रामानंद सागर की रामायण तो सभी ने देखी है, खासकर इस टीवी शो के हर किरदार ने अपनी एक्टिंग से दर्शकों के दिलों में एक अलग छाप छोड़ी, इन्हीं में से एक थीं अपने जमाने की मशहूर एक्ट्रेस ललिता पवार जिन्होंने मंथरा का किरदार निभाया था। करीब 700 फिल्मों में नजर आईं दिग्गज एक्ट्रेस ललिता पवार 1928 से लेकर 1997 तक पर्दे पर सक्रिय रहीं। वो 70 सालों तक दर्शकों का मनोरंजन करती रही। फिल्मों में निभाए गए निगेटिव किरदारों की वजह से उन्हें एक अलग पहचान मिली। लेकिन एक हादसे की वजह से ललिता की पूरी जिंदगी बदल गई, आइए आपको बताते हैं इस अनजान किस्से के बारे में।
बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट किया करियर शुरू
18 अप्रैल 1916 को मुंबई के नासिक जिले में जन्मी ललिता पवार एक धनी परिवार में पैदा हुई थीं। उनके पिता लक्ष्मण राव शगुन रेशम और सूती सामान का व्यवसाय चलाते थे। उन्होंने 1928 की फ़िल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ से 9 साल की उम्र में अपने अभिनय करियर की शुरुआत की और बाद में मूक युग और 1940 के दशक की फ़िल्मों में मुख्य भूमिकाएँ निभाईं। इसके बाद अभिनेत्री ने हिंदी, मराठी और गुजराती सिनेमा में 700 से ज़्यादा फ़िल्मों में काम किया। 70 साल से ज़्यादा के सबसे लंबे अभिनय करियर का गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड उनके नाम है।
एक हादसे ने बदली जिंदगी
अब बात करते हैं उस हादसे की जिसने ललिता पवार की पूरी जिंदगी बदल दी। दरअसल, ललिता पवार साल 1942 में भगवान दादा के साथ एक फिल्म ‘जंग-ए-आजादी’ की शूटिंग कर रही थीं। इस फिल्म की शूटिंग के दौरान भगवान दादा को ललिता पवार को थप्पड़ मारना था। नए एक्टर होने की वजह से उन्होंने गलती से ललिता को जोरदार थप्पड़ मार दिया, जिसकी वजह से ललिता के चेहरे का एक हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया और उनकी बाईं आंख की नस फट गई।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तीन साल के इलाज के बाद ललिता की बाईं आंख खराब हो गई। इस तरह उन्हें मुख्य भूमिकाएं छोड़नी पड़ीं और साइड रोल में काम करना पड़ा, जिससे बाद में वह काफी मशहूर हो गईं। इस घटना से पहले वह फिल्मों में लीड एक्ट्रेस की भूमिका में नजर आती थीं, लेकिन बाद में फिल्म मेकर्स और डायरेक्टर्स ने उन्हें लीड रोल में लेने से मना कर दिया।
हादसे का असर करियर पर पड़ा
ऐसा भी कहा जाता है कि इलाज के चलते ललिता पवार को 3 साल तक घर पर बेकार बैठना पड़ा और जब वो पर्दे पर लौटीं तो उन्हें सिर्फ मां, बहन और सास के रोल ही मिलने लगे और फिर ललिता पवार सिर्फ चरित्र भूमिकाओं तक ही सीमित रह गईं। चरित्र भूमिकाएं निभाकर ललिता ने जो स्टारडम हासिल किया वो शायद आज के लीड्स को मिल पाना बेहद मुश्किल है।
जिंदगी में फिर टूटा दुखों का पहाड़
खबरों की मानें तो ललिता की जिंदगी से जंग यहीं खत्म नहीं हुई, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ललिता पवार की जिंदगी पर फिर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा और उनकी शादीशुदा जिंदगी तब बर्बाद हो गई जब उनके पति फिल्म निर्माता गणपत राव ने उनकी छोटी बहन के साथ अफेयर शुरू कर दिया, फिर ललिता अपने पति से अलग हो गईं और बाद में उन्हें कैंसर हो गया और कैंसर से लड़ते हुए उनकी तबीयत धीरे-धीरे खराब होती गई और आखिरकार वो ये जंग हार गईं। 24 फरवरी 1998 को ललिता का निधन हो गया।
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