बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने बुधवार को स्वास्थ्य बीमा पर एक मास्टर सर्कुलर जारी किया, जिसमें कहा गया है कि बीमा कंपनियों को पॉलिसी धारकों से दावा अनुरोध प्राप्त होने के एक घंटे के भीतर कैशलेस उपचार की अनुमति देनी होगी। वहीं, बीमा कंपनियों को डिस्चार्ज रिक्वेस्ट मिलने के तीन घंटे के भीतर क्लेम का निपटारा करना होगा। अगर तीन घंटे के भीतर क्लेम का निपटारा नहीं होता है तो बीमा कंपनी अस्पताल के खर्च की भरपाई करेगी।
साथ ही, IRDAI ने एक बयान में कहा कि स्वास्थ्य बीमा उत्पादों पर मास्टर सर्कुलर ने पहले जारी किए गए 55 सर्कुलर को निरस्त कर दिया है और यह पॉलिसीधारकों को सशक्त बनाने और समावेशी स्वास्थ्य बीमा को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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बीमाधारक के हित में बड़ा फैसला
बीमा नियामक ने कहा, “परिपत्र में बीमाधारक/संभावितों के लिए उपलब्ध स्वास्थ्य बीमा नीति में पात्रताओं को उनके आसान संदर्भ के लिए एक स्थान पर लाया गया है और साथ ही स्वास्थ्य बीमा खरीदने वाले पॉलिसीधारक को निर्बाध, तेज दावा अनुभव प्रदान करने और स्वास्थ्य बीमा क्षेत्र में उन्नत सेवा मानकों को सुनिश्चित करने के उपायों पर जोर दिया गया है।”
आम आदमी को ऐसे मिलेगा फायदा
बीमा कंपनियों द्वारा कैशलेस इलाज के लिए 1 घंटे की मंजूरी देने से आम आदमी का इलाज अस्पताल में जल्द से जल्द शुरू हो जाएगा। इतना ही नहीं, मरीज के परिजनों को इलाज की शुरुआत में अस्पताल के कहने पर पैसे जुटाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
साथ ही, डिस्चार्ज रिक्वेस्ट प्राप्त होने पर 3 घंटे के भीतर क्लेम सेटलमेंट के लिए अंतिम मंजूरी मिलने से अस्पताल में डिस्चार्ज के समय लोगों की परेशानी रुकेगी और अस्पताल भी मरीज को जल्द से जल्द डिस्चार्ज कर अपना बिल सेटल कर सकेगा।
IRDAI ने बनाए इलाज के दौरान मौत को लेकर नियम
अगर इलाज के दौरान पॉलिसीधारक की मौत हो जाती है तो उसे लेकर भी नियम बनाया गया है। नियम के मुताबिक, इलाज के दौरान पॉलिसीधारक की मौत पर बीमा कंपनी क्लेम सेटलमेंट के अनुरोध पर तुरंत कार्रवाई करेगी। इतना ही नहीं, शव को तुरंत अस्पताल से हटा दिया जाएगा। नियामक ने कहा है कि बीमा कंपनी को तय समय सीमा के भीतर समयबद्ध तरीके से 100 फीसदी कैशलेस क्लेम सेटलमेंट करना चाहिए। अगर कोई इमरजेंसी है तो अनुरोध के एक घंटे के भीतर फैसला हो जाना चाहिए।
सेटलमेंट के लिए ग्राहकों को नहीं जमा करने होंगे पेपर्स
सर्कुलर में बीमा कंपनियों को ग्राहकों को शामिल करने से लेकर पॉलिसी नवीनीकरण, पॉलिसी से जुड़ी सेवाओं और विवादों आदि के लिए एंड-टू-एंड तकनीकी समाधान उपलब्ध कराने की दिशा में काम करने का निर्देश दिया गया है। इसमें कहा गया है कि पॉलिसी धारक दावे के निपटान के लिए कोई दस्तावेज जमा नहीं करेगा, बल्कि बीमा कंपनियों को इसे अस्पताल से ही लेना होगा।
कब लागू होंगे ये नियम
IRDAI ने बीमा कंपनियों से आगामी 31 जुलाई तक इन नियमों को लागू करने को कहा है। कैशलेस अनुरोध के मामलों के लिए अस्पताल एक हेल्प डेस्क की व्यवस्था कर सकते हैं।
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