सिनेमा का इम्पैक्ट लोगों के दिलों-दिमाग पर पड़ता हैं। हर हफ्ते कई फिल्में थिएटर में रिलीज की जाती है, जिनमें से कुछ मसाला फिल्में होती हैं, जो केवल लोगों के एंटरटेनमेंट के लिए बनी होती हैं। वहीं इस बीच कुछ फिल्में सोशल मैसेज के साथ आती हैं। बात दलितों पर बनी फिल्मों की करें, तो बॉलीवुड में तो जातीय भेदभाव पर ऐसी कम ही फिल्में आई, जो दिल को छू जाए।
हालांकि रिजनल सिनेमा में दलितों के साथ हुए शोषण पर अब तक कई एक से बढ़कर एक फिल्में बन चुकी हैं। आज हम आपको दलितों पर बनी ऐसी ही 5 शानदार फिल्मों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो जातीय भेदभाव पर खुलकर बात करती हैं…
जय भीम
लिस्ट में पहला नाम है जय भीम फिल्म का। पिछले साल तमिल सुपरस्टार की आई फिल्म जय भीम ने जबरदस्त सुर्खियां बटोरी थीं। फिल्म की दमदार कहानी और सूर्या की जबरदस्त एक्टिंग ने सभी प्रभावित किया है। जय भीम’ इरुलुर आदिवासी समुदाय और उनके साथ सालों से हो रहे बर्बरता की कहानी दिखाती है। फिल्म तमिनलाडु में हुई सच्ची घटना पर आधारित है। जय भीम में पुलिस के अत्याचारों को दिखाया गया। साथ ही साथ ये फिल्म सिस्टम पर भी तंज कसती है। इस फिल्म में सूर्या एक ऐसे वकील का रोल निभा रहे होते हैं, जो न्याय के लिए सिस्टम से भिड़ जाता है। फिल्म में आपको कई ऐसे सीन देखने मिलेंगे जो आपको हिलाकर रख देंगे।
कर्णन
आगे बढ़ते हैं और बात करते हैं दूसरी फिल्म की जिसका नाम हैं कर्णन। ये मूवी भी साल 2021 में ही रिलीज हुई है। कर्णन दक्षिण भारत में जाति प्रथा पर प्रहार करती हैं। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे ऊंची जाति के गांव के लोग निचली जाति में रहने वाले लोगों को प्रताड़ित करते हैं। इसमें साउथ सुपरस्टार धनुष कर्णन का रोल में नजर आते हैं। उसका गांव पिछड़ी जाति वालों का गांव है इसलिए वहां बस नहीं रूकती और बस स्टॉप बनने भी नहीं दिया जाता। कर्णन गांव वालों का शोषण होते नहीं देखना चाहता और वो चीजों को बदलने की ठान लेता है। इस दौरान हालात इतने बिगड़ जाते हैं कि नौबत मारकाट तक आ जाती है। फिल्म में ‘निचली’ जाति के लोगों के उत्पीड़न, प्रशासन के भेदभाव को जबरदस्त तरीके से दिखाया गया है।
फैन्ड्री
अब बात करते हैं फ्रैंडी फिल्म की। जब्या नाम का एक लड़का निचली जाति से संबंध रखता है। इसलिए वो और उसका परिवार गांव के बाहर रहता है। जब्या के पिता छोटे मोटे काम करते हैं, जिसमें सुअर को पकड़ना भी शामिल हैं। जब्या सबसे पहचान, काम और बैकग्राउंड को सबसे छिपाता फिरता है। वो अपने स्कूल में पढ़ने वाली एक ऊंची जाति वाली लड़की शालू के एकतरफा प्यार में पड़ जाता हैं। फिल्म का क्लाइमेक्स काफी थ्रिलर है। एंड में समाज की उन लोगों की सोच पर पत्थर फेंककर मारा जाता है, जो आज भी दलितों का शोषण करते हैं और छोटी सोच रखते हैं।
सैराट
सैराट मराठी सिनेमा की एक बेहद ही मशहूर फिल्म है। फिल्म में दिखाया गया है कि एक निचली जांति का लड़का और ऊंची जाति की लड़की एक दूसरे से प्यार करने लगते हैं। वो घर से भागकर शादी कर लेते हैं। सुनने में ये शायद आपको एक आम लव स्टोरी की तरह लगे, लेकिन ये आम बिलकुल नहीं है। इस प्रेम कहानी में जाति के प्रश्न को भी बुना गया है। फिल्म की एंडिंग ऐसी है कि ये आपको सन्न करके रख देगी।
असुरन
आखिरी में बात करते हैं धनुष की एक और फिल्म की, जिसका नाम है असुरन की। फिल्म के लिए धनुष को बेस्ट एक्टर का नेशनल अवॉर्ड मिल चुका है। सामाजिक भेदभाव और पिछड़े जातियों के साथ होने वाले अन्याय पर ये फिल्म खुलकर अपनी बात रखती हैं। फिल्म के एक डायलॉग- अगर हम खेत रखेंगे, तो वो उन्हें हड़प लेंगे। हमारे पास पैसा होगा, तो वो उसे छीन लेंगे। लेकिन अगर हमारे पास शिक्षा है, तो उसे हमसे कोई नहीं छीन सकता।’ फिल्म का ये डायलॉग काफी कुछ कह जाता है।