कोरोना महामारी का खतरा टलने का नाम नहीं ले रहा। इस वायरस दिन पर दिन लोगों की परेशानी और ज्यादा बढ़ता ही चला जा रहा है। अभी कोरोना की दूसरी लहर का भयंकर प्रकोप देश में छाया हुआ है। हर जगह कोरोना की सेकेंड वेव ने तबाही मचा रही है।
कोरोना रिकवर पेशेंट को हो रही समस्या
कोरोना से ठीक हो रहे मरीजों में भी इस वायरस के कई भयंकर साइड इफेक्ट्स देखने को मिल रहे हैं। कोरोना से ठीक हुए मरीजों में अब एक ब्लैक फंगस नाम की एक समस्या भी हो रही है, जिसे mucormycetes भी कहा जाता है। महाराष्ट्र में कोरोना से रिकवर हो चुके पेशेंट में ब्लैक फंगस की बीमारी होने की वजह से 8 लोगों की मौत हो गई, जबकि 200 से ज्यादा लोगों का इलाज चल रहा। वहीं सूरत में सही वक्त पर इलाज नहीं करवाने की वजह से कुछ लोगों की आंखें निकालनी पड़ीं।
क्यों कोरोना मरीजों को हो रही ये बीमारी?
वैसे तो ये फंगल इंफेक्शन नया नहीं। लेकिन कोरोना मरीजों में इसके केस बढ़ते हुए ठीक रहे हैं। दरअसल, ये इंफेक्शन ज्यादातर उन लोगों को होता है, जिनका शरीर बीमारी में लड़ने से कमजोर होता है। बीमारी से लड़ने कोरोना मरीजों का इलाज करने के लिए स्टेरॉइड्स का इस्तेमाल किया जाता है। इससे मरीज का शुगर लेवल बढ़ जाता है। वहीं कुछ दवाईयों की वजह से इम्युनिटी कम होने लगी है। ऐसे में मरीज इस इंफेक्शन का शिकार हो जाते है। इसके चलते मरीज की मौत हो जाती है। वहीं, कुछ मामलों में जान बचाने के लिए एक आंख तक हमेशा के लिए निकालनी पड़ती है।
डॉक्टरों की मानें तो ये फंगस पिछले साल आई कोरोना की पहली वेव के दौरान भी दिखा था, लेकिन अब ये ज्यादा खतरनाक था। अगर फंगस दिमाग तक पहुंच जाता है, तो मरीज का बचना मुश्किल हो जाता है।
इसके लक्षण जानिए…
बात अगर इसके लक्षण की करें तो इसमें आंखों में जलन, सिर दर्द, आधे चेहरे पर सूजन आना, नाक बंद होना, साइनस की तकलीफ, चेस्ट पेन, बुखार, उल्टी आना, मुंहे के ऊपरी हिस्सा या नाके में काले घाव होना शामिल है। ये बहुत ही तेजी से गंभीर हो जाते हैं।
विशेषज्ञों की मानें तो ब्लैक फंगस हवा में रहता है। ये नाक से जरिए बलगम में मिलकर नाक की चमड़ी में घुस जाता है। इसके बाद बहुत तेजी से फैलती है और दिमाग तक भी चली जाती है। इससे मृत्यु दर 50 फीसदी है।
किन लोगों को होता है ये?
इसका खतरा उन लोगों को होता है जो डायबिटीक है, जिन्हें कैंसर है, ऑर्गन ट्रांसप्लाट हुआ हो या फिर जो लंबे वक्त से स्टेरॉइड यूज कर रहे हों।
कोरोना के दौरान लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। किसी हाई डायबिटीक पेशेंट को कोरोना हो जाए, तो उनका इम्यून सिस्टम ज्यादा कमजोर होता है। ऐसे में उन लोगों के ब्लैक फंगस के चपेट आने की संभावना ज्यादा होती है।
कोरोना मरीजों को स्टेरॉयड दिए जाते हैं। इससे मरीज की इम्यूनिटी कम हो जाती है। इससे भी उनमें ये इंफेक्शन फैलने की आशंका ज्यादा हो जाती है।
क्या है इसका इलाज?
इस बीमारी की वजह से कई लोगों की जान पर भी खतरा आ जाता है। हालांकि अगर शुरुआत में ही इसकी पहचान कर ली जाए, तो जान बचाई जा सकती है। ब्लैक फंगस का पता चलने के बाद स्ट्रांग एंटी फंगस दवा दी जाती है। लेकिन ऐसा जरूरी नहीं की दवा से ये ठीक हो। अगर ऐसा नहीं होता तो शरीर के उस हिस्से को काटकर हटाना पड़ता है, जिसे फंगस संक्रमण के कारण नुकसान पहुंचाया हो।
बचाव का तरीका जानिए…
ब्लैक फंगस से बचने के उपाय भी बता देते हैं। इसके लिए कंस्ट्रक्शन साइट से दूर रहें। डस्ट वाले एरिया पर जाने से बचें। गार्डनिंग-खेती करते समय फुल स्लीव्स के ग्लव्ज पहनें, मास्क पहनें। वहीं कोरोना से ठीक हुए मरीज रेगुलर हेल्थ चेकअर कराते रहें। फंगस के लक्षण दिखें तो तुरंत ही डॉक्टर से संपर्क करें।