मानसून का सीजन आते ही प्राकृतिक आपदाओं की घटनाएं बढ़ने का सिलसिला भी शुरू हो जाता है। भारी बारिश की वजह से कई जगहों पर बाढ़ आ जाती है, तो कहीं से लैडस्लाइड, बादल फटने की खबरें आती ही रहती हैं। इस दौरान आम जनजीवन पटरी से उतर ही जाता है, इन आपदाओं में हजारों-लाखों लोग प्रभावित होते हैं। तो वहीं सैंकड़ों की संख्या में लोग अपनी जान भी गंवातें हैं।
बिजली गिरने से होती हैं कई मौतें
इन सबमें एक और प्राकृतिक आपदा है बिजली गिरना, जिसकी वजह से हर साल हमारे देश में हजारों लोगों की मौत होती है। हाल ही में देश के अलग अलग राज्यों यूपी, एमपी, राजस्थान से बिजली गिरने की वजह से बड़ी संख्या में लोगों की मौत की खबर आई। सोमवार को आकाशीय बिजली गिरने की वजह से कम से कम 71 लोगों ने अपनी जान गंवाई। अकेले जयपुर की ही एक घटना में 11 लोगों की जान चली गई।
NCRB के आंकड़े की मानें तो प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली करीब 35.3 प्रतिशत मौतें आकाशीय बिजली गिरने से होती हैं। वहीं भारत सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक 1 अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2021 तक देश में बिजली गिरने की वजह से 1,619 लोगों की जान गई।
ऐसे में अगर आपके आसपास भी कहीं बिजली गिर रही हो, तो उस वक्त खुद का बचाव कैसे करें? आइए आज हम आपको इसके बारे में बताते हैं…
इन वजहों से लोग आते हैं बिजली गिरने की चपेट में
जब भी कभी बिजली कड़कती है तो उसमें 10 करोड़ से 100 करोड़ वॉल्ट की ऊर्जा मौजूद होती है। ये अरबों वॉट पॉवर के बराबर तक हो सकती है। बिजली गिरने पर वहां के आसपास की हवा का तापमान 10 हजार डिग्री सेल्सियस से 30 हजार सेल्सियस तक गर्म हो सकता है।
अमेरिका की राष्ट्रीय मौसम सेवा के अनुसार लोग कई तरह के बिजली गिरने की चपेट में आ सकते हैं। जिसमें सबसे पहला है, सीधे बिजली गिरने की चपेट में आना। वैसे तो ऐसा कम ही होता है, लेकिन ये सबसे खतरनाक भी होता है। कोई भी व्यक्ति तब ही इसकी चपेट में आ सकता है, जब वो बिजली गिरने के रास्ते में आ रहा हो। ऐसा तब ही अक्सर होता है, जब वो शख्स खुले इलाके में मौजूद हो।
दूसरा इसका बड़ा कारण है पेड़ के आसपास मौजूद रहना। बिजली गिरने पर पेड़ों के नीचे पनाह लेना जानलेवा साबित होत सकता है। भारत की बिजली गिरने की पहली वार्षिक रिपोर्ट (2019-2020) में पेड़ के नीचे खड़ा होना ही बिजली का शिकार होने की सबसे बड़ी वजह माना गया। बिजली गिरने से होने वाली मौतों में से 71 फीसदी इस वजह से ही होती है। वहीं 25 फीसदी मौत का कारण सीधे बिजली गिरना और 4 प्रथिशत अप्रत्यक्ष तरीके से बिजली का शिकार होना माना जाता है।
वहीं इसका तीसरा बड़ा कारण माना गया है जमीन का करंट। कोई व्यक्ति बिजली गिरने वाली जगह के आसपास मौजूद होता है, तो वो भी इसके आसानी से चपेट में आ सकता है। जमीन का करंट सबसे बड़ा क्षेत्र कवर करता है। बिजली किसी पेड़ से या अन्य चीज से टकराती है तब अधिकतर ऊर्जा जमीन की सतह से होकर ही गुजरती है। जिसके बाद अगर कोई वहां पर मौजूद होता है तो ये बिजली उसके शरीर में घुस सकती है और नर्वस सिस्टम पर असर डालती है।
जानिए कैसे करना चाहिए अपना बचाव?
– बारिश के वक्त खेतों, खुले मैदानों, पेड़ों या किसी ऊंची जगह पर जाने से बचें। क्योंकि यहीं सबसे ज्यादा बिजली गिरने की संभावना होता हैं।
– इस दौरान घर में ही रहें। साथ ही घर में भी बिजली संचालित सभी उपकरणों से दूरी बनाकर रखें और खिड़की दरवाजों को भी बंद कर लें।
– अगर आपके आसपास बिजली कड़कड़ रही है तो उस दौरान टेलीफोन, मोबाइल, इंटरनेट का इस्तेमाल करने से बचें।
– धातु के पाइप, नल, फव्वारे से भी दूर रहें। बिजली कड़कड़ाने समय किसी भी धातु से बनी वस्तु के आसपास खड़े ना हो। साथ ही तारों के आसपास भी ना जाएं।
– खराब मौसम के दौरान जमीन के भी सीधा संपर्क करने से बचें। खाट या फिर बेड्स पर रहें।
बिजली की चपेट में आने पर कैसे लगाएं पता?
जब बिजली गिरती है तो वो किसको चपेट में लेगी, इसके बारे में मालूम नहीं होता। ये पता लगाने का एक आसान तरीका हम आपको बता देते हैं। ऐसे मौसम में अगर आपके सिर के बाल खड़े हो जाएं और त्वचा में झुनझुनी सी महसूस हो तो आपको समझ जाना चाहिए कि आप बिजली की चपेट में आ सकते हैं। ऐसा होने पर तुरंत ही झुक जाएं और दोनों हाथों से कान बंद कर लें। अपने पंजों के बल बैठें और घुटने के ऊपर कोहनी रखें। अपने शरीर को जमीन के संपर्क में जितना हो सकें लाने से बचें।
30-30 वाले इस फॉर्मूले को भी अपनाएं
अमेरिकी स्वास्थ्य संस्था CDC के अनुसार इस तरह के मौसम में लोगों को 30-30 का फॉर्मूला अपनाना चाहिए। जैसे कि बिजली कड़कने पर तुरंत ही 30 तक की गिनती करें और किसी छोटी इमारत में जाकर छिप जाएं। अपने सभी कामों को 30 मिनट के लिए रोक दें। इस दौरान 30 मिनटों तक किसी भी गैजेट या इलेक्ट्रॉनिक वस्तु का यूज ना करें।