चीन ने दुनियाभर में फैले कोरोना वायरस ने बीते एक
साल से भी ज्यादा समय से कई देशों में अपना कहर मचाया हुआ है। इस वैश्विक महामारी
की चपेट में दुनियाभर में अबतक करोड़ों लोग आ चुके हैं। जबकि लाखों की संख्या में
लोगों को ये वायरस मौत की नींद सुला चुका हैं।
कोरोना वायरस ने लोगों के आम जनजीवन को काफी हद तक
बदल कर रख दिया। मास्क से लेकर सैनिटाइजर और सोशल डिस्टेंसिंग को हमारे डेली रूटीन
में जोड़ दिया। बात अगर सैनिटाइजर की करें तो कोरोना काल में इसकी डिमांड काफी
ज्यादा बढ़ गई। लोग किसी भी चीज को छूने के बाद आजकल सैनिटाइजर का इस्तेमाल करते
हैं। लेकिन क्या आप जानते का इस्तेमाल खतरनाक भी हो सकता हैं। इसकी वजह से कैंसर
जैसी खतरनाक बीमारी भी होने का डर रहता है।
स्टडी में हुआ ये बड़ा खुलासा
ऐसा हम नहीं कर रहे। ये बातें एक स्टडी में सामने
आईं। दरअसल, स्टडी
में ऐसा खुलासा हुआ है कि दुनिया में इस्तेमाल किए जाने वाले 44 सैनिटाइजर ऐसे हैं,
जो कोरोना से बचाव करने की जगह कैंसर फैला रहे हैं।
44 हैंड सेनिटाइजर में खतरनाक केमिकल्स
न्यू हेवन स्थित ऑनलाइन फॉर्मेसी फर्म वैलिजर ने
सैनिटाइजर को लेकर एक स्टडी की। ये स्टडी दुनियाभर में इस्तेमाल होने वाले 260
हैंड सैनिटाइजर पर की गईं। जिसमें ये बात निकलकर सामने आई कि 44 हैंड सैनिटाइजर
ऐसे है, जिनसे उन
केमिकल्स का इस्तेमाल हो रहा है, जो इंसान की त्वचा के लिए
काफी खतरनाक है। इन केमिकल्स की वजह से कैंसर तक होने का खतरा है। साथ में ये
त्वचा के लिए भी काफी हानिकारक है।
वैलिजर ने अमेरिकी खाद्य एवं औषधि विभाग (एफडीए)
को इसको लेकर जानकारी देने के लिए एक पत्र भी लिखा। जिसमें कहा गया कि कोरोना काल
में हैंड सैनिटाइजर की मांग काफी बढ़ी हैं। इसको लेकर वेलिजर ने कई ब्रांड के 260
से ज्यादा हैंड सैनिटाइजर पर स्टडी की, जिसमें 44 से ज्यादा सैनिटाइजर में बेंजीन समेत
कैंसर पैदा करने वाले कई खतरनाक कैमिकल मिले है।
कितना खतरनाक होता है बेंजीन?
बेंजीन एक लिक्विड केमिकल होता है। आमतौर पर तो ये
रंगहीन होता है, लेकिन
कभी कभी रूम टेंपरेटर पर पीले रंग का दिखता हैं। बेंजीन के उच्च सत्र के संपर्क
में आने से शरीर में ब्लड पॉर्टिकल्स ठीक तरह से काम नहीं कर पाते। कभी रेड ब्लड
पार्टिकल्स बनना बंद हो जाती हैं या फिर व्हाइट ब्लड शेल्स कम होने लगती हैं। इससे
इम्यून सिस्टम भी काफी कमजोर होने लगता है। WHO की
इंटरनेशनल एजेंसी ‘रिसर्च ऑन कैंसर’ ने बेंजीन को एक कार्सिनोजेन के रूप में पहचाना। कार्सिनोजेन शरीर से ही
शरीर में कैंसर होने की संभावना होती हैं। कार्सिनोजेन को सबसे अधिक जोखिम वाली
श्रेणी ग्रुप-1 में रखा गया है।