जहां एक तरफ देश में कोरोना की सेकेंड वेव की तबाही अब थमती हुई नजर आ रही है, तो दूसरी ओर ब्लैक फंगस का संकट बढ़ने लगा है। देश में ब्लैक फंगस के मामलों में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। जिसके चलते यूपी, बिहार समेत कई राज्यों में ब्लैक फंगस को महामारी तक घोषित कर दिया गया।
क्या बिना कोरोना के हो सकता है ब्लैक फंगस?
कोरोना काल के दौरान ब्लैक फंगस के केस तेजी से बढ़ रहे है। जिन लोगों को कोरोना हो रहा है, वो ही ज्यादातर इस फंगस की चपेट में आ रहे हैं, लेकिन इस बीच एक सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या उन लोगों को भी ये बीमारी हो सकती हैं, जो कोरोना संक्रमित नहीं हुए? आइए इसके बारे में आपको बताते हैं…
ब्लैक फंगस कोई नई बीमारी नहीं। पहले भी इसके मामले सामने आए हैं, लेकिन बहुत कम। ऐसा नहीं है कि सिर्फ वो ही लोग ब्लैक फंगस का शिकार हो रहे हैं, जिन्हें कोरोना हुआ है। बिना कोरोना संक्रमण के भी ब्लैक फंगस हो सकता है। हां, लेकिन ये जरूर है कि कोरोना महामारी के दौर में इसके केस में जबरदस्त उछाल देखने को मिल रहा है।
ऐसे लोगों को होता हैं ज्यादा खतरा
इस पर एक्सपर्ट्स कहते हैं कि ये फंगल इंफेक्शन बिना कोरोना के भी हो सकता है। डॉक्टर्स ये बात बता चुके हैं कि फंगस हवा और मिट्ठी में रहता है। जिन लोगों की इम्यूनिटी कमजोर होती है, जो लोग मास्क लगाते समय स्वच्छता का ध्यान नहीं रखते या जिन लोगों का ब्लड शुगर हाई है, उनको इसका ज्यादा खतरा रहता है।
इस पर नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल कहते हैं कि कोरोना से पहले से ही ब्लैक फंगस मौजूद था। मेडिकल के छात्रों को इसके बारे में पढ़ाया भी जाता है कि ये उन मरीजों को होता है, जिनको डायबिटीज होती है। खास तौर पर इस बीमारी से उनको खतरा ज्यादा होता है, जिनकी डायबिटीज कंट्रोल में नहीं होती। अनकंट्रोल डायबिटीज के अलावा भी कुछ दूसरी बीमारियां ब्लैक फंगस का कारण बन सकती हैं।
डॉ पॉल के मुताबिक जिन मरीजों का शुगर लेवल बढ़कर 700-800 के करीब पहुंच जाता है, उसको ब्लैक फंगस का खतरा होता है। चाहे वो बच्चा हो या फिर बुजुर्ग, जो भी इस स्थिति में होगा वो इस बीमारी की चपेट में आ सकता है। इसके अलावा निमोनिया जैसी बीमारियों की वजह से खतरा और ज्यादा बढ़ जाता है। इसकी एक वजह में कोरोना भी शामिल है। वहीं स्टेरॉड्स देने की वजह से हालात और खराब हो जाते हैं।
इसके अलावा AIIMS के डॉ. निखिल टंडन कहते हैं कि हेल्दी लोगों को इसके बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं। जिन लोगों की इम्यूनिटी कमजोर होती है, सिर्फ उनको ही ज्यादा जोखिम होता है। डॉ. टंडन ने कहा कि ये हो सकता है कि कोरोना की जो सेकेंड वेव देश में आई, उसने पहले के मुताबिक लोगों की इम्यूनिटी पर ज्यादा हमला किया, जिसकी वजह से ब्लैक फंगस के मामले बढ़ रहे हैं।
देश में कहां-कहां फैल चुका है ब्लैक फंगस?
जानकारी के लिए आपको बता दें कि ब्लैक फंगस देश के 18 राज्यों में अपने पैर पसार चुका हैं। सोमवार को स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने इसकी जानकारी दी थीं। उन्होंने बताया था कि 24 मई की सुबह तक ब्लैक फंगस के 5424 मामले दर्ज किए गए। गुजरात इस बीमारी से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।
सोमवार तक गुजरात में अकेले 2165 मामले ब्लैक फंगस के सामने आ चुके है। वहीं महाराष्ट्र में सोमवार तक 1188, उत्तर प्रदेश में 663, मध्य प्रदेश में 519, हरियाणा में 339 और आंध्र प्रदेश में 248 मामले दर्ज किए गए। डॉ. हर्षवर्धन ने आगे ये भी बताया था कि ब्लैक फंगस के कुल मामलों में से 4556 मरीजों ऐसे हैं जिनको कोरोना संक्रमण हुआ और 875 मरीज ऐसे भी हैं, जो कोरोना का शिकार नहीं हुए। साथ ही इन मरीजों में 55 प्रतिशत शुगर पेशेंट हैं।