बॉलीवुड म्यूजिक इंडस्ट्री आज एक बार फिर शोक की लहर में डूब गई। 69 साल की उम्र में बप्पी लहरी इस दुनिया को छोड़कर चले गए। बप्पी दा के निधन से इस वक्त हर कोई सदम में हैं। मुंबई के क्रिटिकेयर हॉस्पिटल में बप्पी लहरी ने अंतिम सांस ली।
बप्पी लहरी के निधन की वजह ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया (OSA) बताई जा रही है। अस्पताल के डॉक्टर्स के मुताबिक एक साल से बप्पी लहरी ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया (OSA) और चेस्ट इन्फेक्शन की समस्या से जूझ रहे थे और यही उनकी मौत की वजह बनीं। तो ऐसे में आइए जान लेते हैं कि आखिर ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया क्या है और कैसे ये बीमारी किसी की जान ले लेती है?
ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया के बारे में जानें…
ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया यानी OSA नींद से जुड़ा एक ब्रीदिंग डिसऑर्डर है। यानी इस बीमारी में सोते समय काफी दिक्कत होती है। वैसे तो स्लीपिंग डिसऑर्डर कई टाइप के होते हैं, जिसमें सबसे कॉमन ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया है। इसमें सोते वक्त मरीज का गला चोक हो जाता है। गले की मांसपेशियां नींद में रुक-रुक कर आराम करती हैं और आपके वायुमार्ग को अवरुद्ध कर देती हैं।
इस बीमारी के ये है सिम्टम्स
ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के अगर लक्षणों की बात करें इसमें जोर-जोर से खरार्टे लेना, दिन में ज्यादा नींद आना, नींद में सांस रुकी हुई महसूस होना, हांफने या घुटन के साथ अचानक जागना, मुंह सूखना, गले में खराश, सुबह-सुबह सिरदर्द होना, मूड चेंज और डिप्रेशन और हाई ब्लड प्रेशर शामिल हैं।
किन लोगों को खतरा ज्यादा?
Obstructive Sleep Apnea नाम की ये बीमारी वैसे तो किसी को भी हो सकती है, लेकिन कुछ लोगों को इससे ज्यादा खतरा हो सकता है। इस बीमारी का ज्यादातर शिकार लोगों का वजन ज्यादा होता है। इसके अलावा 60 साल की उम्र के बाद स्लीप एनपिया होने की संभावना बढ़ जाती है। हाइपरटेंशन के पेशेंट, क्रोनिक नेजल कंजेशन, डायबिटीज, स्मोकिंग करने वाले लोगों को इसका अधिक जोखिम होता है।
कब गंभीर बन जाती है ये बीमारी?
खर्राटे लेना वैसे तो आम बात है, लेकिन अगर आपके खर्राटे से आपकी या दूसरों की नींद खुल जाती है तो आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। साथ ही अगर आपको नींद में घुटन महसूस हो, नींद के दौरान सांसे थमी सी लगती हो या फिर आप हमेशा हांफते हुए उठते हो, तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं। अगर आपको दिनभर नींद आती रहती है जैसे टीवी देखते हुए या गाड़ी चलाते हुए, तो ये भी इस बीमारी का संकेत हो सकता है।