टेरर फंडिंग मामले में पाकिस्तान की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही थीं कि इस बीच पड़ोसी मुल्क के लिए एक और बुरी खबर आ गई। दरअसल, पाकिस्तान का दोस्त तुर्की भी अब बुरी तरह फंस चुका है। मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग मामले में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्ट से पाकिस्तान बाहर नहीं आ पा रहा। इस बीच पाक के हमदम तुर्की को भी एक बड़ा झटका लगा। दरअसल, तुर्की को भी पाकिस्तान की ही तरह FATF की ग्रे लिस्ट में डाल दिया गया है।
ग्रे लिस्ट में पाक बरकरार
FATF प्रमुख मार्कस प्लेयर ने कहा कि पाकिस्तान अब भी अतिरिक्त मॉनिटरिंग वाली ग्रे लिस्ट में मौजूद है। उसने FATF के 34 सूत्रीय एजेंडों में से 4 पर कोई भी काम अब तक नहीं किया। 2018 में पाकिस्तान को इस लिस्ट में डाला गया था। फिर इसका बार बार रिव्यू किया गया, लेकिन क्योंकि पाकिस्तान ने आतंकवाद पर अपने यहां कोई ठोंस कदम नहीं उठाए, जिसके चलते उसे इससे राहत नहीं दी गई।
ब्लैक लिस्ट होने का खतरा
यही नहीं पाकिस्तान पर तो ब्लैक लिस्ट में जाने का भी खतरा मंडरा रहा है। अगर उसको ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाता है तो पाक की मुश्किलें बहुत ज्यादा बढ़ जाएगी और कर्जे में डूबे पाकिस्तान को तब अंतरराष्ट्रीय मदद मिलना बंद हो जाएगी, जिससे वो पूरी तरह से बर्बादी के कगार पर पहुंच जाएगा। यानी पाकिस्तान के पास अभी थोड़ा मौका है सुधरने का। वो अगर अपने यहां आतंकवाद को पालने पोसने का काम नहीं छोड़ता, तो आने वाले वक्त में उसकी मुश्किलें बहुत ज्यादा बढ़ जाएगी।
तुर्की भी मुसीबतों में फंसा
वहीं मनी लॉन्ड्रिग और आतंकवाद को वित्त पोषण से निपटने में कमियों की वजह से तुर्की भी ग्रे लिस्ट का हिस्सा बन गया। तुर्की के साथ साथ जॉर्डन और माली को भी इस लिस्ट में शामिल किया गया है। वहीं बोत्सवाना और मॉरीशस इससे बाहर हुए। FATF ने ऐसे समय में तुर्की को इस लिस्ट में डाला जब ये देश भी पाकिस्तान की ही तरह आर्थिक संकटों का सामना कर रहा है। अब ग्रे लिस्ट में जाने से तुर्की की मुश्किलें और ज्यादा बढ़ सकती है। बता दें कि FATF की बैठकों में पाकिस्तान की काफी मदद करता था, जिससे उसे ब्लैक लिस्ट में ना डाला जाएं। लेकिन अब पाक को बचाते बचाते खुद तुर्की ही ग्रे लिस्ट में पहुंच गया।
जानिए क्या है FATF और इसकी ग्रे लिस्ट?
FATF एक इंटरनेशनल मॉडिटिरिंग बॉडी है। इसकी स्थापना जी-7 समूह ने साल 1989 में की गई थीं फ्रांस की राजधानी पेरिस में। FATF का ये काम होता है कि वो मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग पर नजर रखें और एक्शन लें। FATF का फैसला लेने वाला निकाय एफएटीएफ प्लेनरी कहा जाता है। एक साल में तीन बार इसकी बैठक होती है।
जो देश आतंकी संगठनों की वित्तीय मदद करता है या किसी भी तरह उन तक पैसा पहुंचाता है, उनको FATF की ग्रे लिस्ट में डाला जाता है। ऐसे देशों को इस तरह की अवैध गतिविधियां बंद करने और आतंकवाद को लेकर ठोस कदम उठाने की चेतावनी दी जाती है। अगर वो ऐसा नहीं करते, तो उन्हें ग्रे सूची में रखा जाता है।