अफगानिस्तान पर आतंकी संगठन तालिबान के कब्जे ने दुनिया के तमाम मजबूत और संपन्न देशों के मुंह पर करारा तमाचा जड़ दिया है। महाशक्तियों की आंखों के सामने ही तालिबानी अफगानिस्तान में घुस गए और अब पूरे देश पर कब्जा जमा लिया है। तालिबानी देश में सरकार बनाने की कोशिशों में लगे हैं।
रुस, चीन, पाकिस्तान जैसे कई बड़े और मजबूत देशों ने तालिबानियों को समर्थन भी दे दिया है। अफगानिस्तान को लेकर अमेरिका का स्टैंड अब पहले से काफी बदल चुका है। ऐसे में आने वाले समय में स्थिति काफी भयावह हो सकती है। अफगानिस्तान में तालिबानी शासन आने के बाद महिलाओं के अधिकारों को लकर तरह-तरह की चर्चाएं हो रही है।
क्योंकि 90 के दशक में क्रूर तालिबानियों में अफगानिस्तान में महिलाओं के अधिकारों की जो धज्जियां उड़ाई थी, उसे पूरी दुनिया ने देखा था। हालांकि, तालिबान का मूड अब 2 दशक के बाद थोड़ा बदला-बदला सा नजर आ रहा है।
महिलाओं के साथ नहीं होगा भेदभाव
तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्ला मुजाहिद ने प्रेस कांफ्रेंस में महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करने का वादा किया है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि महिलाओं के अधिकारों का सम्मान इस्लामी कानून के मानदंडो के भीतर ही किया जाएगा।
मुजाहिद ने महिलाओं को लेकर तालिबान के रुख को स्पष्ट करते हुए कहा कि वे इस्लाम के आधार पर महिलाओं को उनके अधिकार प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका कहना है कि महिलाएं स्वास्थ्य क्षेत्र और अन्य क्षेत्रों में जहां जरूरत हो वहां काम कर सकती हैं। उनका कहना है कि महिलाओं के साथ कोई भेदभाव नहीं होगा।
90 के दशक में बदतर थी स्थिति
दरअसल, 90 के दशक में जब अफगानिस्तान में तालिबान का शासन था तो उस वक्त महिलाओं की स्थिति बदतर थी। बच्चियों-महिलाओं को पढ़ने लिखने, बाहर निकलने, आजादी से अकेले घूमने और पश्चिमी कपड़े पहनने की बिल्कुल आजादी नहीं थी। जब भी कोई महिला इन इस्लामी कानूनों को तोड़ती थी तो उसे पत्थर से मार मार के मौत के घाट उतार दिया जाता था। उस समय भी तालिबान शरिया के तहत ही अपने मंसूबों को अंजाम दे रहा था। अब अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद एक बार फिर से महिलाओं को वहीं डर सता रहा है।
मीडिया को लेकर तालिबान की प्रतिक्रिया
तालिबान के प्रवक्ता ने प्रेस कांफ्रेंस में इस्लामी कानूनों के तहत महिलाओं को अधिकार देने की बात कही। साथ ही उन्होंने मीडिया की आजादी को लेकर भी रुख स्पष्ट किया। उन्होंने कहा अपने सांस्कृतिक ढ़ांचे के भीतर हम मीडिया को लेकर प्रतिबद्ध है। मुजाहिद ने आगे कहा कि ‘मीडिया को हमारी कमियों पर ध्यान देना चाहिए, ताकि हम राष्ट्र की अच्छे से सेवा कर सकें। लेकिन मीडिया को भी ये ध्यान में रखना चाहिए कि इस्लामी मूल्यों के ख़िलाफ़ कोई काम नहीं होना चाहिए।’