स्कूल या किसी अन्य कार्यक्रम में जब पेड़ (Tree) बनने का रोल मिला करता है तो कैसे बच्चे खुश हो जाते हैं और वो हरे रंग के झाड़ीदार कपड़े पहनकर खड़े हो जाते हैं, लेकिन अगर कोई असलियत में ही पेड़ (Treeman) बन जाए तो? अगर उसका शरीर पेड़ की तरह हो जाए तो? यकीनन इस बारे में मात्र सोचकर ही आप शायद जितना हैरान और परेशान हुए होंगे, उससे ज्यादा आप तब हैरत में पड़ जाएंगे जब हम आपको इस तरह की अजीबोगरीब बीमारी से जूझ रही 8 वर्षीय लड़की के बारे में बताएंगे.
जी हां, ऐसा ही एक मामला छत्तीसगढ़ (Chattisgarh) से सामने आया है. यहां के नक्सल प्रभावित बस्तर (Bastar) जिले की रहने वाली 8 वर्षीय लड़की एक आनुवांशिक रोग (Genetic Disease) से जूझ रही है. जिसके चलते इस लड़की के हाथ और पैर, पेड़ की छाल के जैसे दिख रहे हैं. पूजा (बदला हुआ नाम) के परिजनों के मुताबिक पहले पूजा के बायें पैर के ऊपर एक मस्सा बनने की शुरुआत हुई, वो धीरे धीरे बढ़ता गया और फिर उसी तरह का मस्सा उसके दूसरे पैर पर भी हुआ, दोनों पैरों पर हुआ ये मस्सा विकसित हो गया और कुछ दिनों में ये बांहों से होते हुए उसकी गर्दन तक पहुंच गया. इस तरह की बीमारी को ट्री मैन सिंड्रोम (Treeman syndrome) भी कहा जाता है.
नहीं है ऐसी बीमारी का कोई इलाज
इस बीमारी की वजह से इस लड़की की हालात इतनी गंभीर हो गई कि उसका चलना-फिरना तक करीबन बंद हो गया. ऐसा कहा जाता है कि इस लड़की के शरीर में लगातार दर्द रहता है. जानकारों की मानें तो अभी तक मेडिकल साइंस (Medical Science) में ऐसी बीमारी का कोई इलाज नहीं है.
सरकार करा रही है इलाज
मीडियो रिपोर्टस के जरिए इसकी जानकारी प्रदेश सरकार और प्रशासनिक अधिकारियों को मिली. जिसके बाद प्रदेश के हेल्थ मिनिस्टर टीएस सिंह देव (Health Minister TS Singh Dev) ने लड़की के इलाज के लिए जरूरी खर्च और समुचित प्रबंध करने का ऐलान किया है.
वहीं, अब पूजा का इलाज रायपुर (Raipur) के मेकाहारा हॉस्पिटल (Mekahara Hospital) में चल रहा है. डॉ. मृत्युंजय सिंह की मानें तो वो और उनकी टीम इस दुर्लभ बीमारी से पीड़ित लड़की की समस्या को कम करने हेत हर तरह से पूरा प्रयास कर रही है. इस तरह की बीमारी को मेडिकल साइंस में ट्रीमैन सिंड्रोम (Treeman Syndrome) भी कहा जाता है.
जन्म लेने के 1 साल बाद शुरू हुई समस्या
पूजा के परिजनों के मुताबिक इस तरह की समस्या उसे 1 साल की उम्र से ही शुरू हो गई थी. उसके पिता का कहना है कि सबसे पहले उनकी बेटी के बायें पैर पर मस्सा होना शुरू हुआ और फिर वो काफी ज्यादा बढ़ गया. इस बीमारी की वजह से उनकी बेटी को लगातार दर्द भी रहता है.
स्किन कैंसर होने का है खतरा
बता दें कि मेडिकल साइंस की भाषा में इस बीमारी को एपिडर्मोडिसप्लासिया वर्चुफॉर्मिस (Epidermodysplasia verruciformis) भी कहा जाता है. मेडिकल जर्नल की मानें तो ये रोग बहुत दुर्लभ वंशानुगत त्वचा विकार माना जाता है और इसके वजह से स्किन कैंसर (Skin Cancer) होने की संभावना बहुत ज्यादा होती है. इस बीमारी की स्थिति को लेवांडोस्की-लुत्ज़ डिस्प्लासिया (Lewandowsky Lutz Dysplasia) भी कहा जाता है.
आपको जानकारी के लिए बता दें कि ये दुर्लभ बीमारी आमतौर पर 1 से 20 वर्ष के लोगों में होती हैं. एक अनुमान के मुताबिक इस बीमारी से दुनिया भर में करीब 200 लोग पीड़ित हैं. हालांकि अभी तक मेडिकल साइंस में इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है.