देशभर में तबाही मचाने के बाद कोरोना की दूसरी लहर का असर लगातार कम हो रहा है। संक्रमितों की संख्या तेजी से घट रही है। अब भले ही दूसरी लहर का कहर थमने लगा हो, लेकिन थर्ड वेव को लेकर चिंताएं लगातार बढ़ी हुई है। तमाम एक्सपर्ट्स तीसरी लहर के खतरे को लेकर चेतावनी जारी कर चुके है।
वहीं दूसरी लहर की गलतियों से सबक लेकर सरकार भी थर्ड वेव के लिए अभी से तैयारियों से जुटी है। क्योंकि तीसरी लहर से सबसे ज्यादा खतरा बच्चों को बताया जा रहा है, इसलिए परेशानियों और ज्यादा बढ़ी हुई है। ऐसे में बच्चों को किसी भी बड़े खतरे से बचाने के लिए ये बेहद जरूरी है कि माता पिता उनमें कोरोना के लक्षणों की जल्दी पहचान कर लें। तो आइए ऐसे में हम आपको बताते हैं कि आखिर बच्चों में किन लक्षणों के दिखने के बाद पैरेंट्स को सतर्क हो जाने की जरूरत हैं…
क्या होते हैं बच्चों में कोरोना के लक्षण?
वयस्कों की तरह बच्चों में भी बुखार, खांसी और सांस लेने में दिक्कत जैसे कोरोना के लक्षण दिख सकते हैं। इसके अलावा जुकाम, गले में खराश, कंजेशन, नाक बहना, ठंड लगना, मांसपेशियों में दर्द और सिरदर्द जैसे लक्षण दिखने पर भी बच्चों के माता पिता को सतर्क हो जाना चाहिए।
वहीं अगर 8 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों को स्वाद या फिर सुगंध नहीं आना, मतली या उल्टी, दस्त और थकान जैसी समस्याएं हो, तो ये भी बच्चों में कोरोना के लक्षणों में शामिल हैं।
बच्चों में MIS-C ने भी बढ़ाई टेंशन
यही नहीं बच्चों में मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (MIS-C) नाम की एक बीमारी नई सिरदर्दी बनकर सामने आ रही है। दो साल से लेकर 14 साल तक के बच्चे इसकी चपेट में आ रहे हैं। ये पोस्ट कोविड की समस्याओं से जुड़ा है। जिसके लक्षण बच्चों के कोरोना से ठीक होने के एक हफ्ते से 6 हफ्ते के बीच में दिख सकते हैं। MIS को लेकर ज्यादा सतर्क होने की जरूरत है, क्योंकि ये बीमारी खतरनाक है। हालांकि अगर बच्चों को सही वक्त पर अस्पताल ले जाया जाए, तो खतरा कम हो जाता है।
इन लक्षणों के दिखने पर तुरंत हो जाएं सावधान
अब आपको इसके सिम्पटम्स के बारे में भी बता देते हैं, जिनके दिखने पर माता पिता को तुरंत ही अलर्ट हो जाना चाहिए। अगर कोरोना से ठीक होने के कुछ दिनों या हफ्तों बाद बच्चे को तेज बुखार आए और वो 2 से 3 दिनों तक रहे, ये इस बीमारी के संकेत देता है। इसके अलावा शरीर में दाने होना, आंखों का लाल होना, सूजन आना, तेज पेट दर्द, उल्टी, सांस में तकलीफ, सीने में दर्द या दबाव लगना, चेहरे या होंठ का नीला पड़ना भी MIS बीमारी के लक्षणों में शामिल है। ये हार्ट पर भी असर डालता है।
अगर बच्चे में इस तरह के लक्षण दिखाई दें, तो बिना देर करें उन्हें डॉक्टरों से संपर्क रहें। ठीक वक्त पर बच्चों को इलाज मिल जाए, तो वो इससे पूरी तरह ठीक हो जाते हैं। डॉक्टर बच्चे का ब्लड टेस्ट, सीने का एक्स रे, हार्ट या पेट का अल्ट्रासाउंड करा सकते हैं, जिससे ये पता चल जाएं कि बच्चे में कहां तक इस बीमारी का असर हुआ।