फिल्मी दुनिया भी बड़ी अजीब है, कोई रंक से राजा का सफर देखता है तो कोई राजा से रंक हो जाता है। यह घटना सिर्फ अभिनेताओं के साथ ही नहीं होती बल्कि बॉलीवुड के कई बड़े निर्देशक और निर्माता इससे प्रभावित हुए हैं। आज हम आपको 80 के दशक के एक ऐसे ही निर्माता के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसे अपनी पहली फिल्म से इतना नुकसान हुआ कि उसे लाखों का कर्ज उठाना पड़ा और उस समय लाखों रुपये करोड़ों रुपये के बराबर माने जाते थे। उस दौरान अमिताभ बच्चन उस निर्माता को कर्ज से मुक्त कराने के लिए मसीहा बनकर आए। दरअसल यह अमिताभ बच्चन की 1978 की ब्लॉकबस्टर हिट फिल्म ‘डॉन’ के पीछे की कहानी है। इस फिल्म को बनाना मेकर्स खासकर इसके निर्माता नरीमन ईरानी के लिए आसान नहीं था। आइए आपको इस घटना के बारे में विस्तार से बताते हैं।
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बड़ी मुश्किल में थे नरीमन ईरानी
नरीमन ईरानी हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के जाने-माने निर्माता थे। अपनी पहली फिल्म के निर्माण के बाद उन्हें 12 लाख रुपए का भारी नुकसान उठाना पड़ा था। नरीमन ईरानी पर काफी कर्ज था और वह अब किसी भी फिल्म में काम करने से डरने लगे थे। उस दौरान अमिताभ बच्चन को नरीमन ईरानी की खराब हालत के बारे में पता था और उन्होंने निर्माता को दूसरी फिल्म बनाने का सुझाव दिया और कहा कि वह उनकी अगली फिल्म में काम करेंगे और वह भी बिना कोई फीस लिए। इसके बाद कर्ज चुकाने के लिए नरीमन ईरानी ने दूसरी फिल्म बनाने का फैसला किया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह कहानी के लिए पटकथा लेखक जोड़ी सलीम-जावेद के पास गए। ईरानी के पास सीमित बजट था। दो-तीन महंगी स्टोरी आइडिया देने के बाद सलीम-जावेद ने ईरानी को वो कहानी दी जिसे कोई नहीं खरीद रहा था
सलीम-जावेद ने ऑफर की डॉन
पटकथा लेखक जोड़ी ने नरीमन ईरानी को फिल्म डॉन की कहानी ऑफर की। उन्होंने ईरानी से कहा कि अगर फिल्म हिट रही तो वे कहानी के पैसे लेंगे। स्क्रिप्ट फाइनल करने के बाद नरीमन ईरानी ने फिल्म के लिए निर्देशक और कलाकारों की तलाश शुरू कर दी। निर्माता बनने से पहले ईरानी ने अभिनेता मनोज कुमार की फिल्म ‘रोटी कपड़ा और मकान’ में बतौर सिनेमेटोग्राफर काम किया था। इस फिल्म की शूटिंग के दौरान उनकी मुलाकात अमिताभ बच्चन, जीनत अमान और मनोज कुमार के असिस्टेंट डायरेक्टर चंदर से हुई।
एक्टर्स ने किया फ्री में काम
ईरानी के तीनों स्टार्स से अच्छे संबंध थे। इसलिए उन्होंने अमिताभ से लीड एक्ट्रेस को लेकर चर्चा की, जिसके बाद अमिताभ बच्चन ने कहा कि आप एक्ट्रेस की चिंता न करें, मैं उसका इंतजाम कर दूंगा। इसके बाद अमिताभ ने जीनत को फिल्म डॉन में काम करने के लिए अप्रोच किया। जीनत अमिताभ की अच्छी दोस्त भी थीं, इसलिए सारी प्रोब्लेम को समझते हुए एक्ट्रेस ने भी फिल्म में फ्री में काम करने का फैसला किया। हीरो और हीरोइन की कास्टिंग के बाद चंदर को डायरेक्टर के तौर पर लिया गया। डायरेक्टर जानते थे कि ईरानी किन मुश्किलों से गुजर रहे हैं। उन्होंने तय किया कि वो बिना फीस लिए फिल्म बनाएंगे। इसके बाद अमिताभ, जीनत और चंदर ने फिल्म ‘डॉन’ फ्री में की। उन्होंने तय किया था कि वो इसके लिए पैसे तभी लेंगे, जब फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन करेगी।
फिल्म रिलीज होते हुए नहीं देख पाए ईरानी
दुर्भाग्य से फिल्म ‘डॉन’ पूरी होने से पहले ही नरीमन ईरानी का निधन हो गया। कमालिस्तान स्टूडियो में एक दुर्घटना में निर्माता की मौत हो गई। ईरानी की पत्नी सलमा और अन्य लोगों ने इस फिल्म को पूरा करने में दिन रात एक कर दी। खबरों की मानें तो फिल्म ‘डॉन’ बिना किसी खास प्रचार के रिलीज हो गई थी। लेकिन दर्शकों को यह फिल्म पसंद आई और यह साल 1978 की तीसरी सबसे बड़ी हिट साबित हुई। फिल्म ने गज़ब का प्रॉफ़िट भी कमाया। प्रॉफ़िट को देखते हुए ये डिसाइड किया गया की सभी स्टार्स और डाइरैक्शन को उनकी फीस दी जाएगी और इस तरह से फिल्म बनी फ्री में लेकिन प्रॉफ़िट सबके हिस्से में आया।