ब्रिटेन की सत्ता पर काबिज भारतीय मूल के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक अब सत्ता खो चुके हैं। दरअसल, ब्रिटेन में आम चुनावों के नतीजे आ चुके हैं और कीर स्टारमर की अगुवाई वाली लेबर पार्टी ने आम चुनावों में ऋषि सुनक की कंजरवेटिव पार्टी को हराकर बड़ी जीत हासिल की है। वहीं दूसरी ओर ऋषि सुनक ने अपने पद से इस्तीफा भी दे दिया है। उन्होंने चुनावों में हार की जिम्मेदारी भी ली है। करीब 15 साल लंबा कंजरवेटिव शासन खत्म हो चुका है। ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि कीर स्टारमर कौन हैं जिन्होंने ऋषि सुनक को सत्ता से बेदखल कर दिया।
कौन है कीर स्टारमर
2 सितंबर, 1962 को लंदन में जन्में कीर स्टारमर का पालन-पोषण ऑक्सटेड के सरे समुदाय में हुआ था। कीर का पालन-पोषण एक मजदूर वर्ग के घर में हुआ था। उनकी माँ एक नर्स थीं, जिन्हें दुर्लभ और गंभीर रुमेटॉइड गठिया की बीमारी थी। कीर के पिता औजार बनाने वाले थे। स्टारमर ने रीगेट ग्रामर स्कूल में पढ़ाई की और अपने परिवार के पहले विश्वविद्यालय स्नातक थे। कीर ने कानून की पढ़ाई के लिए लीड्स विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। राजनीति में आने से पहले वे मानवाधिकारों के लिए वकील थे। उन्होंने 1987 में बैरिस्टर के रूप में कानून का अभ्यास शुरू किया। स्टारमर ने 2016 के ब्रेक्सिट जनमत संग्रह के दौरान असफल ब्रिटेन स्ट्रॉन्गर इन यूरोप अभियान का समर्थन किया और बाद में जेरेमी कॉर्बिन के नेतृत्व में दूसरे जनमत संग्रह की वकालत की। कॉर्बिन के इस्तीफे के बाद, स्टारमर ने वामपंथी मंच पर 2020 का लेबर नेतृत्व चुनाव जीता।
ब्रिटेन में लेबर पार्टी की वापसी से भारत-ब्रिटेन रिश्तों पर असर
ब्रिटेन में 650 संसदीय क्षेत्र हैं, जिनमें से 641 के नतीजे घोषित हो चुके हैं। ऋषि सुनक की कंजर्वेटिव पार्टी को सिर्फ़ 119 सीटें मिलीं, जबकि लेबर पार्टी को 410 सीटें मिलीं। शुक्रवार को स्टारमर कमान संभाल सकते हैं। 14 साल के अंतराल के बाद लेबर पार्टी ब्रिटेन में वापस आ गई है, और इसका असर ब्रिटेन के अहम सहयोगी भारत के साथ-साथ सरकार की नीतियों पर भी पड़ेगा। दरअसल, कीर स्टारमर से पहले लेबर पार्टी के नेता रहे जेरेमी कॉर्बिन कश्मीर को लेकर भारत विरोधी विचार रखते हैं।
हालांकि, कीर स्टारमर ने ब्रिटेन में भारतीयों के साथ संबंध बनाने को महत्व दिया है। कीर स्टारमर के 2024 के चुनाव घोषणापत्र में भी भारत के साथ संबंधों पर जोर दिया गया है। इसमें सुरक्षा, शिक्षा, तकनीक और पर्यावरण पर गहरे सहयोग की बात कही गई है। इस साल की शुरुआत में उन्होंने लंदन के किंग्सबरी में श्री स्वामीनारायण मंदिर का भी दौरा किया था।
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