वेलेंटाइन वीक की शुरुआत कल यानी रविवार से हो रही है। 7 फरवरी से लेकर 14 फरवरी तक एक हफ्ते रोजाना ही कोई ना कोई अलग दिन हर साल मनाया जाता है। 7 फरवरी को रोज डे होता है और इसके बाद चॉकलेट, किस जैसे डे भी मनाए जाते हैं। 14 को वेलेंटाइन डे आता है, जो कपल्स के लिए काफी खास होता है। कपल अपने साथी के साथ इन दिनों को अपने प्यार का इजहार करने के लिए मनाते हैं। लेकिन सिंगल्स के लिए ये दिन थोड़े दुख भरे होते होंगे।
3 सालों में किया 45 लड़कियों को डेट
ऐसा ही एक शख्स और है, जिसने सिंगल से मिंगल होने का ऐसा जुगाड़ निकाला कि वो 45 लड़कियों को डेट कर चुका है। इस शख्स का नाम शकुल है। शकुल वेलेंटाइन डे पर किराए पर बॉयफ्रेंड बनते हैं। वो तीन सालों से ऐसा करते आ रहे हैं और अब तक 45 लड़कियों को डेट कर चुके हैं।
ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे नाम के एक पेज पर शकुल ने अपनी ये दिलचस्प स्टोरी शेयर की। उन्होनें बताया- ‘मेरी लाइफ में कोई गर्लफ्रेंड नहीं थीं। मैं सिर्फ एक बार किसी को हां बोलना चाहता हूं। मेरे दोस्त जब डेट पर जाते थे, तो मैं बहुत दुखी होता था और फिर अकेले निकल जाता था। लेकिन अब बहुत कुछ बदल चुका है।’
इस वजह से ऐसा करना किया शुरू
शकुल ने आगे बताया- ‘वेलेंटाइन डे मुझे ये बताता था कि गर्लफ्रेंड बनाने में मैं कितना कमजोर हूं। जब कपल्स एक दूसरे को प्रपोज करते थे, तो मुझे दुख होता। मैं भी कई लड़िकयों को प्रपोज किया, लेकिन उन्होनें मुझे सिर्फ दोस्त कहकर रिजेक्टर कर दिया। फिर मैनें ये सोचा कि कुछ लड़कियां भी तो ऐसी होगीं, जो अकेली रहती होगीं और वेलेंटाइन डे पर पार्टनर पाने की चाहत रखती होगी।’
इसके बाद शकुल ने किराए पर बॉयफ्रेंड बनना शुरू किया, वो बीते तीन सालों से ऐसा करते आ रहे हैं और अब तक 45 लड़िकयों को डेट कर चुके हैं। शकुल कहते है कि उनकी इस कोशिश से दोनों को भले ही कुछ पल के लिए, लेकिन खुशी मिलती हैं। उनका कहना है कि उनको साथी की कमी तो जरूर महसूस होती है, लेकिन उतना दुख नहीं होता, जितना पहले होता था।
‘मुझे इसमें कोई शर्म नहीं’
शकुल का कहना है कि उन्हें इस बात में कोई शर्म नहीं कि वो ‘बॉयफ्रेंड ऑन रेंट’ बनते हैं। उन्होनें बताया कि एक बार मैं एक लड़की के साथ डेट पर गया, वो बहुत रो रही थी। उसने बताया कि वजन के चलते कोई लड़का उसका नहीं होना चाहता, जिसके चलते उसे बहुत बुरा लगता है। एक दूसरी लड़की ने मुझे पूछा कि क्या आप मुझे गले लगा सकते हैं? मैं इस तरह की कई लड़कियों से मिला और उनका अकेलापन बांटने की कोशिश भी की।
शकुल कहते हैं कि इन डेट्स के जरिए उनको नए नए दोस्त मिलते हैं। लेकिन इसके चलते उनका सोशल मीडिया पर इसके लिए मजाक भी उड़ता था। कुछ लोगों ने तो इसके लिए उन्हें ‘जिगलो’ भी कहा। शकुल के कहा कि इसके लिए मेरे परिवारवाले भी ऐसे देखते थे कि जैसे मानो उन्होनें मेरी परवरिश में कोई कमी छोड़ी। वो कहते थे कि ये भारत की संस्कृति नहीं। शकुल ने कहा कि लोग ये नहीं समझते कि वो ऐसा क्यों करते हैं। वो बोले कि ये सच है- जब दो अकेला महसूस करने वाले लोग मिलते हैं, तो उनका अकेलापन खो जाता है और ये काफी खास होता है।’