फिल्मों में हीरो बनने का सपना लिए एक शख्स अपना घर छोड़कर अपने सपने को पूरा करने के लिए मुंबई आता है…दर दर की ठोकरें खाता है। शुरुआती दिनों में हर जगह से दुत्कारा जाता है। जेब में मात्र 26 रुपये लिए, आँखों में हीरो बनने का सपना लेकर ये शख्स बॉलीवुड का दरवाजा खटखटाता है। वैसे तो बॉलीवुड में उन्हें एंट्री मिल जाती है लेकिन हीरो के तौर पर नहीं बल्कि विलेन के तौर पर। उसके बाद विलेन के तौर पर इस एक्टर ने ऐसा कहर मचाया कि आज भी उनके किरदारों की चर्चा की जाती है। हम बात कर रहे हैं 70 के दशक के बेहतरीन एक्टर जीवन की।
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सपना पूरा करने के लिए घर से भागे
24 अक्टूबर 1915 को श्रीनगर में जन्मे जीवन का असली नाम ओंकार नाथ धर था। जन्म के साथ ही उनकी मां का निधन हो गया था। वह बचपन से ही एक्टिंग की दुनिया में आना चाहते थे, लेकिन उनका परिवार इसके खिलाफ था। दरअसल, जीवन का परिवार काफी बड़ा था। वह अपने 24 भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। जब जीवन मात्र तीन वर्ष के थे तभी उनके पिता का भी निधन हो गया। जिसके बाद उनके परिवार में काफी तनाव का माहौल पैदा हो गया।
ऐसे में जीवन अपना सपना पूरा करने के लिए मुंबई जाना चाहते थे लेकिन उनके परिवार वाले उनके अभिनय के सपने को पूरा करने के लिए सहमत नहीं हुए। जिसके बाद जीवन ने अपना घर छोड़ दिया और मुंबई आ गए। कहा जाता है कि उस वक्त उनकी जेब में सिर्फ 26 रुपये थे। उस वक्त उनकी उम्र महज 18 साल थी। यूं तो जीवन अपना फोटो स्टूडियो खोलने के मकसद से मुंबई आए थे लेकिन उनकी किस्मत में एक्टर बनना लिखा था और जल्द ही उन्हें एक्टिंग की दुनिया में मौका मिल गया। जीवन को अपने करियर के शुरुआती दिनों में काफी संघर्ष करना पड़ा। उन्हें एक स्टूडियो में नौकरी मिल गई, जो उस समय के मशहूर डायरेक्टर मोहनलाल सिन्हा का था।
ऐसे मिला फिल्मों में काम करने का मौका
मोहनलाल ने जीवन के अंदर के एक्टर को पहचान लिया था और उनकी प्रतिभा को उजागर करने के लिए उन्होंने जीवन को अपनी फिल्म ‘फैशनेबल इंडिया’ में एक छोटा सा रोल दिया। हालांकि, 1935 में रिलीज हुई फिल्म ‘रोमांटिक इंडिया’ उनकी डेब्यू फिल्म बनी और इस फिल्म के जरिए इंडस्ट्री को एक नायाब सितारा मिला था। इसके बाद तो मानो जीवन की किस्मत ही बदल गई। अब उन्हें बड़े स्टार्स के साथ काम करने का मौका मिल रहा था। जीवन ने अपने एक्टिंग करिय में धर्मेंद्र, संजीव कुमार, अमिताभ बच्चन और जितेंद्र जैसे हर बड़े स्टार्स के साथ काम किया।
जीवन ने फिल्मी दुनिया में विलेन बनकर अपनी पहचान बनाई थी। उनके नाम एक खास रिकॉर्ड ये भी है कि उन्होंने 60 से ज्यादा फिल्मों में नारद मुनि की भूमिका निभाई थी। उन्हें टाइपकास्ट जैसी चीजों पर यकीन नहीं था। उन्होंने कहा था कि वह हर तरह के किरदार में माहिर थे, यह अलग बात है कि इंडस्ट्री ने उन्हें खलनायक के रूप में स्वीकार किया और वह हिंदी सिनेमा के सबसे महान खलनायकों में से एक बनें। इसके बाद जीवन को भी समझ आ गया कि हीरो बनना आसान नहीं है और उनकी शक्ल भी हीरो के रोल में फिट नहीं बैठती। ऐसे में उन्होंने अपना फोकस विलेन बनने पर लगाया।
नारद ऋषि का किरदार निभाने वाला ये एक्टर कब इंडस्ट्री का चहेता विलेन बन गया, किसी को पता नहीं चला। अपने अभिनय करियर में उन्होंने अनगिनत फिल्मों में खलनायक की भूमिका निभाकर लोगों का मनोरंजन किया। जीवन ने अपने एक्टिंग करियर में ‘अफसाना’, ‘स्टेशन मास्टर’, ‘अमर अकबर एंथोनी’ और ‘धर्म-वीर’, नागिन, शबनम, हीर-रांझा, जॉनी मेरा नाम, कानून, सुरक्षा, लावारिस जैसी फिल्मों में शानदार किरदार निभाए। 10 जून 1987 को उनका निधन हो गया था।
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