देश में कोरोना की दूसरी लहर का असर अब भले ही कम पड़ता नजर आ रहा हो, लेकिन वायरस के खिलाफ जंग अभी भी जारी है। तीसरी लहर के खतरे के बीच देश में वैक्सीनेशन अभियान लगातार तेज करने की कोशिश की जा रही हैं। अभी तो मुख्य तौर पर देश में दो ही कोरोना वैक्सीन- कोवैक्सीन और कोविशील्ड लगाई जा रही हैं।
एंटीबॉडी पर हुई रिसर्च
इन दोनों वैक्सीन में से ज्यादा कौन-सी असरदार है? किससे शरीर में ज्यादा एंटीबॉडी बनती है? ये सवाल आपके मन में अक्सर ऐसे सवाल आते होंगे। एंटीबॉडी को लेकर एक नई स्टडी की रिसर्च सामने आई है, जिसमें बताया गया है कि कोवैक्सीन और कोविशील्ड में से किस वैक्सीन से ज्यादा एंटीबॉडी बनती हैं। तो आइए आपको बताते हैं कि इस स्टडी में क्या बात निकलकर सामने आई है।
कोविशील्ड में ज्यादा बनी एंटीबॉडी
सबसे पहले हम आपको ये बताते हैं कि आखिर एंटीबॉडी होती है। एंटीबॉडी हमारे शरीर का वो तत्व होता है, जिसका निर्माण इम्यून सिस्टम में वायरस को बेअसर करने के लिए किया जाता है। कोरोना से संक्रमित हो चुके मरीजों में एंटीबॉडी बनती है। कोरोना को मात दे चुके 100 मरीजों में से अमूमन 70 से 80 में एंटीबॉडी बनती हैं। आमतौर पर कोरोना से ठीक हो चुके दो हफ्ते के अंदर शरीर में एंटीबॉडी बन जाती है।
अब आपको बताते हैं कि नई स्टडी में एंटीबॉडी को लेकर क्या बड़ा खुलासा हुआ है। स्टडी में ये बात सामने आई है कि कोविशील्ड वैक्सीन ज्यादा एंटीबॉडी बनाती है। स्टडी के मुताबिक वैसे तो कोवैक्सीन और कोविशील्ड दोनों ही असरदार हैं, लेकिन कोविशील्ड में ज्यादा एंटीबॉडी पाई गई है।
स्टडी 515 स्वास्थ्यकर्मियों पर की गई। इसमें से 90 को कोवैक्सीन की दोनों डोज दी गई। दोनों समूह में 95 प्रतिशत तक कर्मचारियों में एंटीबॉडी बनी। कोविशील्ड वैक्सीन लेने वाले समूह में 98 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी बनी, जबकि कोवैक्सीन वाले समूह में 80 प्रतिशत एंटीबॉडी मिलीं।
तो स्टडी के निष्कर्ष में ये कहा गया कि वैसे तो दोनों वैक्सीन लगवा चुके हेल्थकेयर वर्कर्स में इम्यून रिस्पॉन्स अच्छा था। हालांकि कोविशील्ड वैक्सीन ने बेहतर एंटीबॉडी बनाईं।