तारे हैं बाराती…अंखियों से गोली मारे…तेरा रंग बल्ले बल्ले…एक मुलाकात जरूरी है सनम… जैसे सुपरहिट गाने देने वाली सिंगर अब बॉलीवुड में गायब हो चुकी हैं। आज की पीढ़ी भले ही उनके हुनर के बारे में न जानती हो, लेकिन ऐसा हो ही नहीं सकता कि 90 के दशक के लोग इस सिंगर को न जानते हों। जी हां, हम बात कर रहे हैं जसपिंदर नरूला की, जिनकी गायकी बेमिसाल है। ये उनकी दमदार आवाज ही थी जिसने उन्हें बॉलीवुड की मशहूर सिंगर बनाया। जसपिंदर नरूला न सिर्फ अपने जमाने की हिट सिंगर थीं, बल्कि वो अपने गुरबानी गीतों के लिए भी काफी लोकप्रिय थीं। एक वक्त ऐसा था जब वो साल में दर्जनों फिल्मों में गाना गाती थीं, लेकिन फिर किस्मत ने ऐसी पलटी मारी कि जसपिंदर एक-एक फिल्म की मोहताज होने लगीं। आइए आपको बताते हैं बॉलीवुड के इस डूबते स्टार की कहानी।
जसपिंदर नरूला की जीवनी
14 नवंबर 1970 को चंडीगढ़ में जन्मी जसपिंदर नरूला को बचपन से ही गाने का शौक था। इसके पीछे की वजह यह है कि जसपिंदर के पिता पंजाबी संगीत के उस्ताद सरदार केसर सिंह नरूला थे और उनकी मां मोहिनी नरूला भी गायिका थीं और उनके भाई मिकी नरूला पंजाबी इंडस्ट्री में गायक हैं। गायकों के बीच पली-बढ़ी जसपिंदर को भी संगीत से प्यार हो गया और समय के साथ वह अपनी गायकी में माहिर होती चली गयी। जसपिंदर नरूला ने 2008 में डीयू (दिल्ली यूनिवर्सिटी) से हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में पीएचडी भी की।
जसपिंदर नरूला का करियर
बॉलीवुड इंडस्ट्री में नाम कमाने से पहले जसपिंदर नरूला भजन और सूफी गाने गाया करती थीं। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत दूरदर्शन से बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट के रूप में की थी। दरअसल, अपने पिता की मदद से जसपिंदर ने दूरदर्शन पर एक कार्यक्रम प्रस्तुत किया और लोगों को उनकी गायकी काफी पसंद भी आई। जसपिंदर नरूला को अपनी इस परफॉरमेंस के लिए 45 रुपए मिले थे। जसपिंदर नरूला ने फिल्मों में गाने की कोशिश नहीं की, क्योंकि उन्हें भजन गाने की आदत थी और वह इसी श्रेणी में अच्छा नाम कमा रही थीं। हालांकि, बाद में उन्हें मशहूर म्यूजिक डायरेक्टर कल्याणजी से करियर बदलने की सलाह मिलने के बाद जसपिंदर नरूला मुंबई चली गईं।
कल्याणजी ने पहली बार जसपिंदर को दिल्ली के एक सामाजिक समारोह में गाते हुए सुना था। वह उनकी आवाज़ से बहुत प्रभावित हुए और अपने बेटे और संगीत निर्देशक विजू शाह से जसपिंदर को मास्टर, आर या पार और बड़े मियां छोटे मियां (1998) जैसी फिल्मों में गाने मौका देने के लिए कहा। इस तरह जसपिंदर को मास्टर नामक फिल्म में बॉलीवुड में ब्रेक मिला।
जसपिंदर नरूला का बॉलीवुड करियर
जसपिंदर नरूला ने 1998 की फिल्म प्यार तो होना ही था में रेमो फर्नांडीस के साथ फिल्म का टाइटल ट्रक गया। आगे चलकर ये गाना बहुत हिट रहा, इस गाने के लिए उन्हें 1999 का फिल्मफेयर बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर अवार्ड मिला। यहीं से जसपिंदर का करियर चल पड़ा। जसपिंदर नरूला ने बॉलीवुड इंडस्ट्री के कई प्रसिद्ध संगीत निर्देशकों जैसे अनु मलिक, जतिन-ललित और आनंद-मिलिंद के साथ भी काम किया है। उन्होंने मिशन कश्मीर, मोहब्बतें, फिर भी दिल है हिंदुस्तानी और बंटी और बबली जैसी फिल्मों में अपनी आवाज दी।
जसपिंदर की शादी
जसपिंदर का करियर 2002 में तब डूबने लगा जब उन्होंने कनाडा के शादीशुदा शख्स मनमोहन से शादी कर ली। शादी के बाद जसपिंदर कनाडा चली गईं और अपने करियर पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। जिसकी वजह से उन्हें फिल्मों में काम मिलना बंद हो गया। इसी बीच 2008 में उन्होंने एनडीटीवी इमेजिन की सिंगिंग रियलिटी सीरीज धूम मचा दे में भारत की बेस्ट लाइव परफॉर्मर का खिताब जीता।
इस बीच उनकी शादीशुदा जिंदगी को लेकर अफ़वाहें फैलने लगीं कि वो मनमोहन से तलाक लेने वाली हैं। साल 2009 में डीएनए में एक रिपोर्ट छपी थी जिसके मुताबिक जसपिंदर बच्चे चाहती हैं। लेकिन जिस आदमी से उन्होंने शादी की है, वो जैविक रूप से इसमें योगदान नहीं दे सकता, यानी मनमोहन नपुंसक है। इसलिए वो अलग हो रहे हैं। हालांकि जसपिंदर ने इन खबरों को अफ़वाह बताया और बाद में जसपिंदर दो बच्चों की मां भी बनीं।
हालांकि, इन निजी कारणों में वह उलझ गईं और उन्हें बॉलीवुड को पूरी तरह से अलविदा कहना पड़ा। इसके बाद जसपिंदर नरूला ने 2014 में आम आदमी पार्टी (AAP) जॉइन कर ली। लेकिन बाद में मार्च 2014 में उन्होंने आम आदमी पार्टी छोड़ दी और हमेशा के लिए राजनीति से भी दूर हो गईं।
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