महामारी कोरोना ने फिर से देश को हिलाकर रख दिया है। अब तक दुनियाभर में करोड़ों लोगों को मौत की नींद सुला चुका ये वायरस देश में फिर से तबाही मचाता हुआ नजर आ रहा है। इस वक्त भारत ही वो देश है, जो इसकी सबसे ज्यादा मार झेलने को मजबूर है। देश में कोरोना के आंकड़े रोजाना ही रिकॉर्ड तोड़ते हुए नजर आ रहे हैं। रविवार को एक दिन में सबसे ज्यादा 2 लाख 61 हजार से भी अधिक नए कोरोना केस सामने आए, जबकि इस दौरान 1400 से भी ज्यादा लोगों ने दम तोड़ा।
कोरोना की जो ये दूसरी लहर देश में आई है, वो पहले से भी ज्यादा खतरनाक साबित हो रही है। विशेषज्ञों की मानें तो कोविड का ये जो नया स्ट्रेन जो देश में आया है, वो ना सिर्फ ज्यादा संक्रामक है बल्कि कई गंभीर लक्षण भी लेकर आया है।
कब कोरोना मरीज का जाना चाहिए अस्पताल?
वैसे तो इस दौरान कई मरीज होम क्वारंटीन में ही इस वायरस से जंग लड़ रहे हैं। वहीं, ऐसे भी कई लोग है, जिनको हालत खराब होने की वजह अस्पताल जाने को मजबूर होना पड़ रहा है। लेकिन इस वक्त अस्पतालों की हालत भी अच्छी नहीं। कहीं बेड फुल है, तो कहीं ऑक्सीजन की कमी हो रही है। मरीजों को इलाज के लिए दर दर भटकना पड़ा रहा है। इस वजह से जरूरत होने पर ही अस्पताल जाने की सलाह दी जा रही है। तो ऐसे में आइए आज हम आपको बताते हैं कि आखिर किन हालातों में किसी कोरोना संक्रमित मरीज को अस्पताल का रूख करना चाहिए…
सांस लेने में तकलीफ
कोरोना वायरस एक रेस्पिरेटरी इंफेक्शन है। वायरस हमारे अपर ट्रैक्ट में हेल्दी सेल्स पर अटैक करता है। जिसके चलते मरीज को सांस लेने में परेशानी होती है। इससे मरीज की जान को खतरा बढ़ जाता है। इसलिए अगर सांस लेने में तकलीफ हो रही है, तो इसे नजरअंदाज बिल्कुल ना करें।
ऑक्सीजन लेवल कम होना
कोई व्यक्ति अगर कोरोना वायरस का शिकार हो जाता है, तो उससे संक्रमित मरीज का ऑक्सीजन लेवल पर भी बुरा असर पड़ता है। इससे इंसानों के फेफड़ों के एयर बैग में फ्लूड भर जाता है और शरीर में ऑक्सीजन लेवल की भी कमी हो जाती है। अगर किसी कोरोना संक्रमित मरीज को ये समस्या हो रही है, तो उसको अस्पताल ले जाने में देर ना करें।
बेहोशी या फिर ब्रेन फंक्शन में समस्या
कोरोना के ऐसे भी कई मामले सामने आए हैं, जहां कोरोना मरीजों के ब्रेन फंक्शन और नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है। कई मरीजों में कन्फ्यूजन, बेचैनी, बेहोशी और आलस जैसे लक्षण भी देखे गए। एक्सपर्ट्स का ऐसा कहना है कि अगर किसी मरीज को आसान काम भी करने में परेशानी हो रही हो या फिर कुछ बोलने में लड़खड़ाहट जैसी समस्याएं हो रही है, तो उसको तुरंत ही अस्पताल लेकर जाएं।
छाती में दर्द होना
छाती के दर्द को इग्नोर बिल्कुल भी ना करें। कोरोना वायरस के कई मामले में फेफड़ों की म्यूकोसल लाइनिंग पर हमला करता है। जिसके चलते मरीज को छाती के कई हिस्सों में दर्द और जलन महसूस होने लगती है। अगर किसी मरीज को ये समस्या हो रही है, तो उसको अस्पताल का रूख करना चाहिए।
होठों पर नीलापन होना
कोरोना वायरस से संक्रमित होने पर कई लोगों के होंठ और चेहरे पर नीलापन आ जाता है। ये संकेत होते है कि शरीर में ऑक्सीजन लेवल प्रभावित हो रही है।
कब नहीं जाना चाहिए अस्पताल?
इसके अलावा आज हम आपको कोरोना के कुछ ऐसे लक्षणों के बारे में भी बता देते हैं, जिनके दिखने पर अस्पताल जाने की जरूरत नहीं। घर बैठे ही इमरजेंसी सर्विस को फोन कर इसको लेकर राय ले सकते हैं। इसमें हल्का बुखार, डायरिया, थकावट या कोई दूसरा सामान्य लक्षण शामिल होता है। अगर आपको भी यही लक्षण दिख रहे तो अस्पताल ना जाएं।
बात कोरोना के सामान्य लक्षणों की करें तो इसमें बुखार, खांसी, गले में रूखापन, खराक, बदन दर्द जोड़ों में दर्द, नाक बहना और ऑल ऑफ स्मैल एंड टेस्ट होते हैं। आमतौर पर जिन लोगों में ऐसे लक्षण दिखते हैं, उनको होम क्वारंटीन में ही रहने की सलाह दी जाती है। हालांकि कुछ लोग ऐसे भी होते है, जिनमें ये लक्षण गंभीर हो जाते है। ऐसे हालातों में डॉक्टरों से सलाह लेनी चाहिए।