अफगानिस्तान पर तालिबान (Taliban in Afghanistan) ने कब्जा जमा लिया है। दुनिया के तमाम बड़े देश देखते रह गए लेकिन तालिबान अपना काम कर गया। अफगानिस्तान में त्राहिमाम मचा हुआ है। तमाम लोग व्याकुल होकर देश छोड़ कर जानें की कोशिशों में लगे हैं। एयरपोर्ट पर बेतहाशा भीड़ देखने को मिल रही है। कई देश अपने राजदूत और तमाम लोगों को वहां से निकालने में लगे हैं।
संयुक्त राष्ट्र अमेरिका (USA) भी हालात पर नजर बनाए हुए है लेकिन समय रहते उनकी लचर प्रतिक्रिया ने अब हालात को काफी भयावह कर दिया है। इसी बीच दुनिया के तमाम देशों ने अफगानिस्तान में तालिबान का समर्थन किया है। चीन, पाकिस्तान, रुस औऱ तुर्की समेत कई देशों ने अपने राजदूत को वहीं रखने का फैसला लिया है।
अफगानिस्तान में रुस के राजदूत ने तो तालिबान के व्यवहार और आचरण की जमकर प्रशंसा की है। जिसके बाद इस तरह की बातें निकल कर सामने आ रही है कि कहीं अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के पीछे चीन, रुस और पाकिस्तान जैसे देशों का हाथ तो नहीं।
तालिबानियों से प्रेम-प्रलाप
रुस के राजदूत दिमित्रा झिरनोवा का कहना है कि तालिबान ने पहले 24 घंटों में काबुल को पिछले अधिकारियों की तुलना में ज्यादा सुरक्षित बना दिया है। उन्होंने कहा कि वह तालिबान के अब तक के आचरण से प्रभावित हुए हैं। साथ ही उन्होंने तालिबानियों के दृष्टिकोण को अच्छा, सकारात्मक और व्यापार जैसा बताया।
दिमित्रा झिरनोवा ने कहा, ‘स्थिति शांतिपूर्ण और अच्छी है और शहर में सब कुछ शांत हो गया है। तालिबान के तहत अब काबुल में स्थिति राष्ट्रपति अशरफ गनी की सरकार की तुलना में बेहतर है।‘
…जब राष्ट्रपति भाग गए और कर्फ्यू लगा दिया गया
रुस के राजदूत ने कहा, कल शासन ताश के पत्तों की तरह गिर गया। अव्यवस्था का माहौल था और लुटेरे सड़कों पर निकल आए। उन्होंने कहा कि शुरुआत में तालिबान की निहत्थी इकाईयां राजधानी में दाखिल हुईं और सरकार और अमेरिकी बलों से अपने हथियार आत्मसमर्पण करने को कहा।
उन्होंने कहा कि मुख्य सशस्त्र तालिबान इकाईयां देश में प्रवेश होने में तब पूरी तरह से सफल हो गई, जब राष्ट्रपति गनी भाग गए और कर्फ्यू लगा दिया गया। झिरनोव ने कहा कि तालिबान ने पहले ही रूसी दूतावास की सुरक्षा परिधि पर नियंत्रण कर लिया है, जिसमें 100 से ज्यादा कर्मचारी हैं और वह मंगलवार को उनके साथ विस्तृत सुरक्षा वार्ता करेंगे।
अफगानिस्तान में अमेरिका की हुई हार!
दरअसल, तालिबानी आतंकवादियों ने रविवार को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जा कर लिया। राष्ट्रपति अशरफ गनी देश की जनता को भगदड़ में ही छोड़कर देश से भाग गए। इसके साथ ही अमेरिका द्वारा इस देश में सुधार लाने के पिछले 20 सालों के प्रयास पर भी पानी फिर गया।
बताते चले कि अफगानिस्तान में शांति को लेकर अमेरिका काफी पहले से ही अपनी पीठ थपथपाते आ रहा था। अमेरिका ने 20 सालों तक वहां अपने सैनिकों को रखा और अरबों डॉलर खर्च किए थे लेकिन जो बाइडन के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिकी सरकार ने अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को बुला लिया। जिसके बाद अब हालात काफी नाजुक हो गए हैं।
आने वाले समय में स्थिति काफी बदतर हो सकती है। क्योंकि तालिबानी कानून अफगानिस्तान में रहने वाली महिलाओं और बच्चों की स्वतंत्रता पर लगाम कसने का काम करती है। तालिबान के शासन के बाद वहां पर महिलाओं को बाहर निकलने के लिए हिजाब पहनना अनिवार्य हो गया है। यहां तक कि महिला रिपोर्टरों को भी अब हिजाब पहनकर रिपोर्टिंग करते देखा जा रहा है।