आजाद भारत का अब तक का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट, जिसके पूरा होते ही देश में फैली महंगाई 50 फीसदी तक कम हो जाएगी। जिसके आने के बाद आपकी जरूरत का सामान आपके पास 24 घंटे में पहुंच जाएगा और वो भी पुराने दामों से कई गुणा कम पर…जी हां, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आने वाले साल 2022 में एक ऐसी ही परियोजना का उद्घाटन करेंगे, जिसका सपना भारत के पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने देखा था।
आजाद भारत के सबसे बड़ी परियोजना का नाम है, Dedicated Freight Corridor project। इंडियन रेलवे में रफ्तार लाने के लिए साल 2006 में इस परियोजना की शुरूआत की गई थी। लेकिन सरकार बदलने के साथ ही ये परियोजना कुछ वक्त के लिए रूक गई। मगर अब पीएम मोदी ने इस परियोजना को पूरा करना का मन बना लिया। इस परियोजना के लिए Dedicated Freight Corridor Corporation of India Limited बनाया गया है जो इस पूरे प्रजोक्ट की देखरेख करेगा।
81 करोड़ से ज्यादा लागत
81,459 crore रुपये की लागत से पूरे होने वाली इस परियोजना को अभी दो अलग अलग फेस में बनाया जा रहा है। Western Dedicated Freight Corridor और eastern Dedicated Freight Corridor। क्या है ये प्रोजेक्ट, और क्यों जरूरी है भारत के विकास के लिए…भारत की तरक्की में इसका क्या अहम रोल होगा… क्यों बनाया जा रहा है ये प्रोजक्ट…इन सभी पर चर्चा करेंगे।
क्या है Dedicated Freight Corridor ?
सबसे पहले ये जानना जरूरी है कि क्या है Dedicated Freight Corridor project। Dedicated Freight Corridor भारतीय रेलवे का अब तक का सबसे बड़ा प्रोजक्ट है, ये उन मालगाड़ियों को रफ्तार देने के लिए बनाया जा रहा है। इसके पूरा होने के बाद जो मालगाड़ियां 30 किलोमीटर की रफ्तार से चलती है वो 80 से 100 किलोमीटर की रफ्तार से चलेगी।
क्या इससे होगा फायदा?
आसान भाषा में समझे तो अब इंडियन रेलवे में पैसेंजर ट्रेन और मालगाड़ियों, दोनो के लिए एक ही ट्रैक है। और पैसेंडर ट्रेन को रास्ता देने के लिए मालगाड़ियों को कई घंटो तक खड़ा रहना पड़ता है। इसके कारण मालगाड़ियां जो कि 24 घंटे में अपने गणतव्य तक पहुंचनी चाहिए थी वो कई दिनो में पहुंचती है। इस कारण इसका खर्च भी बढ़ जाता है जिससे सामान के दाम की वैल्यू भी बढ़ जाती है। जो मंहगाई का एक बड़ा कारण है।
लेकिन इस योजना के लागू होने के बाद मालगाड़ियों के लिए अलग से ट्रैक बनाए जा रहे है, जो पूरी तरह से इलेक्ट्रिक इंजन से चलेंगे। साथ ही इन मालगाड़ियों में डबल डेकर कंटेनर रख कर सामान को गणतव्य तक पहुंचाया जा सकेगा। जिससे सामान जल्दी और ज्यादा मात्रा में पहुंचेगा। इस परियोजना के लागू होने के बाद पैसेंजर ट्रेन को भी लाभ होगा।
कैसे करेगा काम?
इस परियोजना को 2 अलग अलग फेस में बनाया जा रहा है। Western Dedicated Freight Corridor और eastern Dedicated Freight Corridor।
फिल्हाल Western Dedicated Freight Corridor पूरा होने वाला है, जिसे साल 2022 में शुरू करने की भी योजना है। तो वहीं Eastern Dedicated Freight Corridor को साल 2024 में पूरा करना का लक्ष्य रखा गया है। इस योजना में करीब 81,459 crore रूपये की लागत आ रही है। जो अब तक का सबसे महंगा प्रोजक्ट है।
Western Dedicated Freight Corridor 1504 किलोमीटर लंबा है जो कि यूपी के दादरी से शुरू होकर महाराष्ट्र के जेएन पोर्ट मुम्बई तक जाएगी। तो वहीं Eastern Dedicated Freight Corridor सोहनेवाला लुधियाना पंजाब से शुरू होकर पश्चिम बंगाल के दखुनी बंदरगाह तक जाएगा। ये 1856 किलोमीटर लंबा है।
इसके लिए बनने वाले रेलवे ट्रैक को पूरी एडवांस टेक्नॉलॉजी के साथ बनाया जाता है। इंडियन रेलवे और डीएफसी के मालगाड़ी रेलवे ट्रैक में एक उचित दूरी बनाई गई, जो कि सामान्य दूरी का दोगुना है। ताकि जब फ्रेट ट्रेन सामान लेकर जाए तो इसका प्रभाव दूसरे ट्रेनों पर न पड़े। डीएफसी में कही भी लेबल क्रॉसिंग नहीं दी गई है। इसमें या तो पुल बनाए गए है या फिर सुरंग बनाई गई है। ताकि इसकी गति पर प्रभाव न पड़े।
इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए हरियाणा के सोहना में अरावली पर्वत की पहाड़ियों के बीच से करीब 1 किलोमीटर की सुरंग बनाई गई ताकि परियोजना में कोई बाधा न आए। जबकि रिपोर्ट की मानें तो अगर पर्वत के पास से घुमाकर ले जाया जाता तो इसमें 40 किलोमीटर दूरी और बढ़ जाती। लेकिन ऐसा करने के बजाए सुरंग बना दी। इस सुरंग को इलेक्ट्रिक डबल स्टेक कंटेनर को ले जा सके…उतना ऊंचा बनाया गया है।
क्या-क्या होगी खासियत?
