Sunita Williams Update: भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर केवल 8 दिनों के लिए भेजा गया था, लेकिन वह 9 महीने से अधिक समय तक वहां फंसी रहीं। अब, 12 मार्च 2025 को वह आखिरकार धरती पर लौटने वाली हैं। हालांकि, यह वापसी आसान नहीं होगी। लंबे समय तक माइक्रोग्रैविटी में रहने के कारण उनके शरीर में महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं, जिससे पृथ्वी की सतह पर दोबारा चलना और सामान्य जीवन जीना उनके लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
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अंतरिक्ष में 9 महीने बिताने के प्रभाव (Sunita Williams Update)
जब अंतरिक्ष यात्री महीनों तक शून्य गुरुत्वाकर्षण (microgravity) में रहते हैं, तो उनके शरीर में कई बदलाव होते हैं:
- मांसपेशियों और हड्डियों की कमजोरी – पृथ्वी की तुलना में अंतरिक्ष में मांसपेशियों और हड्डियों का कम इस्तेमाल होता है, जिससे वे कमजोर हो जाती हैं।
- हार्ट और ब्लड सर्कुलेशन पर असर – ग्रेविटी के बिना हार्ट को शरीर में रक्त पंप करने में उतनी मेहनत नहीं करनी पड़ती, जिससे कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम कमजोर हो सकता है।
- चलने और खड़े होने में कठिनाई – ज़मीन पर लौटने के बाद, सुनीता को फिर से चलना और संतुलन बनाए रखना सीखना होगा।
- विकिरण (Radiation) का खतरा – पृथ्वी के वायुमंडल से बाहर ब्रह्मांडीय किरणों की तीव्रता अधिक होती है, जो कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती हैं।
कब लौटेंगी घर?
नासा ने 19 या 20 मार्च को सुनीता और उनके साथी बैरी “बुच” विलमोर को वापस लाने की योजना बनाई है। लेकिन, धरती पर लौटने के तुरंत बाद वे अपने घर नहीं जा सकेंगी। अंतरिक्ष से लौटने के बाद सबसे पहले उन्हें विभिन्न चिकित्सीय परीक्षणों से गुजरना होगा, ताकि यह आकलन किया जा सके कि उनका शरीर पृथ्वी की स्थिति के लिए कैसे अनुकूल हो रहा है। डॉक्टरों के अनुसार, पूरी तरह से सामान्य जीवन में लौटने में कम से कम 6 हफ्ते (42 दिन) लगेंगे।
“मैं चलना तक भूल गई हूँ”
हाल ही में सुनीता विलियम्स ने कहा,
“मैं याद करने की कोशिश कर रही हूँ कि चलते कैसे हैं, मैं कब से चली नहीं हूँ, कब से बैठी नहीं हूँ, कब से लेटी नहीं हूँ।”
उनके इस बयान से साफ है कि 9 महीने तक अंतरिक्ष में रहना कितना कठिन रहा। डॉक्टरों के मुताबिक, वापसी के बाद उन्हें फिर से खड़े होने और चलने की आदत डालनी होगी।
अंतरिक्ष से लौटने के बाद रिकवरी प्रक्रिया
- मांसपेशियों को फिर से मजबूत बनाना – उन्हें विशेष शारीरिक व्यायाम करने होंगे, ताकि उनका शरीर फिर से पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के अनुसार ढल सके।
- हार्ट को सामान्य कार्यप्रणाली में लाना – ग्रेविटी के बिना हार्ट को ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती, जिससे वापसी पर ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव की संभावना रहती है।
- संतुलन और समन्वय में सुधार – माइक्रोग्रैविटी में रहने के कारण शरीर की नसों और मस्तिष्क के बीच संतुलन बिगड़ सकता है। इसके लिए विशेष प्रकार के फिजियोथेरेपी की आवश्यकता होगी।
- मानसिक और भावनात्मक अनुकूलन – इतने लंबे समय तक पृथ्वी से दूर रहने के कारण मानसिक बदलाव भी हो सकते हैं, जिससे व्यक्ति को सामान्य जीवन में ढलने में समय लगता है।
विकिरण (Radiation) का खतरा
सुनीता और उनके साथी लंबे समय तक ब्रह्मांडीय विकिरण के संपर्क में रहे हैं, जिससे कैंसर, जेनेटिक म्यूटेशन और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है।
एलन मस्क और नासा की भूमिका
स्पेसएक्स (SpaceX) के मालिक एलन मस्क और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले ही अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित वापसी के लिए दबाव डाला था। एलन मस्क ने सुझाव दिया था कि नासा को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) को 2031 तक ऑपरेट करने के बजाय 2027 तक बंद कर देना चाहिए। हालाँकि, सुनीता विलियम्स ने इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा कि ISS वैज्ञानिक शोधों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
अंतरिक्ष में सबसे ज्यादा समय बिताने का रिकॉर्ड
अब तक अंतरिक्ष में सबसे ज्यादा समय बिताने का रिकॉर्ड रूसी अंतरिक्ष यात्री ओलेग कोनोनेंको के नाम है, जिन्होंने 878 दिन अंतरिक्ष में बिताए हैं। महिला अंतरिक्ष यात्री में यह रिकॉर्ड क्रिस्टीना कोच के नाम दर्ज है, जिन्होंने 328 दिन तक अंतरिक्ष में रहने का कीर्तिमान स्थापित किया था।
भारतीय महिला अंतरिक्ष यात्री: कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स
वहीं, कल्पना चावला, भारतीय मूल की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री थीं, जिन्होंने दो बार अंतरिक्ष की यात्रा की थी। दुर्भाग्य से, 1 फरवरी 2003 को कोलंबिया स्पेस शटल दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई थी। सुनीता विलियम्स, कल्पना चावला की तरह, भारतीय मूल की एक और प्रसिद्ध महिला अंतरिक्ष यात्री हैं, जिन्होंने तीन बार ISS में रहने का अनुभव प्राप्त किया है।
अब जब 19 या 20 मार्च को सुनीता विलियम्स धरती पर लौटेंगी, तो उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी – फिर से सामान्य जीवन में लौटना। हालांकि, वैज्ञानिकों और डॉक्टरों की टीम उनकी रिकवरी के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। अंतरिक्ष की यह यात्रा उनके जीवन का सबसे कठिन लेकिन ऐतिहासिक अनुभवों में से एक रही है।
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