बच्चे की परवरिश प्यार,दुलार और बहुत कुछ सीखने की एक सुखद यात्रा है. जिसमें सभी मां बाप अपने बच्चे को हर सुख सुविधा प्रदान करते हैं. प्रत्येक मां बाप की सोच होती है कि उनका बच्चा शारीरिक और मानसिक तौर पर पूर्ण रूप से बुद्धिमान और स्वस्थ हो. जब मस्तिष्क विकास की बात आती है तो मां बाप का अपने बच्चे के साथ किया गया व्यवहार और बातचीत का तरीका बच्चे की संज्ञानात्मक विकास पर महत्वपूर्ण रूप से असर डालता है. आज हम आपको तीन ऐसी महत्वपूर्ण बातों के बारे में बताएंगे जो बच्चों के बुद्धि के विकास के साथ ही उन्हें स्मार्ट और होशियार बनाती है.
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धीमी आवाज में वार्तालाप
बच्चों के पालन पोषण के दौरान सबसे सकरात्मक तकनीकों में से एक यह है कि आप अपने बच्चों से बातचीत करते वक्त धीमी आवाज में बात करें. साथ ही बच्चों के सामने चीखने चिल्लाने या उन पर किसी गलती का दोष मढ़ने से बचना चाहिए. उनसे बात करते समय शांत और सौम्य लहजा अपनाना चाहिए, जो बच्चे के मस्तिष्क और व्यक्तित्व पर गहरा प्रभाव डालता है. माता-पिता के धीरे बोलने से बच्चे के लिए एक सुरक्षित और स्वास्थ्य वातावरण तैयार होता है, जिसमें बच्चे बिना किसी भय के सहज महसूस करते हैं. शांतिप्रिय लहजा एक विश्वास उत्पन्न करता है, जो माता पिता और बच्चे के बंधन को मजबूत करता है.
बच्चों की आपसी तुलना से बचें
हर बच्चे में अलग गुण, प्रतिभा और व्यक्तित्व मौजूद होता है. माता पिता अक्सर अपने बच्चे की तुलना अन्य बच्चों के साथ करने लगते है लेकिन मां बाप को ऐसा करने से परहेज करना चाहिए, क्योंकि किसी के साथ की गई तुलना गुस्से को जन्म देती है और आत्मसम्मान को ठेंस पहुंचाती है. प्रत्येक मां बाप को अपने बच्चे की खूबियों की प्रशंसा करनी चाहिए और उनके साथ मिलकर सेलिब्रेट करना चाहिए.
खामियों को स्वीकार करें
माता पिता को उनके बच्चों की हर हरकतों पर नजर रखना चाहिए. उनकी गलतियों को सुधारने से उन्हें अपने अनुभवों से सीखने और अपनी सोच को विकसित करने का अवसर मिलता है. जब बच्चों को गलतियां करके उनसे सीखने की इजाजत मिल जाती है तो इससे उनमें आत्मविश्वास पैदा होता है और वे मानसिक रूप से परिपक्व होते है.
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