Snoring Causes and Remedies in Hindi – जब भी कोई शख्स बहुत थक जाता है तब वो ज्यादातर रात के समय खर्राटे लेते हैं. एडल्ट लोगों का खर्राटे लेना आम-सी बात है लेकिन अगर आपके घर में कोई बच्चा खर्राटे ले रहा है तो ये एक खतरनाक हो सकता है. दरअसल, बच्चे नाक से सांस लेते हैं और इनका खर्राटे लेने का मतलब है वो मुंह से सांस ले रहे हैं. जो कि एक ख़तरे की घंटी हो सकती है. वहीँ इस पोस्ट के जरिये हम आपको इस बात की जानकारी देने जा रहे हैं कि क्यों बच्चो को खर्राटे लेना खतरे की घंटी है.
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Snoring Causes and Remedies
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बच्चों में सांस लेने का रास्ता नाक के पीछे होता है. अगर इस पैसेज में कहीं भी ब्लॉकेज होता है तो खर्राटों की आवाज़ आती है. वहीं खर्राटे लेने का मतलब है कि अपर एयरवे में ब्लॉक है. इससे बच्चे की सांस रुक सकती है और ये परेशानी का कारण हो सकता है. लंग्स में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ सकती है. इससे लंग्स और दिल के ब्लड वेसेल (रक्त वाहिकाएं) को ख़तरा होता है आयर ब्लड प्रेशर हाई हो जाता है.
किन कारणों से बच्चे खर्राटे लेते हैं?
बच्चों में एक ग्रंथि होती है जिसको एडिनोइड कहते हैं. एडिनोइड उम्र के साथ सिकुड़ते जाते हैं. अगर ये छोटे नहीं होते हैं तो सांस लेने में दिक्कत होती है. बच्चे का हर वक़्त मुंह खुला रहता है. रात को सोते हुए खर्राटों की आवाज़ आती है. इसलिए डॉक्टर्स को एडिनोइड निकालना पड़ता है. जिससे सांस लेने का रास्ता साफ़ हो जाए और खर्राटे न आएं. वहीं जिन बच्चों में चेहरे का विकार होता है. उनमें बचपन से ही नाक का सेप्टम ठीक नहीं होता. क्लेफ्ट है, जिसकी वजह से एयरवे ठीक नहीं है. इन कारणों से भी ये दिक्कत आती है.
क्यों हैं बच्चों का खर्राटे लेना ख़तरे की घंटी
Snoring Causes and Remedies – 80 पर्सेंट बच्चों में एडिनोइड टोंसिल की वजह से होती है. वहीं 20 पर्सेंट बच्चे जिनमें चेहरे का विकार होता है, उसका इलाज थोड़ा लंबा होता है. अलग-अलग तरह की सर्जरी की जाती है. जिन बच्चों में थोड़ी-बहुत रुकावट रह जाती है उनकी नाक में सी-पैप लगाया जाता है. ये रात को लगानी पड़ती है. लेकिन ज़्यादातर बच्चों में एडिनोइड और टोंसिल को निकालकर इलाज किया जा सकता है.
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