वैलेंटाइन डे के दौरान हर साल दिल्ली का मशहूर मुगल गार्डन आम जनता के लिए खोला जाता है। इस बार कल यानी 12 फरवरी शनिवार से इस गार्डन को पब्लिक से खोला जाएगा। 16 फरवरी तक ये गार्डन खुला रहेगा। गुरुवार को इसकी जानकारी राष्ट्रपति भवन की तरफ से दी गई। 12 फरवरी से लेकर 16 मार्च तक पब्लिक को सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक मुगल गार्डन में एंट्री मिलेगी। सोमवार को मुगल गार्डन बंद रहेगा। हालांकि इसके लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन भी कराना जरूरी होगा। बिना रजिस्ट्रेशन के गार्डन में आने में आने की इजाजत नहीं होगी।
ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन से मिलेगी एंट्री
15 एकड़ में फैला राष्ट्रपति भवन में स्थित मुगल गार्डन काफी खास है। हर साल बड़ी संख्या में लोग गार्डन में आकर एंजॉय करते हैं। हालांकि कोरोना महामारी की वजह से पिछले दो सालों से मुगल गार्डन में आने पर कई तरह की पाबंदियां लगाई जा रही हैं। अभी भी कोरोना का खतरा पूरी तरह से टला नहीं, जिसके चलते केवल ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराने वालों को ही मुगल गार्डन में आने की इजाजत दी गई है।
ऐसे कराएं रजिस्ट्रेशन
अगर आप भी मुगल गार्डन घूमने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो इससे पहले ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करा लें। ये पूरी तरह से मुफ्त होगा।
रजिस्ट्रेशन कराने के लिए आपको राष्ट्रपति भवन की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाना होगा। https://rb.nic.in/rbvisit/rbvisit_mughal.aspx पर जाएं। यहां आपको Click Here for Online Booking पर जाना होगा। इसके बाद आपके पास एक कैलेंडर खुलकर आएगा। यहां से डेट और स्लॉट सेलेक्ट करें। अगर वो स्लॉट बुक रहता है तो आपको आगे कोई स्लॉट देखना होगा, जिसमें जगह हो। साथ ही लोगों की संख्या भी दर्ज करें। इसके बाद अगले पेज पर आपको आईडी कार्ड नंबर डालना होगा। साथ ही फोन नंबर भी डालें,जिस पर आपका ओटीपी आएगा। ओटीपी डालने के बाद आपका रजिस्ट्रेशन हो जाएगा। मुगल गार्डन में राष्ट्रपति भवन के 35 नंबर गेट से ही आम लोगों को एंट्री मिलेगी। ये नार्थ एवेन्यू रोड की ओर पड़ता है।
क्यों इतना खास हैं मुगल गार्डन?
हर साल लोग मुगल गार्डन खुलने का लोग बेसब्री से इंतेजार करते हैं। यहां लोगों को तरह तरह के खूबसूरत फूल देखने को मिलते हैं। मुगल गार्डन में सैकड़ों तरह के गुलाब और ट्यूलिप के फूल खिलते हैं। यहीं नहीं यहां आप विदेशी फूलों का भी दीदार कर सकते हैं। हर्बल गार्डन कई दुर्लभ जड़ी-बूटियों का खजाना समेटे हुए हैं।
मुगल गार्डन में 12 तरह के गार्डन हैं। रोज गार्डन के साथ इसमें बायो डायवर्सिटी पार्क, म्यूजिकल फाउंटेन, हर्बल गार्डन, बटरफ्लाई, सनकीन गार्डन, कैक्टस गार्डन, न्यूट्रीशियन गार्डन और बायो फ्यूल पार्क की भी सैर कर सकते हैं। यहां आपको ट्यूलिप, मोगरा-मोतिया, रजनीगंधा, बेला, रात की रानी, जूही, चम्पा-चमेली जैसे ढेरों अलग अलग तरह के फूल देखने को मिलेंगे।
मुगल गार्डन में दो अलग-अलग बागवानी परंपराएं हैं। इसमें मुगल शैली और अंग्रेजी फूलों का बगीचा है। गार्डन के साथ आप यहां राष्ट्रपति भवन का संग्राहलय भी देख सकते हैं। मुगल गार्डन में थोड़ा आगे बढ़ने पर आपको रोज गार्डन देखने मिलेगा, जिसमें गुलाब की तकरीबन 135 किस्में हैं। ये दुनिया के बेस्ट रोज गार्डन्स में से एक है।
मुगल गार्डन की हिस्ट्री…
मुगल गार्डन के नाम से तो ऐसा लगता है कि लाल किला समेत ऐतिहासिक इमारतों की तरफ इसको भी मुगल शासक ने बनवाया, लेकिन ऐसा है नहीं। मुगल गार्डन का नाम ब्रिटिश शासन के दौरान हुआ। आजादी से पहले राष्ट्रपति भवन का नाम वायसराय हाउस था। उस दौरान कोलकाता राजधानी होती थीं। जब राजधानी को दिल्ली शिफ्ट करने का फैसला किया गया, तो वायसराय हाउस को नए तरीके से डिजाइन करने के लिए ब्रिटिश वास्तुकार सर एडिवन लूटियंस को इंग्लैंड से बुलाया गया।
1911 में जब दिल्ली को राजधानी बनाया गया। रायसीना की पहाड़ी को काटकर वायसराय हाउस बनाया गया। बताया जाता है कि वायसराय हाउस में फूलों का खास बाग बनाया गया, लेकिन तत्कालीन वायसराय लॉर्ड हार्डिंग की पत्नी लेडी हार्डिंग को ये बाग पसंद नहीं आया। बाद में लूटियंस ने मुगल गार्डन का नक्शा खींचा। साल 1917 की शुरुआत में मुगल गार्डन के डिजाइन को अंतिम रूप दिया गया। 1928 में मुगल गार्डन बनकर तैयार हुआ था। लुटियंस ने गार्डन में भारतीय संस्कृति और मुगलशैली की झलक पेश की। देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने आम लोगों के लिए इसे खुलवाया, तब से आज तक हर साल बसंत ऋतु में इस गार्डन को आम लोगों के लिए खोला जाता है।