90 के दशक के पंजाब के मशहूर गायक अमर सिंह चमकीला को आज भी लोग नहीं भूल पाए हैं। उनकी मौत का रहस्य आज भी बना हुआ है। लेकिन आजकल उनकी मौत का रहस्य जोरों पर है। दरअसल, चमकीला की हत्या के 36 साल बाद बॉलीवुड डायरेक्टर इम्तियाज अली ने उन पर बायोपिक बनाई है। ‘अमर सिंह चमकीला’ नाम की यह फिल्म आज यानी 12 अप्रैल को ओटीटी पर रिलीज होगी। फिल्म में चमकीला का किरदार पंजाबी गायक-अभिनेता दिलजीत दोसांझ ने निभाया है और उनकी पत्नी अमरजोत का किरदार परिणीति चोपड़ा ने निभाया है। इस फिल्म से इम्तियाज अली 4 साल बाद निर्देशन में वापसी कर रहे हैं।
इस फिल्म की कहानी भी चमकीले की मौत के दिन से शुरू होती है। गांव में मंच बनाया गया। मंच के सामने लोगों की भीड़ अपने पसंदीदा लोकगायक अमर सिंह चमकीला का इंतजार कर रही थी। इसके बाद एंकर मंच से घोषणा करता है, ‘दिल थाम के बैठें मंच पर आ रहा हैं आपका पसंदीदा गायक चमकीला।’ चमकीला अपनी पत्नी अमरजोत के साथ स्टेज के बाईं ओर से चढ़ रहे थे। इसी बीच कुछ बाइक सवार मंच के पास पहुंचते हैं और अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। गोलीबारी में चमकीला और अमरजोत की मौके पर ही मौत हो जाती है। अपनी मौत के वक्त चमकीला सिर्फ 27 साल के थे। हालांकि, उनकी मौत क्यों हुई और उनकी मौत का जिम्मेदार कौन था, इसके बारे में कोई जानकारी जारी नहीं की गई है। लेकिन उनकी मौत को लेकर कई धारणाएं हैं, जिन पर आज हम चर्चा करेंगे।
कौन था अमर सिंह चमकीला?
अमर सिंह चमकीला 1970 और 1980 के दशक में पंजाब के सबसे लोकप्रिय गायकों में से एक थे। उनका जन्म 1960 के दशक में लुधियाना जिले के दुगरी में हुआ था। उनका असली नाम धनीराम था। अपनी पारिवारिक ज़िम्मेदारियों के कारण, उन्हें कम उम्र में कारखानों और गायन के मैदानों में सहायक के रूप में काम करने के लिए मजबूर होना पड़ा। खबरों की मानें तो अमर सिंह चमकीला की दो शादी हुई थी। उनकी पहली शादी गुरमिल कौर से हुई थी। अपनी शादी के कुछ साल बाद, 1978-79 में, अमर सिंह ने अपने गाने लिखना और गाना शुरू किया। अमर सिंह चमकीला का पहला रिलीज़ गाना ‘टकुए ते टकुआ खड़के’ था। अमर सिंह चमकीला ने अपने सिंगिंग करियर की शुरुआत में कई लड़कियों के साथ स्टेज जोड़ी बनाई लेकिन अमरजोत कौर के साथ उनकी जोड़ी काफी हिट रही। अमरजोत कौर बाद में उनकी दूसरी पत्नी भी बनीं। चमकीला अखाड़े के मंच पर गाते थे, लेकिन उस समय की बड़ी-बड़ी नामी म्यूजिक रिकॉर्ड कंपनियां उनके गाने रिकॉर्ड करती थीं और उसके बाद उनके ग्रामोफोन कैसेट हाथों-हाथ बिक जाते थे।
हालांकि , चमकीला के संगीत का एक वर्ग उसके दोहरे अर्थ और अश्लील गीतों के कारण उससे नाराज भी रहता था, लेकिन चमकीला पर इसका कोई असर नहीं हुआ और वह अपने गाने गाते रहे।
हत्या की गुत्थी अभी तक सुलझ नहीं सकी
8 मई 1988 को अमर सिंह चमकीला और उनकी पत्नी अमरजोत कौर को पंजाब के जालंधर के मेहसामपुर में दोपहर का एक शो करना था। इस शो के दौरान एक अज्ञात मोटरसाइकिल सवार द्वारा की गई फायरिंग में इन दोनों की मौत हो जाती है। उनकी मृत्यु को लेकर कुछ लोगों का मानना था कि, चमकीला का नाम उस दौर में इतना पॉपुलर हो गया कि इंडस्ट्री के बड़े-बड़े कलाकार उनसे चिड़ने लगे। वे सोचने लगे कि जो कलाकार इंडस्ट्री में हमसे बाद में आया था, वह आज हमसे आगे निकल गया। ऐसे में कई लोगों ने उनकी मौत को साजिश बताया।
‘ऑनर किलिंग’ से जुड़ा मामल
अमर सिंह चमकीला की मौत का दूसरा एंगल ‘ऑनर किलिंग’ भी बताया गया था। कई लोगों का मानना है कि उनकी दूसरी पत्नी अमरजोत कौर ऊंची जाति से थीं, वहीं चमकीला एक दलित परिवार से थे। दोनों का एक साथ आना लोगों की आंखों में खटकने लगा था और वे उस रिश्ते को खत्म करना चाहते थे जो दो समाजों के बीच अंतर पर हमला कर रहा था।
हालांकि, एक वर्ग का यह भी मानना है कि अमर सिंह चमकीला के गाने खालिस्तान समर्थकों पर सीधा हमला थे और इसलिए उनकी हत्या के पीछे खालिस्तानी ताकतों का हाथ था।
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