US officials chat Leaked: अमेरिकी प्रशासन के भीतर एक नया विवाद सामने आया है, जिसमें सुरक्षा में गंभीर उल्लंघन का मुद्दा उठ रहा है। यह कहानी उस समय की है जब अटलांटिक मैग्ज़ीन के पत्रकार जेफ़्री गोल्डबर्ग को एक मैसेजिंग प्लेटफ़ॉर्म सिग्नल पर एक ग्रुप में जोड़ दिया गया। इस ग्रुप में उपराष्ट्रपति जेडी वांस, रक्षा मंत्री पीट हेगसेट और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वॉल्टज़ भी शामिल थे। यहां पर यमन में ईरान समर्थित हूती ग्रुप पर किए गए हमले के बारे में बातचीत हो रही थी, जिसे अमेरिका ने 17 मार्च को अंजाम दिया था। इस हमले में 53 लोगों की जान गई थी और 98 लोग घायल हो गए थे, जिनमें पांच बच्चे भी शामिल थे।
यमन पर हमले की गोपनीय योजना का लीक होना- US officials chat Leaked
गोल्डबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि बमबारी से दो घंटे पहले उन्होंने हमले की पूरी गोपनीय योजना देखी, जिसमें हमले के समय, लक्ष्य और इस्तेमाल किए गए हथियारों का विवरण था। यह जानकारी एक ग्रुप चैट से लीक हुई थी, जिसमें प्रमुख सरकारी अधिकारी शामिल थे। इस चैट से कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। उपराष्ट्रपति जेडी वांस ने ट्रंप की सोच पर सवाल उठाया था, यह बताते हुए कि स्वेज़ नहर में हूती बलों पर हमला यूरोप के हितों के लिए अधिक फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि इस नहर से यूरोप का व्यापार अमेरिका से कहीं अधिक होता है।
ट्रंप की यूरोप नीति पर सवाल
चैट में वांस ने यह भी कहा कि ट्रंप को शायद इस बात की जानकारी नहीं है कि अमेरिका की कार्रवाई यूरोप की मदद कर सकती है। उन्होंने यह भी व्यक्त किया कि इस हमले के बाद तेल की कीमतों में इज़ाफा हो सकता है, जो यूरोप और अमेरिका दोनों के लिए एक खतरा हो सकता है। बाद में वांस के प्रवक्ता ने बयान जारी किया कि इस मुद्दे पर राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के बीच पूरी सहमति बन गई थी।
यूरोप पर ‘मुफ़्तखोरी’ का आरोप
इस बातचीत में यूरोप को लेकर भी गंभीर टिप्पणियां की गईं। वांस ने कहा कि यूरोप को फिर से मदद करना उन्हें नापसंद है और उन्होंने इसे ‘मुफ़्तखोरी’ करार दिया। इस पर रक्षा मंत्री पीट हेगसेट ने भी सहमति जताई और इसे ‘दया का विषय’ बताया। इस पर एक सदस्य ने सुझाव दिया कि अमेरिका को मिस्र और यूरोप से स्पष्ट रूप से कहना चाहिए कि उन्हें बदले में क्या चाहिए, और अगर यूरोप सहयोग नहीं करता है, तो अमेरिका को अपनी सैन्य कार्यवाही से आर्थिक लाभ उठाना चाहिए।
हमले के बाद इमोजी और प्रार्थनाएं
हमले के बाद, ग्रुप में कई सदस्यों ने इमोजी पोस्ट किए, जिसमें अमेरिकी झंडा और आग के प्रतीक थे। इसके बाद एक सदस्य ने प्रार्थना के इमोजी भी जोड़े। उपराष्ट्रपति वांस ने भी इसे एक जीत मानते हुए प्रार्थना की। गोल्डबर्ग के अनुसार, यह घटना अमेरिकी सरकार की आंतरिक सुरक्षा की गंभीर स्थिति को दर्शाती है, जिससे राष्ट्रपति ट्रंप और उनके प्रशासन पर सवाल उठने लगे हैं।
बाइडन प्रशासन की नाकामी और ट्रंप के आरोप
गोल्डबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, इस हमले के बाद अमेरिकी रक्षा मंत्री ने एक संदेश में कहा कि ईरान की मदद से हूती विद्रोहियों का समर्थन किया जा रहा है और यह बाइडन प्रशासन की नाकामी का परिणाम है। ट्रंप प्रशासन बार-बार बाइडन पर आरोप लगाता रहा है कि उसने ईरान के खिलाफ ठोस कदम नहीं उठाए हैं।
माइक वाल्ट्ज़ और सिक्योरिटी लीक्स
गोल्डबर्ग ने बताया कि उन्हें सिग्नल प्लेटफॉर्म पर माइक वाल्ट्ज़ से एक अनचाहा निमंत्रण मिला और इसके बाद उन्हें यमन से संबंधित ग्रुप चैट में जोड़ा गया। राष्ट्रपति ट्रंप इस ग्रुप का हिस्सा नहीं थे, लेकिन उनके करीबी सहयोगी इसमें शामिल थे। शुरू में गोल्डबर्ग को यह धोखाधड़ी जैसा लगा, लेकिन बाद में उन्होंने इसे असली समझा। यह पूरी घटना अब राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज़ के लिए एक बड़ा दबाव बन गई है, क्योंकि डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्य इस मामले की पूरी जांच की मांग कर रहे हैं।
ट्रंप की प्रतिक्रिया
जब गोल्डबर्ग ने इस मुद्दे पर राष्ट्रपति ट्रंप से सवाल पूछा, तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है, लेकिन वह वाल्ट्ज़ के साथ खड़े हैं। रक्षा मंत्री पीट हेगसेट ने भी इस लीक को नकारते हुए कहा कि किसी भी प्रकार की सीक्रेट जानकारी लीक नहीं हुई है।
इस पूरी घटना ने अमेरिकी प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं, और यह साबित किया है कि कैसे अंदरूनी चर्चाओं और निर्णयों का सार्वजनिक रूप से लीक होना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर चिंता का कारण बन सकता है।