चीन में ‘तिब्बत की आजादी’ की चाह में गिरफ्तार की गई 15 साल की एक तिब्बती लड़की ने कहा है कि वह ‘चीनी अत्याचार’ के बारे में जागरूकता बढ़ाना चाहती है। 21 अक्टूबर 2015 को, चीनी अधिकारियों ने नामकी और उसकी बहन को तिब्बती काउंटी नगाबा में पकड़ लिया और दलाई लामा की तस्वीरों को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करने और तिब्बत की ‘आज़ादी’ की मांग करने के लिए उन्हें तीन साल के लिए जेल में डाल दिया। जब यह हुआ तब नमाकी 15 साल की थी।
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तिब्बत की पहचान को कमजोर किया जा रहा
नामकी ने बताया कि वह पिछले साल 28 जून को धर्मशाला पहुंची थीं। उन्होंने कहा, करीब 10 महीने तक भारत में रहने के बाद अब उन्हें चिंता है कि उनके परिवार को वहां निशाना बनाया जा सकता है। नामकी ने आगे कहा, ‘‘तिब्बत में लोग दयनीय स्थिति में रह रहे हैं। मैं दुनिया के सामने उनकी आवाज बनना चाहती हूं। मैं विभिन्न देशों का दौरा करना चाहती हूं और प्रचार करना चाहती हूं और उन्हें बताना चाहती हूं कि तिब्बत में क्या चल रहा है। चीन तिब्बत की पहचान को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है।”
साथ ही, तिब्बती कार्यकर्ता ने चीन पर धार्मिक स्वतंत्रता से इनकार करने और तिब्बत की सांस्कृतिक विरासत और पहचान को नष्ट करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। हालांकि, बीजिंग ऐसे आरोपों को खारिज करता रहा है।
विरोध प्रदर्शन करने पर यातनाएं दीं
नामकी, जो चारो गांव में पैदा हुई थी, स्वतंत्र तिब्बत और दलाई लामा की तिब्बत में शीघ्र वापसी के लिए नगाबा के एक महत्वपूर्ण क्षेत्र में 21 अक्टूबर, 2015 के प्रदर्शन के बाद अपनी बहन तेनज़िन डोलमा के साथ हिरासत में लिए जाने का एक किस्सा साझा करते हुए कहती है कि, ‘हमारे मार्च को 10 मिनट से ज्यादा नहीं हुए थे कि चार, पांच पुलिस अधिकारी आए और हमारे हाथों से (दलाई लामा की) तस्वीरें छीन लीं।”
नामकी ने आगे कहा कि, इसके बाद उन्होंने हमारे हाथों में हथकड़ी डाल दी और हमें पुलिस वाहन में डाल दिया। हमें नगाबा काउंटी के हिरासत केंद्र में ले जाया गया। फिर वे हमें बरकम शहर के एक अन्य हिरासत केंद्र में ले गए। मुझे और मेरी बहन को गंभीर यातनाएं दी गईं।
अदालत ने दोनों को भेज दिया जेल
उनकी गिरफ्तारी के करीब एक साल बाद सुनवाई शुरू हुई, लेकिन कोर्ट ने दोनों को जेल भेज दिया। लगभग तीन महीने जेल में बिताने के बाद, नामकी और उसकी बहन ने एक श्रमिक शिविर में काम किया। 21 अक्टूबर 2018 को दोनों बहनें सजा पूरी करने के बाद जेल से रिहा हो गईं। इसके बाद 13 मई 2023 को नामकी ने बिना किसी को बताए अपनी चाची त्सेरिंग के साथ प्रवास के उद्देश्य से अपनी यात्रा शुरू की और सबसे पहले एक सीमा पार कर नेपाल पहुंच गई।
दलाई लामा तिब्बत से भागकर भारत आए
1959 में चीन विरोधी असफल विद्रोह के बाद, 14वें दलाई लामा तिब्बत से भागकर भारत आ गये जहां उन्होंने निर्वासित सरकार की स्थापना की। 2010 के बाद से चीनी सरकार के अधिकारियों और दलाई लामा या उनके प्रतिनिधि के बीच कोई औपचारिक बातचीत नहीं हुई है। बीजिंग कहता रहा है कि उसने तिब्बत में ‘मजदूरों और दासों’ को क्रूर धर्मतंत्र से मुक्त कराया और क्षेत्र को समृद्धि और आधुनिकीकरण के रास्ते पर रखा। चीन पहले भी दलाई लामा पर तिब्बत को बांटने की कोशिश करने का आरोप लगा चुका है।
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