साल 2019 के अंत तक दुनियाभर में सबकुछ सामान्य था। हर कोई अपनी सामान्य जिंदगी जी रहा था। लेकिन इस बीच एक ऐसे वायरस ने एंट्री ली, जिसने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया। कोरोना वायरस ने सबसे पहले चीन में भयंकर तबाही मचाई और उसके बाद देखते ही देखते वायरस ने दुनियाभर में अपने पैर पसार लिए।
कोरोना ने पूरी दुनिया को अस्त व्यस्त करके रख दिया। अभी भी ये वायरस बार-बार अपने रूप बदलकर कई देशों में जबरदस्त तबाही मचाता हुआ नजर आ रहा है। कोरोना महामारी के खिलाफ जंग बीते एक साल से जारी है।
हालांकि इस वायरस के कहर को रोकने और लोगों को इससे छुटकारा दिलाने के लिए वैक्सीन बनाने पर लंबे वक्त से काम चल रहा है। कई कंपनियों को इसमें सफलता भी हासिल हुई। अब तक काफी वैक्सीन दुनियाभर में आ चुकी है, जिसे लोगों को देना का काम जारी है। सभी देश इस वक्त इन्हीं कोशिशों में जुटे हैं कि वो अपनी जनता को जल्द से जल्द वैक्सीन लगाकर इस महामारी के साए से बचाएं। भारत समेत दूसरे देशों में वैक्सीनेशन का काम जोरों-शोरों पर जारी है।
Sputnik वैक्सीन का आया ये वर्जन
इस बीच एक और राहत भरी खबर रूस से सामने आई है। रूस ने अपनी ही स्पूनतिक-वी वैक्सीन का एक लाइट वर्जन तैयार किया है। इसका नाम है Sputnik Light। इस वैक्सीन के बारे में खास बात ये है कि ये सिंगल डोज वैक्सीन है। जो कोरोना को मात देने में कारगर है। आइए आपको इस वैक्सीन से जुड़ी कुछ बड़ी बातों के बारे में बता देते हैं…
सिंगल डोज वैक्सीन 80 फीसदी कारगर
रूस कोरोना वैक्सीन तैयार करने वाला सबसे पहला देश था। रूस ने स्पूतनिक-वी वैक्सीन बनाई थी, जो कोरोना वायरस के खिलाफ 91 प्रतिशत कारगर है। इस वैक्सीन का इस्तेमाल अब 60 देशों में हो रहा है। रूस की स्पूतनिक-वी वैक्सीन भी दूसरी वैक्सीन की तरह ही डबल डोज है। लेकिन अब इसके लाइट वर्जन को तैयार किया गया, जो सिंगल डोज है। वैक्सीन को रूस में इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई है।
स्पुतनिक लाइट को मॉस्को के गमलेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ने बनाया है। कंपनी की तरफ से दावा किया गया कि Sputnik Light करीब 80 फीसदी कारगर है। इस सिंगल डोज वैक्सीन का ट्रायल 5 दिसंबर 2020 से लेकर 15 अप्रैल 2021 तक हुआ था। वहीं बताया ये भी जा रहा है कि वैक्सीन का ट्रायल अलग-अलग म्यूटेंट पर हुआ है। इसलिए ये कोरोना के हर स्ट्रेन के खिलाफ कारगर है।
जानकारी के मुताबिक Sputnik Light के तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल में रूस, यूएई, घाना जैसे कई देशों में 7,000 के करीब लोग शामिल हुए थे। अब तक तो वैक्सीन लगने के बाद किसी व्यक्ति में कोई गंभीर बीमारी या लक्षण नहीं दिखाए दिए।
कीमत हो सकती है इतनी
सिंगल डोज वैक्सीन से ये सबसे बड़ा फायदा होगा कि इसकी मदद से कम समय में बड़ी जनसंख्या को वैक्सीनेट करने का काम किया जा सकेगा। वहीं बात अगर इसकी कीमत की करें तो इस वैक्सीन की शुरुआती कीमत 10 डॉलर से कम ही बताई जा रही है। हालांकि अलग देशों में इसकी कीमत अलग भी हो सकती है।
भारत में अभी तक तो दो वैक्सीन कोविशील्ड और कोवैक्सीन की डोज लोगों को दी जा रही हैं। हालांकि Sputnik-V को भी देश में मंजूरी मिल गई हैं। एक मई को इस वैक्सीन की पहली खेप भारत आ भी गई थीं। हालांकि ये देश की जनता को कब दी जाएगी, इसके बारे में अभी जानकारी नहीं।
भारत में जो भी वैक्सीन अभी लगाई जा रही हैं, वो सभी डबल डोज है। Sputnik-V भी डबल डोज वैक्सीन ही है। वैसे भारत जैसी घनी आबादी वाले देश के लिए ये सिंगल डोज वैक्सीन काफी मददगार साबित हो सकती है। इसकी मदद से कम वक्त में ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीनेट करने का काम किया जा सकता है।