पंजाबी सिनेमा के रास्ते में काफी उतार-चढ़ाव आए है, पंजाबी सिनेमा ने बहुत दिग्ज दिए फिर डूब गई, फिर उठी… फिर से पतन हुआ और वहां से भी फिर उभर गई. आजादी से पहले पंजाबी सिनेमा का केंद्र लाहौर था. पंजाबी सिनेमा की पहली फिल्म हीर-राँझा थी, जिसका असली नाम ‘हूर पंजाब’ था. 1935 में एक ओर फ़िल्म आई जिसका नाम था ‘शिला’ जिसका बाद में नाम बदलकर ‘पिंड दी कुड़ी’ रख दिया था. इस फिल्म ने दुनिया को एक हीरा दिया, उस हीरे का नाम था नूरजहाँ. जिससे आगे चलकर गायकी की दुनिया को बदल कर रख दिया था. नूरजहाँ से अलग ओर भी कई सितारें थे, जो पंजाबी सिनेमा ने दिए थे. जैसे दिलीपकुमार, देवानंद, मोहमद रफ़ी जैसे दिगज.
दोस्तों, आईये आज हम आपको ऐसे ही कुछ पंजाबी सिनेमा के धुरंधर के बारे में बताएंगे जिनके बारे में बहुत कम लोगों को पता होगा.
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पंजाबी सिनेमा के कुछ छुपे हुए धुरंधर
वीरेंद्र
70 के दशक में एक फिल्म आई ‘तेरी मेरी जिंदडी’. एक नए नौजवान ने पंजाब के सिनेमा में एंट्री ली, जो धर्मेदर के कजिन है, जिनका नाम वीरेंदर था. वीरेंदर आगे चलकर पंजाब सनेमा का पहले सुपरस्टार बना, 13 साल तक हिट पर हिट देता रहा. इन्होंने लम्बरदारनी, बलबीरो भाभी, दुश्मनी दी आग जैसी फ़िल्में दी.
गुरदास मान
गुरदास मान में 1980 में अपना करियर गायकी से शुरू किया. गुरदास मान एकलौते ऐसे पंजाबी सिंगर है जिन्हें प्लेबैक सिंगिंग के लिए अवार्ड मिला था. इन्होने 1984 में एक्टिंग करियर शुरू किया था. अगली ही फिल्म में उन्होंने लीड रोल मिल गया, जिससे वो एक सुपरस्टार बनाकर उभरे. उन्ही हिट फिल्मों में देश हो या प्रदेश, शहीद-ए-मोहब्बत और वारिश शाह फ़िल्में थी.
सतीश कौशल
सतीश कौशल को पंजाब सिनेमा का अमिताभ बचन कहा गया था, इन्होने अपने जीवन में 300 से अधिक फिल्मे की, सिनेमा को इतना कुछ दिया कि सिनेमा ने इन्हें लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड दिया था. सिनेमा उनसे इतना कुछ लेने के बाद उन्हें भूल गए. उनके जीवन के अंतिम दोनों में पैसे की काफी किलत देखने को मिली.
मेहर मित्तल
वैसे तो मेहर मित्तल एक कॉमेडियन लेकिन इनका जलवा किसी सुपरस्टार से कम नही था. मेहर मित्तल को पंजाब सिनेमा का सबसे अच्छा कॉमेडियन माना जाता है. और इन्हें बस कहा नही जाता था, वो सच में ऐसे शानदार कॉमेडियन थे कि एक समय था जब हर फिल्म में उनका रोल होता था, लोग पंजाबी फ़िल्में ही उनकी कॉमेडी के लिय देखते थे.
योगराज सिंह
योगराज सिंह क्रिकेटर युवराज सिंह के पिता, जो अपना क्रिकेट करियर खत्म होने के बाद फिल्मों में आए थे. खलनायिकी में इनका काफी बड़ा नाम था. 1991 में आई फिल्म ‘बदला जट्टी दा’ फिल्म में इनके किरदार जेलदार का निभाया था, जिससे उन्हें खलनायक के तौर पर जाना गया. चबा-चबाकर बोलने का उनका स्टाइल काफी लोकप्रिय रहा था. जो उन्होंने पाकिस्तान के किसी एक्टर से सिखा था.
दलजीत कौर
दलजीत कौर को पंजाबी सिनेमा की हेमा मालिनी कहा जाता था. इसका कारण था उनका एक्टिंग करियर, उन्होंने अपने एक्टिंग करियर में काफी जबरदस्त फ़िल्में दी थी. 1976 से 1990 के दशक तक उन्होंने हिट फिल्मों की बारिश कर दी थी. जैसे पूत जट्टा दे, मामला गड़बड़ है. इन्होने हिंदी सिनेमा में भी काफी काम किया था.
प्रीति सप्रू
इनकी गिनती भी पंजाब के कामयाब एक्टर्स में की जाती है. प्रीति सप्रू ने अपना फ़िल्मी करियर 17 साल की उम्र में शुरू किया था जिसके बाद वह लीडिंग पंजाबी एक्टर बनी थी. प्रीति सप्रू फिल्मों को लिखती और डायरेक्ट भी करती थी.
गुगू गिल
गुगू गिल 90 के दशक के हीरो है, जिन्होंने काफी हिट फिल्मे दी. इन्होने लगभर सभी के एक्टर्स के साथ काम किया है एक फिल्म में इन्होने खलनायक का रोल किय वो भी सुपरहिट रही. 2013 में उन्हें लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा गया था.
राज बब्बर
वैसे तो राज बबर हिन्दू सिनेमा में काफी सक्रिय रहे है लेकिन इनका पंजाबी सिनेमा में भी काफी योगदान रहा है. चन परदेशी, मरहिदा देवा जैसी फिल्मों से इन्होने पंजाबी सिनेमा में अपनी पहचान बनाई थी. लोग दा लसकर, शहीद उधम सिंह जैसी फिल्मों ने लोगों के दिलों में घर बना लिया था.
दिव्या दत्ता
दिव्या दत्ता ने तो अपनी डेबु फ़िल्म से ही लोगों के दिलों में घर कर लिया था. इस फिल्म का नाम था शहीद-ए-मोहब्बत बूटासिंह. इन्होने फ़िल्म सुखमनी के लिए बेस्ट एक्टर का अवार्ड भी मिला है.
इन एक्टर से अलग अमरस पूरी, ओमपुरी, प्रेम चोपरा जैसे नाम पंजाबी फिल्मों में लिए जाते है. जिनका पंजाबी फिल्मों के साथ हिंदी फिल्मों में भी काफी योगदान रहा है.
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