स्वर कोकिला के नाम से पहचानी जाने वाली दिग्गज सिंगर लता मंगेशकर अब हमारे बीच नहीं रहीं। लता मंगेशकर का निधन हो गया। उनके निधन की खबर आते ही पूरा देश शोक में डूब गया। लोग लता मंगेशकर को नम आंखों के साथ श्रद्धांजलि देते हुए नजर आ रहे हैं।
7 दशक के लंबे सफर में लता मंगेशकर ने 20 से ज्यादा भाषाओं में 30 हजार से भी ज्यादा गानों में अपनी आवाज दीं। उनकी आवाज ने कभी लोगों की आंखों में आंसू लगा दिए, तो कभी सीमा पर खड़े देश के जवानों को हौंसला दिया। लता जी की आवाज में ‘ए मेरे वतन के लोगों…’ गाना सुनकर देश के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की आंखें भी नम हो गईं थीं। दुनियाभर में लता मंगेशकर के करोड़ों चाहने वाले उन्हें मां सरस्वती का अवतार मानते हैं। अमेरिका के वैज्ञानिकों लता जी की आवाज को लेकर कहते हैं कि उन्होंने ऐसी आवाज कभी किसी गायक की नहीं सुनीं। यहां तक कि उन्होंने तो लता जी से मरने के बाद उनके गले की जांच करने की बात भी कही है। साइंटिस्ट लता जी की गले की जांच कर ये जानना चाहते हैं कि आखिर उनकी आवाज इतनी सुरीली और पतली है। लता मंगेशकर ने अपना पूरा जीवन संगीत को ही समर्पित रखा। उन्होंने कभी शादी नहीं की।
इंदौर में हुआ जन्म
मध्य प्रदेश के इंदौर में 28 सितंबर 1929 को लता मंगेशकर का जन्म हुआ था। वो एक मिडिल क्लास मराठी परिवार में थीं। लता मंगेशकर के पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर मराठी रंगमंच से जुड़े हुए थे। लता जी की मां शेवांती गुजराती थीं। जब लता जी 5 साल की थीं, तो उन्होंने अपने पिता के साथ नाटकों में काम किया। इसके साथ ही साथ वो अपने पिता से संगीत की शिक्षा भी लेने लगीं।
जब लता मंगेशकर 13 साल की थीं, तो उन्होंने एक मराठी फिल्म के लिए गाना रिकॉर्ड किया था। फिल्म तो रिलीज हुई, लेकिन गाने को हटा दिया गया, जिससे लता जी को काफी ठेंस पहुंची। फिर इसी साल लता जी ने अपने पिता को खो दिया, जिसके बाद पूरे परिवार की जिम्मेदारी उनके ही कंधों पर आ गई। पिता के साया सिर से उठ जाने के बाद उनके दोस्त विनायक दामोदर ने लता मंगेशकर के परिवार को संभाला। लता जी को एक्टिंग में बिलकुल भी दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन परिवार की जिम्मेदारियों की वजह से उन्होंने फिल्मों में एक्टिंग करना शुरू किया। उन्होंने कई फिल्मों में छोटी मोटी भूमिका निभाई।
फिर मुंबई आ गई लता जी और फिर…
फिर आया साल 1945 जब लता जी मंगेशकर मुंबई आ गई। तब उनकी मुलाकात गुलाम हैदर से हुईं। गुलाम हैदर लता मंगेशकर के गाने के अंदाज से काफी प्रभावित हुए। उन्होंने फिल्म निर्माता एस. मुखर्जी से लता जी को फिल्म में गाने का मौका देने की गुजारिश भी की, लेकिन एस. मुखर्जी को उनकी आवाज पसंद नहीं आई और उन्होंने लता जी को अपनी फिल्म में लेने से मना कर दिया। जिसके चलते गुलाम हैदर को गुस्सा आया और उन्होंने कहा कि ये लड़की आगे इतना नाम करेगी कि बड़े-बड़े निर्माता निर्देशक उसे अपनी फिल्मों में गाने के लिए गुजारिश करेंगे। गुलाम हैदर की ये बात आगे चलकर एकदम सही निकलीं।
ऐसे लता मंगेशकर के करियर ने भड़ी उड़ान
1949 में लता जी ने लगातार 4 हिट फिल्मों में गाने गए, जिसके बाद उन्हें पहचाना जाने लगा। महल फिल्म का गाना ‘आएगा आनेवाला’ सुपरहिट हुआ और लता जी ने अपने पैर जमाने शुरू कर दिए। ये गीत लता मंगेशकर के बेहतरीन गीतों में से एक माना जाता है। यहां से लता जी के करियर ने उड़ान भरी और फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। इसके बाद लता जी ने एक से बढ़कर एक गाने गाए। 60, 70, 80, 90 के दशक में फिल्म जगत पर लता मंगेशकरऔर उनकी बहन आशा ने दबदबा कायम रहा। इस दौरान उन्होंने ढेरों गाने गाए। कई फिल्में तो सिर्फ इसलिए सफल रही क्योंकि लता मंगेशकर के गाए गाने मशहूर हुए। वो मुश्किल से मुश्किल गानों को बड़ी ही आसानी से गा देती थीं, इस वजह से ही हर निर्माताओं, निर्देशकों और संगीतकारों की लता जी पहली पसंद बनी हुई थीं।
90 के दशक में लता मंगेशकर ने गाना कम कर दिया। तब भी उनकी आवाज डर, लम्हें, दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे, दिल तो पागल है, मोहब्बतें, दिल से, पुकार जैसी कई फिल्मों में सुने को मिलीं। 2000 के बाद उन्होंने गिने-चुने ही गाने गाए।
इस लंबे करियर के दौरान लता मंगेशकर को ढेरों अवॉर्ड और सम्मान मिलें। 1970 के बाद उन्होंने फिल्मफेयर को कह दिया कि वो सर्वश्रेष्ठ गायिका का पुरस्कार नहीं लेंगी। तब लता जी ने कहा कि उनकी जगह नए गायकों को ये अवॉर्ड दिए जाने चाहिए।
ढेरों पुरस्कारों से किया गया सम्मानित
लता मंगेशकर को 1969 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। 1999 में उन्हें पद्म विभूषण सम्मान मिला। 1989 में लता मंगेशकर को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार और 2001 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। 1974 में दुनिया में सबसे अधिक गीत गाने का गिनीज़ बुक रिकॉर्ड भी लता मंगेशकर के नाम हैं।
लता मंगेशकर क्रिकेट की बहुत बड़ी फैन हैं। वो सचिन तेंदुलकर को बहुत पसंद करती थीं। सचिन भी लता मंगेशकर को मां की तरह मानते थे।
लता मंगेशकर का शांत स्वभाव उन्हें सबसे अलग बनाता था। पूरी दुनिया में उनको करोड़ों लोग पसंद करते थे। लता जी जिस मुकाम पर आज पहुंची थीं, वो उन्होंने काफी मेहनत के बाद हासिल किया। कम ही ऐसे लोग होते हैं, जो लोगों के दिलों में इस तरह जगह बना पाते हैं, जैसी लता मंगेशकर ने बनाई। भले ही लता मंगेशकर दुनिया छोड़कर चली गई हों, लेकिन अपने लाखों-करोड़ों चाहने वालों के बीच वो हमेशा जीवित रहेगीं।