भारत में इन दिनों जनसंख्या नियंत्रण यानी पॉपुलेशन कंट्रोल को लेकर खासा चर्चाएं हो रही हैं। बढ़ती जनसंख्या के खतरे को देखते हुए यूपी और असम जैसे राज्यों ने टू चाइल्ड पॉलिसी पर काम करना शुरू कर दिया गया है। जिसके बाद कई लोग मांग कर रहे हैं कि सिर्फ यूपी, असम ही नहीं बल्कि पूरे देश में इस कानून को लागू किया जाए।
तीन बच्चे पैदा करने की इजाजत दे चुका है चीन
जहां भारत में जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने की मांग जोर पकड़ रही है, तो वहीं दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश चीन वन और टू चाइल्ड पॉलिसी को खत्म कर चुका है और अब तीन बच्चे पैदा करने की इजाजत दे चुका है। अब आप सोच रहे होंगे कि जब चीन की आबादी दुनिया में सबसे ज्यादा है, तो क्यों उसने वन और टू चाइल्ड पॉलिसी को खत्म किया? आज हम आपको अपनी इस रिपोर्ट में इसके बारे में सबकुछ विस्तार से बताते हैं…
सबसे पहले उठाया था जनसंख्या नियंत्रण पर कदम
चीन ऐसा देश है, जिसने जनसंख्या नियंत्रण पर सबसे पहले कदम उठाए। चीन ने जनसंख्या के खतरे को बाकी देशों से पहले ही भांप लिया था। यही वजह है कि 1979 में चीन वन चाइल्ड की पॉलिसी लेकर आया था। ये कानून 37 सालों तक लागू रहा। फिर 2016 में चीन ने दो बच्चों यानी टू चाइल्ड पॉलिसी को इजाजत दी। इसकी वजह थी चीन की जन्मदर में गिरावट आना।
टू चाइल्ड पॉलिसी की इजाजत देने के बाद भी चीन की जन्मदर में कोई खास बदलाव नहीं आया, जिसकी वजह से ये नौबत आ गई कि उसको तीन बच्चों पैदा करने की इजाजत देनी पड़ी।
वन चाइल्ड पॉलिसी से चीन को फायदा तो हुआ। चीन में जनसंख्या विस्फोट काबू में आया। विकास में तेजी आई। आर्थिक वृद्धि भी देखने को मिली। संसाधन बचे, सरकार को भी नीतियां बनाने में आसानी हुई। जहां एक ओर अर्थव्यवस्था के लिहाज से तो इस पॉलिसी से काफी फायदा मिला, लेकिन इससे कुछ नुकसान भी हुए।
फिर क्यों लेना पड़ा यू-टर्न?
वन चाइल्ड पॉलिसी की वजह से चीन में लड़कियों के मुकाबले लड़के पैदा करने को ज्यादा तवज्जो दी गई। जिसकी वजह से कन्या भ्रूण हत्या के मामले भी बढ़े। क्योंकि सरकार की तरफ से एक ही बच्चे को पैदा करने की इजाजत थी, इसलिए लोग लड़कों को वरियता देते थे। ऐसे में जिस कपल को पहली संतान लड़की होती, वो उसे मार देते या फिर दूर कहीं छोड़ देते थे। इसकी वजह से चीन के सेक्स रेशियो में भी असामनता देखने को मिली। एक समय पर 120 पुरुषों के मुताबले सिर्फ 100 महिलाएं ही रह गई थीं।
इसके अलावा चीन को एक और बड़ा नुकसान ये हुआ कि वहां कि बुजुर्ग आबादी बढ़ गई। जहां दशकों पहले चीन में युवा आबादी ज्यादा थीं, अब इसका उल्टा हो रहा है। चीन में बूढ़ों की आबादी ज्यादा हो रही हैं। यही नहीं अनुमान तो ये जताया जा रहा है कि 2050 तक चीन में युवाओं के मुकाबले बुजुर्गों की आबादी अधिक हो जाएगी।
किसी भी देश को आगे बढ़ाने के लिए युवा सबसे अहम रोल प्ले करते हैं। देश के विकास के लिए युवाशक्ति की जरूरत होती है, लेकिन चीन के लिए युवाओं की आबादी लगातार कम होना चिंता का सबब बनी हुई है। जिसका बुरा असर देश की जीडीपी पर भी पड़ सकता है।
थ्री चाइल्ड पॉलिसी होगी सफल?
यही वजह है कि चीन ने वन चाइल्ड पॉलिसी को साल 2016 में खत्म कर दिया और कपल्स को दो बच्चे पैदा करने की इजाजत की, लेकिन इसका कोई खास असर देखने को नहीं मिला। उल्टा जनसंख्या वृद्धि कम ही हुई। इस वजह से ही चीन को अब तीन बच्चे पैदा करने की इजाजत दी है। लेकिन जब टू चाइल्ड पॉलिसी का ही ज्यादा असर होता नहीं दिखा, ऐसे में थ्री चाइल्ड पॉलिसी की सफलता पर भी संदेह बना हुआ है। खैर ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि चीन में ये पॉलिसी सफल हो पाती है या नहीं?