Fake Box office Collection: भारतीय फिल्म उद्योग में बॉक्स ऑफिस कलेक्शन को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने का चलन नया नहीं है। हालांकि, यह मुद्दा हाल के वर्षों में अधिक गहराई से उठने लगा है। कोविड-19 महामारी के बाद, यह प्रवृत्ति तेजी से बढ़ी है, जिसमें फिल्मों के हाउसफुल होने और बड़े कलेक्शन के झूठे दावे किए जाते हैं। यह न केवल दर्शकों को भ्रमित करता है, बल्कि सिनेमा उद्योग के स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव डालता है।
बढ़े-चढ़े कलेक्शन का चलन- Fake Box office Collection
फिल्म वितरक सनी खन्ना के अनुसार, पहले फिल्म निर्माताओं द्वारा बॉक्स ऑफिस आंकड़ों में 5-7% की हेरफेर की जाती थी। लेकिन अब यह आंकड़ा 30-40% तक पहुंच गया है। इसका उद्देश्य फिल्मों को बड़े कलेक्शन का दावा करके हिट दिखाना है, भले ही वास्तविक कलेक्शन काफी कम हो।
हाल ही में रामचरण की फिल्म ‘गेम चेंजर’ के बॉक्स ऑफिस आंकड़ों पर सवाल उठे। फिल्म निर्माता रामगोपाल वर्मा ने ट्वीट करके दावा किया कि फिल्म के कलेक्शन झूठे हैं।
टिकट बुकिंग का नया खेल
बॉक्स ऑफिस कलेक्शन को बढ़ाने के लिए कॉर्पोरेट बुकिंग, ब्लॉक बुकिंग और फैन क्लब बुकिंग जैसे नए तरीकों का उपयोग किया जा रहा है।
- कॉर्पोरेट बुकिंग: फिल्म से जुड़े ब्रांड अपने कर्मचारियों के लिए टिकट बुक करते हैं।
- ब्लॉक बुकिंग: निर्माता खुद अपनी फिल्म के टिकट खरीदकर उन्हें वितरित करते हैं।
- फैन क्लब बुकिंग: कलाकार अपने प्रशंसकों के लिए टिकट खरीदते हैं, ताकि सिनेमाघर हाउसफुल दिखें।
इन बुकिंग्स के जरिए यह दिखाने की कोशिश की जाती है कि फिल्म को जबरदस्त प्रतिक्रिया मिल रही है। लेकिन असल में यह पैसा फिल्म की कमाई नहीं, बल्कि एक खर्च होता है।
‘ऑर्गेनिक कलेक्शन’ बनाम मैनिपुलेटेड कलेक्शन
गदर 2 की रिलीज़ के दौरान एक नया शब्द ‘ऑर्गेनिक कलेक्शन’ सामने आया। फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर राज बंसल ने बताया कि गदर 2 के कलेक्शन पर दर्शकों को शक था कि यह मैनिपुलेटेड हैं। लेकिन वास्तव में ये कलेक्शन सच्चे थे।
ऑर्गेनिक कलेक्शन उन फिल्मों के आंकड़ों को कहा जाता है जो बिना हेरफेर के वास्तविक कलेक्शन दिखाते हैं। वहीं, मैनिपुलेटेड कलेक्शन में टिकट खरीदने और झूठे दावों का सहारा लिया जाता है।
निर्माताओं और अभिनेताओं को फायदा क्यों?
फिल्म विशेषज्ञ गिरीश वानखेड़े के अनुसार, झूठे कलेक्शन दिखाने का मुख्य कारण छवि निर्माण है। निर्माता और अभिनेता अपनी फिल्मों को फ्लॉप घोषित होने से बचाना चाहते हैं। इसके अलावा, ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर फिल्म बेचने के लिए बेहतर सौदे हासिल करना भी एक बड़ा कारण है। जब कोई फिल्म बड़ी हिट बताई जाती है, तो ओटीटी प्लेटफॉर्म पर उसकी मांग बढ़ जाती है।
सिनेमा उद्योग के लिए खतरा
झूठे कलेक्शन और हाउसफुल के दावों से सिनेमा उद्योग को दीर्घकालिक नुकसान हो सकता है।
- फिल्मों में निवेश कम होगा: अगर फिल्में मुनाफे के बजाय घाटे में दिखेंगी, तो निवेशक फिल्मों में पैसा लगाने से कतराएंगे।
- वास्तविकता से दूर रिपोर्ट्स: साल के अंत में सिनेमा उद्योग के प्रदर्शन की रिपोर्ट गलत साबित होगी, जिससे नई योजनाओं और निवेश में दिक्कतें आएंगी।
- दर्शकों का भरोसा टूटेगा: जब दर्शक जानेंगे कि उन्हें झूठे आंकड़ों के जरिए भ्रमित किया जा रहा है, तो उनका विश्वास टूट सकता है।
समीक्षा और सुधार की जरूरत
सिनेमा उद्योग को इस प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए पारदर्शी सिस्टम अपनाने की आवश्यकता है। वास्तविक कलेक्शन दिखाने और दर्शकों को ईमानदार जानकारी देने से न केवल उद्योग का स्वास्थ्य बेहतर होगा, बल्कि दर्शकों का विश्वास भी बना रहेगा।