Zakir Hussain Achievements: भारतीय शास्त्रीय संगीत के दिग्गज और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध तबला वादक जाकिर हुसैन का 73 वर्ष की आयु में निधन हो गया। अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (फेफड़े से संबंधित बीमारी) के कारण उनका निधन हुआ। उनकी उंगलियां जो रागों की ताल और लय के साथ तबले पर थिरकती थीं, भारतीय संगीत के इतिहास में अमिट छाप छोड़ गईं।
जाकिर हुसैन सिर्फ़ तबला वादक ही नहीं थे, वे तालवादक, संगीतकार और कभी-कभी अभिनेता भी थे। वे संगीत के जादूगर थे जिन्होंने अपने प्रदर्शन से शास्त्रीय और विश्व संगीत के बीच की सीमाओं को धुंधला कर दिया।
60 साल का संगीत सफर- Zakir Hussain Achievements
जाकिर हुसैन ने संगीत के क्षेत्र में 60 से अधिक वर्षों का अनुभव प्राप्त किया था। उन्होंने भारतीय और अंतरराष्ट्रीय संगीतकारों के साथ मिलकर तबला बजाया और भारतीय शास्त्रीय संगीत को वैश्विक मंच पर एक नई पहचान दिलाई। उनका संगीत सिर्फ भारतीय शास्त्रीय संगीत तक सीमित नहीं था; उन्होंने जैज, कंसर्ट और फ्यूजन संगीत में भी योगदान दिया, जिससे उन्होंने संगीत की दुनिया में अपने नाम का डंका बजाया।
Very pained to know about the sad demise of Ustad Zakir Hussain Saab. He was truly a treasure for our country’s musical heritage. Om Shanti 🙏 pic.twitter.com/a5TWDMymfZ
— Akshay Kumar (@akshaykumar) December 16, 2024
दिल ना जाने कब तक उदास रहने वाला है! आवाज़ ना जाने कब तक खामोश रहने वाली है!! अलविदा मेरे दोस्त।इस दुनिया से गए हो! यादों में सदियों तक रहने वाले हो! तुम भी… तुम्हारा हुनर भी… और तुम्हारी दिल की गहराइयों तक छू जाने वाली बच्चों जैसी मुस्कुराहट भी!!💔💔💔#ZakirHussain #Tabla… pic.twitter.com/QtNgwSUVuD
— Anupam Kher (@AnupamPKher) December 15, 2024
पिता से मिली प्रेरणा
जाकिर हुसैन के संगीत जीवन की शुरुआत उनके पिता अल्ला रक्खा से हुई, जो स्वयं एक प्रसिद्ध तबला वादक थे। पिता के संरक्षण में उन्होंने तबला बजाना सीखा और संगीत के प्रति अपनी गहरी समझ और रचनात्मकता को निखारा।
उन्होंने एक बार गोवा में एक कार्यक्रम के दौरान पीटीआई-भाषा से कहा था, “जैसे-जैसे मैं बड़ा हो रहा था, मेरी सोच इस विचार के अनुकूल होती गई कि संगीत सिर्फ संगीत है, यह न तो भारतीय संगीत है और न ही कोई और संगीत।”
एक वैश्विक किंवदंती
जाकिर हुसैन का योगदान केवल भारत तक सीमित नहीं था। उन्होंने विश्व स्तर पर संगीत के कई दिग्गजों के साथ मंच साझा किया, और भारतीय संगीत को एक नई दिशा दी। उनका तबला बजाने का तरीका अद्वितीय था, जो न केवल भारतीय शास्त्रीय संगीत प्रेमियों के दिलों को छूता था, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा जाता था। उनकी तबले की धुनें जैसे हवा में तैरती, उड़ती और थिरकती थीं, और उनकी उंगलियां एक जादू करती थीं जो हर दर्शक को मंत्रमुग्ध कर देती थीं।
जाकिर हुसैन को मिले प्रमुख पुरस्कार और सम्मान- Zakir Hussain Achievements
जाकिर हुसैन का संगीत क्षेत्र में योगदान अतुलनीय है और उनकी उपलब्धियों को कई सम्मान और पुरस्कारों से नवाजा गया। उनके उत्कृष्ट कार्य ने उन्हें भारतीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कारों से सम्मानित किया।
पद्मभूषण (2002) – भारतीय संगीत में उनके असाधारण योगदान के लिए जाकिर हुसैन को भारत सरकार ने 2002 में पद्मभूषण से सम्मानित किया। यह सम्मान भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार के रूप में दिया जाता है।
पद्मश्री (1988) – इससे पहले, 1988 में उन्हें भारतीय संगीत में उनके योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया, जो कि भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला चौथा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है।
ग्रैमी अवार्ड (2009) – जाकिर हुसैन (Grammy Winner Zakir Hussain) को 2009 में ग्रैमी अवार्ड से सम्मानित किया गया, जो अंतरराष्ट्रीय संगीत क्षेत्र का सबसे बड़ा सम्मान है। उन्हें यह पुरस्कार अमेरिकी संगीतकार गाइडो के साथ मिलकर उनके एल्बम “Global Drum Project” के लिए प्राप्त हुआ। खबरों की मानें तो, उस्ताद जाकिर हुसैन को कुल पांच ग्रैमी अवार्ड मिल चुके हैं।
ताम्र पत्र (1992) – जाकिर हुसैन को भारतीय संगीत में उनके योगदान के लिए विभिन्न कला संस्थाओं से ताम्र पत्र (Honoris Causa) भी प्राप्त हुआ।
संगीत की धरोहर
जाकिर हुसैन का योगदान संगीत जगत के लिए हमेशा याद रखा जाएगा। उनका निधन भारतीय संगीत के एक युग के अंत का प्रतीक है। उनके जैसे महान कलाकार का होना भारतीय संगीत के लिए गर्व की बात थी और उनका योगदान सदा जीवित रहेगा।
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