आज के समय में फिल्मों में कई विविधताएं आ गई हैं। अब हर बड़ा अभिनेता फिल्म का निर्देशन और निर्माण करता है और अगर अभिनेता पैसे बचाना चाहता है तो उसमें खुद अभिनय भी करता है। लेकिन जब बॉलीवुड की शुरुआत हुई तो इसमें कई खामियां थीं। इन कमियों की भरपाई के लिए एक शख्स ने विदेश से नई तकनीक सीखी और अपनी सूझबूझ से बॉलीवुड को एक नई दिशा दी। इस शख्स ने एक ऐसी कंपनी खोली जिसने अशोक कुमार और दिलीप कुमार जैसे सितारों को नौकरी दी और उन्हें फिल्म इंडस्ट्री का स्टार बना दिया।
और पढ़ें: बॉलीवुड की वो 5 अंडररेटेड कॉमेडी फिल्में, जिन्हें देखकर हंसते-हंसते आपके पेट में दर्द होने लगेगा
‘बॉम्बे टॉकीज’ की शुरुआत
हम बात कर रहे हैं ‘बॉम्बे टॉकीज’ की, जिसने भारतीय फिल्म इंडस्ट्री को कई शानदार कलाकार दिये। बॉम्बे टॉकीज नाम की कंपनी 40 के दसक में शुरू हुई थी। इस कंपनी के मालिक हिमांशु रॉय थे। साल 1934 में बनी ये कंपनी हिमांशु रॉय और उनकी वाइफ देविका रानी का ड्रीम प्रोजेक्ट था, जिसे वह किसी भी हाल भी भारत में सफल करना चाहते थे। दोनों ने ही 1930 में इस कंपनी को खड़ा करने का सपना देखा था, लेकिन कंपनी खड़ी करने के लिए उन्हें पहले जगह और कलाकार चाहिए थे। इस तरह कंपनी को अच्छा बनाने के लिए उन्हे दो से तीन साल लग गए। इसके बाद कंपनी को खड़ा करने के लिए हिमांशु और देविका ने बॉम्बे के पास मलाड में जमीन खरीदी। इसके बाद उन्होंने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट पर काम करते हुए एक प्रोडक्शन कंपनी शुरू की। इस कंपनी में वह सारी सुविधाएं थी जो उस दौर की अन्य भारतीय प्रॉडक्शन कंपनियों के पास नहीं था।
कंपनी को बनाया सबसे बेहतर
इस कंपनी में एक साउंडप्रूफ हॉल के साथ-साथ एक शूटिंग प्रोसेसिंग लैब भी थी, इसके अलावा इसमें एडिटिंग रूम भी हुआ करते थे। फिल्मों की रिलीज से पहले प्रिव्यू के लिए एक बड़ा हॉल भी था। असल फिल्म स्टूडियो कैसा होता है, यह सब हिमांशु रॉय ने ‘बॉम्बे टॉकीज’ के जरिए सब फिल्म मकेर्स को दिखाया था। इस कंपनी में साइनिंग अमाउंट भी नहीं दिया जाता था, इसलिए अशोक कुमार और दिलीप कुमार जैसे सितारे यहां मंथली सैलरी पर काम करते थे। धीरे-धीरे कंपनी फिल्म इंडस्ट्री में एक बड़ा नाम बन गई। इसी बीच 1940 में हिमांशु रॉय की मृत्यु के बाद देविका रानी ‘बॉम्बे टॉकीज़’ की मालकिन बन गईं।
इंडियन सिनेमा की पहली 1 करोड़ कमाने वाली फिल्म
1943 में ज्ञान मुखर्जी द्वारा निर्देशित फिल्म किस्मत ने 1 करोड़ रुपये की कमाई की, जो भारतीय सिनेमा में 1 करोड़ रुपये कमाने वाली पहली फिल्म थी। इस फिल्म में अशोक कुमार और देविका रानी ने कमाल की एक्टिंग की थी। इस फिल्म के बाद अशोक कुमार ने अन्य प्रोडक्शन के साथ काम करना शुरू कर दिया। उसी दौरान देविका रानी को अपना नया एक्टर मिल गया। जो थे दिलीप कुमार। दिलीप कुमार साल 1944 में फिल्म ‘ज्वार भाटा’ से लॉन्च हुए थे। फिल्म कुछ खास नहीं चली और बाद में दिलीप कुमार ने अन्य प्रोडक्शन के साथ काम करना शुरू कर दिया।
इसी बीच कंपनी में अंदरुनी कलह होने लगी और फिल्में भी फ्लॉप होने लगीं। जिसके बाद देविका रानी ने कंपनी में अपने सारे शेयर बेच दिए और फिल्म इंडस्ट्री छोड़ दी। कंपनी खुलने के 20 साल बाद यानी साल 1953 में ‘बॉम्बे टॉकीज़’ पर ताला लग गया।
और पढ़ें: अमिताभ बच्चन की दीवानी थीं डायरेक्टर की पत्नी, फिल्म में काम दिलाने के लिए जमीन आसमान कर दिया था एक