CPOD se kaise Bachen – आज के समय में व्यक्ति को कब, कौन सी बीमारी अपना शिकार बना ले कुछ कहा नहीं जा सकता, ऐसे में सबसे जरूरी होगा कि हमें हर तरह की बीमारियों और उनसे बचने के उपायों के बारे में जानकारी जरूर रखनी चाहिए. इसलिए आज हम आपको फेफड़ों से जुड़ी एक ऐसी बीमारी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिससे अभी बचाव नहीं किया तो बाद में पछताना पड़ सकता है, क्योंकि ये जानलेवा बीमारी दुनियाभर में तेजी से फैल रही है और इससे हर साल करीब 15 लाख लोगों की मौत भी हो जाती हैं, तो आइए आपको इसके बारे में बताते हैं…
दुनियाभर में फैल रही इस बीमारी को क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) कहा जाता है, जोकि फेफड़ों की बीमारी है. इसके लक्षण अस्थमा और ब्रोंकाइटिस से मिलते-जुलते हैं. ये सीओपीडी है जिसमें व्यक्ति की एनर्जी कम होने लगती है और वो कुछ कदम चलकर ही थकने लगता है. इसके अलावा सांस नली में नाक से फेफड़े के बीच सूजन की वजह ऑक्सीजन की सप्लाई घटती है. जिसका प्रभाव दूसरे अंगों पर भी पड़ता है.
सीओपीडी के लक्षण
अगर बात करें सीओपीडी के लक्षण की तो इसका सबसे पहला लक्षण ये होता है कि व्यक्ति को 2 महीने तक लगातार बलगम की तकलीफ रहती है और उसे खांसी के सामान्य सिरप और दवाईयां भी असर नहीं करती हैं. ज्यादा बलगम वाली खांसी की समस्या होना, सांस लेने में घरघराहट, सीने में जकड़न होना, खासकर शारीरिक श्रम करने पर और सांस की तकलीफ आदि इसके लक्षण हैं.
प्रमुख कारण
क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) की मुख्य वजह धूम्रपान है. इसके अलावा फैक्ट्रियों और चूल्हे से निकलने वाला धुआं भी इसका कारण बनता है. इतना ही नहीं पेंट में प्रयोग होने वाले रसायन, सांस के साथ अंदर जाने वाले कीटनाशक और टीबी की पुरानी बीमारी भी खास कराण हैं.
जांचे
जहां जांच के दौरान फेफड़ों की ताकत की जांच करने के लिए स्पाइरोमेट्री का इस्तेमाल किया जाता है, तो वहीं एक्स-रे की मदद से रक्त या बलगम टैस्ट करने के साथ ही छाती में संक्रमण का पता लगाया जाता है. बहुत बार जांच में सीटी स्कैन या एमआरआई भी कराते हैं.
क्या है सीओपीडी का इलाज
सीओपीडी के इलाज के दौरान ज्यादातर मरीजों को इंहेलर दिया जाता है, जोकि बहुत कारगर होता है. सांस लेने में ज्यादा समस्या होने पर मरीजों को ऑक्सीजन थैरेपी भी दी जाती है. इतना ही नहीं मरिज के लक्षणों को देखते हुए उन्हें विभन्न दवाइयां भी दी जाती हैं. मानसिक और शारीरिक लक्षणों के आधार पर होम्योपैथी पद्धति में दवाई दी जाती हैं. जबकि आयुर्वेद में गोदंती भस्म और श्वांस कुठार रस भी दी जाती है.
प्राणायाम और योग ज्यादा असरदार
फेफड़ों की इस बीमारी में प्राणायाम और योग करने से काफी लाभ होता है. अगर कोई व्यक्ति इसे नियमित रूप से रोजाना करता है तो सीओपीडी की आशंका खत्म हो जाती है. कहा जाता है कि प्राणायाम इसके शुरूआती चरण को कम कर इसके बढ़ने के खतरे को भी खत्म कर देता है. इसके अलावा आप चाहें तो अनुलोम-विलोम,कपालभाति, सिंहासन, सर्वांगासन, भुजंगासन और ओम के उच्चारण के साथ सूर्यनमस्कार कर सकते हैं, लेकिन ध्यान ऐसा करने से पहले आपको किसी विशेषज्ञ की राय जरूर लेनी चाहिए.
देसी नुस्खे – CPOD se kaise Bachen
- सीओपीडी के मरीजों को रोजाना गुनगुने पानी का सेवन करना चाहिए, क्योंकि इससे कफ हल्का होता है और फेफड़ों को भी राहत मिलती है.
- रोजाना दिन में दो से तीन बार दालचीनी और गुड़ या शहद का सेवन करने से भी मरीज को इस बीमारी में राहत मिलती है.
- मरीजों को दूध में शहद,हल्दी, तुलसी की पत्तियां और अदरक का रस मिलाकर सेवन करने से काफी लाभ होता है और कफ बनना भी रुक जाता है.
- रोजाना रात के समय सोने से पहले एक गिलास दूध में लहसुन की चार से 5 कली का पेस्ट बनाकर उसमें डाले और फिर अच्छे उबाल लें. इसके बाद उसे ठंडा करके पी लें. ऐसा करने से संक्रमण कम होगा.
सावधानी
आपको इसका खास ध्यान देना है कि अगर सीओपीडी के कोई भी लक्षण आपमें है तो अपने वजन को बढ़ने से रोकें, वायु प्रदूषण वाले स्थानों पर न जाएं और गलती से भी धूम्रपान न करें. अगर आप इस समस्या से परेशान हैं तो दवाई नियमित रूप से वक्त पर लें और बिना डॉक्टर की सलाह के कोई एक्सरसाइज या योग न करें.
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