दिलों में बसे हुए हैं।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा- Victor Banerjee Life
विक्टर बनर्जी एक शिक्षित और संस्कारी परिवार से आते हैं। वे राजाओं के वंशज भी हैं। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा शेरवुड कॉलेज, नैनीताल से प्राप्त की और फिर कलकत्ता विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में स्नातक की डिग्री हासिल की। उनका शौक साहित्य और कला के प्रति हमेशा से था, और यही कारण था कि वे अभिनय की ओर आकर्षित हुए।
फिल्मी करियर- Victor Banerjee Film craeer
विक्टर बनर्जी का फिल्मी करियर बहुत ही विविधतापूर्ण रहा है। उन्होंने हिंदी, बांग्ला, और अंग्रेजी फिल्मों में समान रूप से काम किया है। उनकी पहली प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय फिल्म “ए पैसेज टू इंडिया” (1984) थी, जो डेविड लीन द्वारा निर्देशित थी। इस फिल्म में उनकी भूमिका को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बहुत सराहा गया और उन्हें कई पुरस्कार भी मिले। यह फिल्म उनके करियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई, और उन्हें अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाई।
प्रमुख फिल्में
ए पैसेज टू इंडिया (1984): इस फिल्म में उनकी भूमिका ने उन्हें अंतर्राष्ट्रीय प्रसिद्धि दिलाई और इसके लिए उन्हें BAFTA में सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के लिए नामांकित भी किया गया।
घरे बाइरे (1984): यह सत्यजीत रे की फिल्म थी, जिसमें उन्होंने प्रमुख भूमिका निभाई।
कस्मे वादे (1978) और सत्यम शिवम सुंदरम (1978) जैसी हिंदी फिल्मों में भी उनका अभिनय सराहनीय रहा है।
बांग्ला सिनेमा में उन्होंने कई उल्लेखनीय भूमिकाएं निभाई हैं, जैसे “शत्रु” और “द्रौपदी”।
पुरस्कार और सम्मान
विक्टर बनर्जी (Victor Banerjee awards) को उनके उत्कृष्ट अभिनय के लिए कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं। “ए पैसेज टू इंडिया” के लिए उन्हें अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पहचान मिली, जबकि बांग्ला सिनेमा में उनके योगदान को भी बहुत सराहा गया है। उन्हें उनके अभिनय कौशल के लिए राष्ट्रीय पुरस्कारों के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी कई सम्मान प्राप्त हुए हैं। उन्हें 2022 में सरकार द्वारा पद्म भूषण (Padma Bhushan) से भी सम्मानित किया गया था।
व्यक्तिगत जीवन
विक्टर बनर्जी एक साधारण और अनुशासित जीवन जीते हैं। अभिनय के अलावा उन्हें साहित्य, संगीत और फोटोग्राफी का भी शौक है। वह अपनी निजी ज़िंदगी को मीडिया की चकाचौंध से दूर रखते हैं और शांतिपूर्ण जीवन जीना पसंद करते हैं।
सामाजिक कार्यों में भी हिस्सा लिया
विक्टर सामाजिक कार्यों में हमेशा आगे रहते हैं। जब वे कलकत्ता में नहीं होते हैं तो अपना समय उत्तराखंड की घाटियों में बिताते हैं। उन्होंने कई छोटी-छोटी कहानियाँ लिखी हैं और साथ ही कई समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं और जर्नलों के लिए कई विषयों पर लेख भी लिखे हैं। उन्हें कभी-कभी श्रम और मानवाधिकार समस्याओं से भी जोड़ा जाता है। उन्होंने गढ़वाली किसानों के कल्याण की वकालत की और वे स्क्रीन एक्स्ट्रा यूनियन ऑफ़ इंडिया के संस्थापक सदस्य थे। वह श्रीमंतो शंकरदेव आंदोलन के ‘ब्रांड एंबेसडर’ हैं, यह एक ऐसा आंदोलन है जो 15वीं शताब्दी में असम में शुरू हुई नव-वैष्णव संस्कृति को पुनर्जीवित कर रहा है।