पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति कितनी बुरी है, यह बताने की आवश्यकता नहीं है।।आतंकियों का पनाहगार पाकिस्तान कभी भी अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए खड़ा नहीं रहा। नतीजा यह हुआ कि काफी बड़ी संख्या में हिंदू और सिख अल्पसंख्यक मारे गए या उनका जबरन धर्मांतरण हुआ या फिर उन्हें देश छोड़ कर जाना पड़ा।।हालांकि, दुनिया को दिखाने के लिए ही सही, लेकिन पाकिस्तान की मौजूदा सरकार ने अल्पसंख्यक सिखों के हित में एक बड़ा फैसला लिया है, बंटवारे के बाद पहली बार किसी सिख को कैबिनेट में जगह मिली है। इस लेख के माध्यम से आज हम आपको नवाज शरीफ की बेटी यानी मरियम नवाज के कैबिनेट में शामिल किए गए सिख रमेश सिंह अरोड़ा के बारे में बताएंगे।
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यहां जानिए इनके बारे में सबकुछ
मरियम नवाज पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की मुख्यमंत्री बनी हैं और प्रांतीय विधानसभा के 3 बार के सदस्य और रमेश सिंह अरोड़ा को अपनी कैबिनेट में शामिल किया है। 49 वर्षीय रमेश सिंह अरोड़ा को हाल ही में पाकिस्तान गुरुद्वारा प्रबंधक समिति का प्रधान (अध्यक्ष) और करतारपुर कॉरिडोर के एंबेसडर के रूप में भी चुना गया था। वहीं, सरदार रमेश सिंह अरोड़ा को भारी बहुमत से तीन साल के कार्यकाल के लिए पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति (PSGPC) का अध्यक्ष चुना गया था, 1 मार्च को उन्होंने इस पद पर तीन साल पूरे कर लिए।
इंडियन एक्सप्रेस को दिए अपने इंटरव्यू में बोलते हुए अरोड़ा ने कहा, “विभाजन के बाद पहली बार एक सिख को पंजाब प्रांत के मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। मैं सिर्फ सिखों की ही नहीं बल्कि पाकिस्तान में रहने वाले हिंदुओं और ईसाइयों सहित सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और भलाई के लिए काम करूंगा।”
कौन हैं सरदार रमेश सिंह अरोड़ा
ननकाना साहिब में जन्मे सरदार रमेश सिंह अरोड़ा ने लाहौर की गवर्नमेंट यूनिवर्सिटी से एंटरप्रेन्योरशिप और एसएमई मैनेजमेंट में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की है। राजनीति में आने से पहले अरोड़ा ने पाकिस्तान में विश्व बैंक के गरीबी निवारण कार्यक्रम के लिए काम किया था। 2008 में उन्होंने मोजाज फाउंडेशन की स्थापना की, जो पाकिस्तान में वंचितों की सहायता के लिए समर्पित है। खबरों के मुताबिक, रमेश सिंह अरोड़ा के बड़े भाई गोबिंद सिंह करतारपुर गुरुद्वारे में मुख्य ग्रंथी के रूप में कार्यरत हैं।
इसके अलावा सरदार रमेश सिंह अरोड़ा ने पाकिस्तान के सिख विवाह पंजीकरण अधिनियम 2017 के कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने एक निजी सदस्य के रूप में विधेयक पेश किया, और इसे मार्च 2018 में विधानसभा द्वारा सर्वसम्मति से अनुमोदित किया गया। इसके अलावा, उन्होंने 2009 से 2013 तक पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति के महासचिव और 2011 से 2013 तक राष्ट्रीय सद्भाव मंत्रालय के राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य के रूप में कार्य किया। साल 2016 में, पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने उन्हें राष्ट्रीय मानवाधिकार पुरस्कार से सम्मानित किया।
इस कारण विभाजन के बाद भारत नहीं जा सके
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार सरदार रमेश सिंह अरोड़ा ने बताया कि “1947 के विभाजन के दौरान मेरे परिवार ने ज़्यादातर सिख/हिंदू परिवारों के तरह भारत जाने के बजाय पाकिस्तान में रहने का फैसला लिया था। मेरा जन्म ननकाना साहिब में हुआ था, लेकिन बाद में हम नारोवाल चले गए। मेरे दादाजी ने अपने सबसे प्यारे मुस्लिम दोस्त के कहने पर विभाजन के दौरान पाकिस्तान में ही रहने का विकल्प चुना था। सिर्फ दोस्ती की खातिर उनके परिवार ने वहीं रुकने का फैसला किया।”
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करतारपुर कॉरिडोर के राजदूत
पिछले साल सरदार रमेश सिंह अरोड़ा को सरदार अमीर सिंह के स्थान पर करतारपुर कॉरिडोर का राजदूत नामित किया गया था। करतारपुर कॉरिडोर गुरु नानक देव जी के परम विश्राम स्थल, पाकिस्तान में गुरुद्वारा दरबार साहिब और भारत के गुरदासपुर क्षेत्र में डेरा बाबा नानक मंदिर को जोड़ता है। साल 2019 में, पाकिस्तान के पूर्व प्रधान मंत्री इमरान खान ने गुरु नानक देव जी की 550 वीं जयंती के उपलक्ष्य में एक समारोह के दौरान औपचारिक रूप से करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन किया था।