Sunita Williams News: भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स, जो पिछले 9 महीने से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर थीं, आखिरकार सुरक्षित रूप से धरती पर लौट आईं। उनकी लैंडिंग भारतीय समयनुसार तड़के 3:30 बजे फ्लोरिडा के समुद्र तट पर हुई, जिसके साथ ही एक ऐतिहासिक अंतरिक्ष मिशन का समापन हुआ। इस मिशन ने कई तकनीकी और वैज्ञानिक चुनौतियों को पार किया, लेकिन इसके साथ एक सवाल उठता है: आखिरकार नासा और ISS के बीच कम्युनिकेशन कैसे होता है, जब ISS धरती से लगभग 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित होता है?
नासा के ग्राउंड स्टेशन: इंटरग्लोबल कम्युनिकेशन्स की कुंजी- Sunita Williams News
नासा का कम्युनिकेशन नेटवर्क एक अत्याधुनिक तकनीकी ढांचे पर आधारित है, जो पूरे मिशन के दौरान अंतरिक्ष यात्री और पृथ्वी के बीच संपर्क बनाए रखने में सक्षम है। नासा के पास कई ग्राउंड स्टेशन हैं जो विभिन्न सैटेलाइट्स के माध्यम से कम्युनिकेशन का काम करते हैं। इनका मुख्य उद्देश्य पृथ्वी और ISS के बीच निरंतर सिग्नल ट्रांसमिशन सुनिश्चित करना है।
TDRSS: नासा का प्रमुख ट्रैकिंग और डेटा रिले सैटेलाइट सिस्टम
नासा का एक प्रमुख कम्युनिकेशन सिस्टम है – ट्रैकिंग और डेटा रिले सैटेलाइट सिस्टम (TDRSS)। यह प्रणाली पृथ्वी पर स्थित ग्राउंड स्टेशनों से सिग्नल प्राप्त करती है और इन्हें ISS तक भेजने का कार्य करती है। इन ग्राउंड स्टेशनों में न्यू मैक्सिको और गुआम में मुख्य केंद्र स्थित हैं। TDRSS सैटेलाइट पृथ्वी से लगभग 35,786 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित होते हैं, जो अंतरिक्ष में ISS तक सिग्नल पहुंचाने के लिए बेहद प्रभावी हैं।
सिग्नल ट्रांसमिशन की गति और समय
TDRSS सैटेलाइट के माध्यम से सिग्नल लाइट की गति से ISS तक पहुंचते हैं, जो लगभग 3 लाख किलोमीटर प्रति सेकेंड होती है। इस तेजी से, पृथ्वी से ISS तक सिग्नल पहुंचने में केवल 1.4 मिलीसेकेंड का समय लगता है। इस प्रकार, दोनों दिशाओं में सिग्नल आने और जाने का कुल समय महज 2.8 मिलीसेकेंड होता है, जो कम्युनिकेशन्स के लिहाज से एक शानदार उपलब्धि है।
ISS का इंटरनल कम्युनिकेशन सिस्टम
ISS में कई एंटेना और कम्युनिकेशन डिवाइस लगे होते हैं, जो निरंतर संपर्क बनाए रखने में मदद करते हैं। इन उपकरणों में एक बैंड सिस्टम होता है, जिसमें वॉयस, टेलीमेट्री और डेटा ट्रांसमिशन शामिल होते हैं। उच्च दर वाले डेटा, वीडियो और वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए Ku-बैंड सिस्टम का उपयोग किया जाता है। यह सिस्टम अंतरिक्ष यात्रियों और पृथ्वी के वैज्ञानिकों के बीच महत्वपूर्ण जानकारियों का आदान-प्रदान सुनिश्चित करता है।
स्पेस वॉक के दौरान वॉयस कम्युनिकेशन
इसके अलावा, ISS में VHF रेडियो भी मौजूद है, जिसे स्पेसवॉक के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों के बीच सीधे वॉयस संपर्क के लिए उपयोग किया जाता है। यह सिस्टम अंतरिक्ष में काम कर रहे वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को अपनी प्रक्रियाओं को सुरक्षित और सही तरीके से पूरा करने में मदद करता है।
पृथ्वी पर वापसी
जब सुनीता विलियम्स और उनके साथी अंतरिक्ष यात्री ISS से पृथ्वी की ओर लौटते हैं, तो उनका कम्युनिकेशन फिर से TDRSS सैटेलाइट के माध्यम से पृथ्वी तक भेजा जाता है। इस सिग्नल के बाद, नासा स्थित ग्राउंड स्टेशनों पर एस्ट्रोनॉट्स का संपर्क होता है, जो उनकी लैंडिंग की सफलता की निगरानी करते हैं।