ये तो हम सभी जानते हैं कि हमारी सेहत के लिए दूध काफी फायदेमंद साबित होता है, जिस वजह से बच्चे से लेकर बड़े-बूढ़े तक को डॉक्टर्स रोजाना दूध का सेवन करने की सलाह देते हैं. वहीं अब देश में मिलने वाले पैकेज्ड दूध को लेकर खाद्य नियामक भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया गया है.
देशभर में किए गए सर्वे के अनुसार कहा जा रहा है कि कच्चे दूध से दोगुना जहरीला पैकेज्ड दूध होता है. कई प्रमुख ब्रांड के कच्चे दूध और पैकेज्ड दूध के नमूने तय मानकों और निर्धारित गुणवत्ता पर खरे नहीं उतरे हैं. जिसके चलते पैकेज्ड दूध (प्रोसेस्ड मिल्क) के 10.4 प्रतिशत नमूने सुरक्षा मानकों पर नाकाम रहे और ये कच्चे दूध की तुलना में बहुत ज्यादा हैं. इतना ही नहीं इनमें एंटीबायोटिक, कीटनाशक और एफ्लाटॉक्सिन- एम 1 जैसे जहरीले पदार्थ पाए गए हैं. प्रोसेस्ड दूध में एफ्लाटॉक्सिन ज्यादा, जो पशु आहार में प्रयोग होता है.
FSSAI के सीईओ पवन अग्रवाल ने 18 अक्टूबर, शुक्रवार को कहा कि लोगों का मानना है कि दूध में मिलावट अधिक गंभीर समस्या है, मगर इससे बड़ी परेशानी तो दूध का दूषित होना है. प्रोसेस्ड दूध के 2,607 नमूनों ऐसे निकले जिनमें 37.7 प्रतिशत नमूनों में फैट, माल्टोडेक्सट्रिन,एसएनएफ और शुगर की मात्रा तय सीमा से अधिक मिला. विशेषज्ञों के अनुसार पशु आहार में एफ्लाटॉक्सिन का लंबे वक्त से प्रयोग किया जा रहा है, जो व्यक्ति की सेहत के लिए काफी खतरनाक है.
उठाए जा सकते हैं कड़े कदम
आपको बता दें कि नवंबर 2018 में एफएसएसएआई ने राष्ट्रीय दुग्ध सर्वे 2018 के दौरान एक रिपोर्ट जारी की गई थी. जिसमें मिलावटी दूध को लेकर बहुत सारे चौंकाने वाले खुलासे सामने आए थे. वहीं बीते शुक्रवार को एफएसएसएआई ने राष्ट्रीय दुग्ध सर्वे 2018 की आखिरी रिपोर्ट जारी की है. जिसे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को भी सौंप गया है. मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि रिपोर्ट को देखते हुए मिलावटी दूध को रोकने के लिए जल्द ही कड़े कदम उठाए जाएंगे.
दिल्ली में लगभग 65 प्रतिशत पैकेट वाले दूध का प्रयोग
सर्वे के अनुसार दिल्ली में 60 से 65 प्रतिशत तक पैकेट दूध का इस्तेमाल होता है. बाहरी दिल्ली को छोड़ने के अलावा मध्य दिल्ली में लगभग 95 प्रतिशत तक पैकेट दूध का ही इस्तेमाल होता है. बता दें कि दिल्ली के 262 नमूने लिए गए थे, जिनमें 194 प्रोसेस्ड और 68 त्वरित दूध के नमूने थे. इनमें 38 नमूनों की जांच में एफ्लाटॉक्सिन एम1 पाया गया और इन 38 में से सर्वाधिक 36 नमूने पैकेट दूध के शामिल हैं. सिर्फ दो नमूने ऐसे थे, जो त्वरित दूध (पशू से निकला दूध) मिले थे.
दिल्ली के साथ ही कई राज्यों के सैंपल में रसायन
सर्वे के मुताबिक 6432 में से 368 सैंपल में एफ्लाटॉक्सिन एम-1 रसायन हैं, जिनमें सबसे इनमें सबसे अधिक 227 पैकेट वाले दूध के सैंपल हैं. ये सैंपल दिल्ली, पंजाब, यूपी, महाराष्ट्र,केरल, तमिलनाडु और ओडिशा से लिए गए थे जहां से ये घातक रसायन मिला है. अगर बात करें एंटीबॉयोटिक्स दवाओं की तो उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के सैंपल में इनकी मौजूदगी मिली है.
फफूंद से पैदा होता है यह रसायन
डेयरी फार्मिंग में अक्सर एफ्लाटॉक्सिन B-1, B-2 और M-1 और M-2 की चर्चा होती रहती है. वहीं अगर पशु एफ्लाटॉक्सिन बी-1 वाला आहार खा लेता है तो ये सामान्य उपचय द्वारा एफ्लाटॉक्सिन M-1 के तौर पर उनके दूध या पेशाब में निकलने लगता है. बता दें कि एफ्लाटॉक्सिन में ऐसे माइकोटॉक्सिन पाए जाते हैं, जो एस्पर्जिलस फ्लेवस या एस्पर्जिलस पैरासाइटिक्स नामक फफूंद से उत्पन्न होते हैं. इसे फंफूद से पैदा होने वाला जहर भी कहा जाता है. जो मानव के साथ-साथ पशुओं के लिए भी घातक साबित होता है. पशुपालन विभाग के मुताबिक बहुत बार एफ्लाटॉक्सिन नमी और कीटों के जरिए फसलों की खराबी होने पर भी पैदा हो सकता है.