इस पूरे इलेक्ट्रोनिक्स सिस्टम की देखरेख के लिए प्रयागराज में ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर बनाया गया है। जिसमें पूरी तरह से नई तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इसी के साथ कुछ प्रेसिडींग स्टेशन भी बनाए जाएंगे। जहां जरूरी ट्रेनों को पहले आगे जाने के लिए सिग्नल दिए जाएंगे। डीएफसी की लूप लाइन को भी 2 किलोमीटर बनाई जा रही है। ताकि कम से कम 2 किलोमीटर ट्रेन बनाई जा सकी। डीएफसी के ट्रेक को बनाने के लिए नई तकनीक वाले ट्रेकिंग मशीन को लाया गया जो रोजाना 1.5 किलोमीटर ट्रैक बिछाती है। इसे ऑटोमेटिक ट्रेन लेन मशीन कहा जाता है। इसके ट्रैक बिछाने के लिए फिश प्लेट का इस्तेमाल नहीं किया गया है। यानि की गैपिंग नहीं है।
इसमें हादसे को रोकने और स्पीड को बरकरार रखने के लिए ऑटोमेटिक सिग्नलिंग का इस्तेमाल किया गया है। जो कि हर एक किलोमीटर पर लगाया गया। इसमें 4 लाइट लगे है एक रेड, एक ग्रीन और 2 येलो। यानि कि अगर कोई ट्रेन 3 किलोमीटर की दूरी पर है तो ऑटोमेटिक 2 येलो लाइट जल जायेंगे यानि कि ये संकेत होगा कि ट्रेन की स्पीड को 60 किलोमीटर प्रति घंटा कर लिया जाए। तो वहीं एक येलो लाइट का मतलब है कि 30 की स्पीड से गाड़ी चलानी है।
डीएफसी के लिए इस्तेमाल होने वाली ट्रेनों में डबल Wag 12 इंजन का इस्तेमाल किया जाएगा। 2 किलोमीटर की ट्रेन होने के कारण बीच में एक Wag 9 इंजन लगाया गया था कि कपलिंग पर इसका ज्यादा प्रभाव ना पड़े। साथ ही ब्रेक लगाने की सूरत में ये डिब्बों के बीच संतुलन बनाए रख सकें।
आपको बता दें कि इंडियन रेलवे को 63 प्रतिशत कमाई फ्रेट ट्रेनों से होती है, इसलिए सरकार डीएफसी के रेलवे ट्रैक के आसपास इंडस्ट्री खड़े करने की भी प्लानिंग है। जिससे लॉडिंग अनलॉडिंग आसान हो जाए। इसके अलावा इन ट्रेनों के लिए अलग से रेलवे स्टेशन बनाए जा रहे है। ताकि वहां पर आसानी से लॉडिंग अनलॉजिंग किया जा सके।
इसी के साथ बंदरगाहों के आसपास लॉजिस्टिक पार्क में भी डीएफसी के रेलवे स्टेशन बनाने की तैयारी चल रही है..ताकि अधिक संख्या में कंटेनर सीधा बंदगाहों में रखे जा सके। और इनका आयात निर्यात जल्द से जल्द हो सके। बता दें कि फिलहाल यहां तक सीधा कंटेनर को पहुंचाने के लिए रेल लाइन नहीं बिछाई गई थी, लेकिन अब इस परियोजना में पार्क में ही रेल लाइन बिछाई जा रही है। जिससे सीधा कंटेनर बंदरगाहों के लॉजिस्टिक पार्को तक पहुंच जाएं।
डीजल इंजन के बजाए एल्सस्टर्न कंपनी ने wag 12 नाम का इलेक्टॉनिक इंजन बनाया गया। इस इंजन को डबवल स्टक वाली ट्रेनों को चलाने के लिए बनाया गया जिससे डीजल का खर्च बंद हो जाएगा। इन इंजन से भारत सरकार की 12 हजार करोड़ रूपये बचत सलाना होगी।
इन दोनों परियोजना के तहत दो और डीएफसी परियोजना है, लेकिन फिलहाल वो प्रस्तावित है। लेकिन इन दोनों पर काम जारी है। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले साल में ये परियोजना पूरी हो जाएगी, जिसके बाद देश की उन्नति नए शिखर पर पहुंच जाएगी।