Director Ram Gopal Varma Film: बॉलीवुड में इन दिनों पुरानी फिल्मों को फिर से रिलीज करने का दौर चल रहा है। ‘ये जवानी है दीवानी’, ‘जब वी मेट’, और ‘करण अर्जुन’ जैसी आइकॉनिक फिल्मों की री-रिलीज के बाद अब 17 जनवरी को रामगोपाल वर्मा की फिल्म ‘सत्या’ ने सिनेमाघरों में वापसी की है। 27 साल पहले रिलीज हुई इस फिल्म ने न केवल भारतीय सिनेमा में गहरी छाप छोड़ी थी, बल्कि रामगोपाल वर्मा और लीड एक्ट्रेस उर्मिला मातोंडकर के करियर को नई दिशा दी थी।
‘सत्या’: एक ऐतिहासिक फिल्म- Director Ram Gopal Varma Film
‘सत्या’ 1998 में रिलीज हुई थी और यह फिल्म अपने समय से काफी आगे मानी जाती है। इसने बॉलीवुड में क्राइम ड्रामा की परिभाषा बदल दी थी। फिल्म की कहानी, अभिनय और निर्देशन ने दर्शकों और आलोचकों को समान रूप से प्रभावित किया। री-रिलीज के मौके पर रामगोपाल वर्मा ने अपनी फिल्म को लेकर एक लंबा और भावुक पोस्ट लिखा, जिसमें उन्होंने फिल्म से जुड़े अपने अनुभव और भावनाओं को साझा किया।
27 साल बाद ‘सत्या’ देखने का अनुभव
डायरेक्टर ने अपने पोस्ट में बताया कि उन्होंने 27 सालों में पहली बार ‘सत्या’ दोबारा देखी। उन्होंने कहा, “जब मैंने फिल्म देखी तो मेरे आंसू नहीं रुके। फिल्म खत्म होते-होते मैं फूट-फूटकर रोने लगा।” वर्मा के मुताबिक, ये आंसू केवल फिल्म के लिए नहीं थे, बल्कि पिछले 27 सालों में उनकी जिंदगी में आए बदलावों के लिए भी थे।
डायरेक्टर ने स्वीकार किया कि ‘सत्या’ और ‘रंगीला’ जैसी फिल्मों की सफलता ने उन्हें अंधा बना दिया था। उन्होंने लिखा, “सफलता के नशे में मैंने अपना विजन खो दिया और ऐसी फिल्में बनाईं जो सिर्फ नाम और चकाचौंध के लिए थीं।”
सत्य की ईमानदारी बनाम चकाचौंध की फिल्में
रामगोपाल वर्मा का मानना है कि उनकी बाद की फिल्मों में ‘सत्या’ जैसी ईमानदारी नहीं थी। उन्होंने कहा कि भले ही कई फिल्में सफल रहीं, लेकिन उनमें सच्चाई की कमी थी। इसी वजह से उनकी फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर काम करना बंद कर दिया।
उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि ‘सत्या’ से मिली प्रेरणा को उन्होंने नजरअंदाज कर दिया। लेकिन अब उन्होंने फैसला किया है कि वह भविष्य में हर फिल्म सच्चाई और ईमानदारी से बनाएंगे। वर्मा ने लिखा, “आज से मैं हर फिल्म बनाने से पहले खुद से यह सवाल करूंगा कि मैं डायरेक्टर क्यों बना था।”
उर्मिला मातोंडकर का करियर और विवाद
‘सत्या’ ने न केवल रामगोपाल वर्मा के करियर को नई ऊंचाई दी बल्कि एक्ट्रेस उर्मिला मातोंडकर के करियर को भी संवारा। उस दौर में उर्मिला को वर्मा की सबसे फेवरेट एक्ट्रेस माना जाता था। हालांकि, दोनों के बीच हुए विवाद के बाद उर्मिला का करियर डगमगा गया।
री-रिलीज पर दर्शकों की प्रतिक्रिया
री-रिलीज के बाद ‘सत्या’ को एक बार फिर से वही प्यार मिल रहा है, जो इसे 27 साल पहले मिला था। फिल्म को देखने आए दर्शकों ने इसके डायलॉग्स, अभिनय और निर्देशन की जमकर तारीफ की। क्राइम थ्रिलर के रूप में यह फिल्म आज भी प्रासंगिक है और युवाओं को प्रेरित करती है।
फिल्मों में सच्चाई का वादा
‘सत्या’ दोबारा देखने के बाद वर्मा ने यह भी वादा किया कि वह अब हर फिल्म को केवल सच्चाई और ईमानदारी के साथ बनाएंगे। उन्होंने कहा, “मैंने सिनेमा को अपने आत्म-अनुशासन के रूप में देखा था, लेकिन सफलता के नशे में इसे खो दिया। अब मैं इसे फिर से पाने की कोशिश करूंगा।”
‘सत्या’ की दोबारा रिलीज ने न केवल दर्शकों को अपराध सिनेमा के एक क्लासिक को फिर से देखने का मौका दिया, बल्कि राम गोपाल वर्मा को भी अपनी जड़ों की याद दिला दी। यह फिल्म आज भी इस बात का प्रतीक है कि सच्चाई और ईमानदारी से बनाई गई फिल्में समय की कसौटी पर खरी उतरती हैं।