US Immigration Row: इनमें से 22 साल के प्रदीप भी शामिल हैं, जो पंजाब के जुडोद गांव के रहने वाले हैं। अमेरिका जाने के लिए प्रदीप ने अवैध रास्ता अपनाया था और परिवार ने उसे भेजने के लिए 41 लाख रुपये खर्च किए थे। लेकिन, छह महीने बाद प्रदीप अमेरिका से भारत वापस भेज दिया गया। उनका परिवार इस घटना से पूरी तरह सदमे में है, और फिलहाल मीडिया से बात करने से इंकार कर दिया है।
प्रदीप के परिवार का दुख- US Immigration Row
प्रदीप के घरवालों का कहना है कि उन्हें इस बात की खुशी है कि उनका बेटा सुरक्षित घर लौट आया है, लेकिन वे इस कष्टकारी समय में सदमे में हैं। प्रदीप के पिता का कहना है कि उन्होंने बेटे को विदेश भेजने के लिए अपनी ज़मीन बेच दी थी, लेकिन अब उनका बेटा वापस आ गया है। प्रदीप का परिवार अब सिर्फ इस बात की उम्मीद कर रहा है कि उन्हें इस रकम का कुछ हिस्सा वापस मिले, ताकि वे कुछ काम कर सकें।
गाँव में बढ़ता पलायन
प्रदीप के गांव के लोग भी इस घटना को लेकर दुखी हैं। गांव के पड़ोसी बताते हैं कि जब मामला शांत हो जाएगा, तब फिर से लोग विदेश जाने के लिए पागल हो जाएंगे। एक गांव वाले का कहना था कि सरकार युवाओं को रोजगार नहीं दे रही है, और इस कारण वे विदेश जाने के लिए मजबूर हो जाते हैं। वहीं, किसानों के बारे में भी उनका कहना था कि आजकल की युवा पीढ़ी खेती में रुचि नहीं लेती है, और सरकार की ओर से कृषि बाजार में सही मूल्य न मिलने के कारण युवा काम के लिए बाहर जाने को मजबूर हैं।
आकाश का संघर्ष
प्रदीप की ही तरह हरियाणा के करनाल जिले के घरौंडा के कलारों गांव के एक और युवक आकाश की भी दुखद कहानी है, जिसका परिवार उसे विदेश भेजने के लिए जमीन बेचने को तैयार था। आकाश के परिवार ने उसे अमेरिका भेजने के लिए 72 लाख रुपए खर्च किए थे। हालांकि, 26 जनवरी को वह मैक्सिको की दीवार फांदकर अमेरिका में घुस गया, लेकिन जल्द ही उसे पकड़ लिया गया और डिपोर्ट कर दिया गया। आकाश को रिमांड का डर दिखाकर उसे डिपोर्ट के कागजों पर साइन करवा लिया गया। अब उसका परिवार भी सदमे में है और चाहता है कि एजेंटों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
प्रवासी भारतीयों की समस्याएं
इन सब घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि प्रवासी भारतीयों के लिए अमेरिका जाने का सपना कई बार एक दुःस्वप्न बन जाता है। उच्च लागत, कठिन रास्ते और अपार संघर्षों के बावजूद कई लोग अपने परिवारों का पैसा खर्च करके विदेश जाते हैं, लेकिन उन्हें कभी भी वह परिणाम नहीं मिलता जो वे चाहते हैं। डिपोर्ट किए गए लोगों की कहानियां इस बात की गवाह हैं कि किस तरह वे बिना किसी सुरक्षा और सही मार्गदर्शन के रास्ते पर निकल पड़ते हैं, और अंत में उन्हें अपनी असफलता का सामना करना पड़ता है।
एजेंटों का धोखाधड़ी
इसके साथ ही, एजेंटों की भूमिका भी इस पूरे प्रकरण में सामने आती है। इन एजेंटों ने उच्च खर्चे पर भारतीय युवाओं को विदेश भेजने का वादा किया, लेकिन उन्हें सुरक्षा या कानूनी मार्गदर्शन नहीं दिया। इस धोखाधड़ी के कारण इन युवाओं को कड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा, और कई मामलों में तो उनके परिवारों ने अपनी ज़मीन तक बेच दी।