Saudi Arabia Uranium: सऊदी अरब ने तेल पर निर्भरता कम करने और आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के उद्देश्य से यूरेनियम को समृद्ध करने और बेचने का निर्णय लिया है। यह घोषणा सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की दूरदर्शी सोच का हिस्सा है, जो देश को तेल के बाद की अर्थव्यवस्था के लिए तैयार कर रहे हैं। यूरेनियम एक दुर्लभ खनिज है, जिसका उपयोग परमाणु ऊर्जा स्टेशनों में ईंधन के रूप में होता है। इसकी वैश्विक मांग और सीमित आपूर्ति इसे एक महत्वपूर्ण संसाधन बनाती है।
यूरेनियम संवर्धन का ऐलान- Saudi Arabia Uranium
सऊदी ऊर्जा मंत्री प्रिंस अब्दुलअजीज बिन सलमान ने धाहरन में आयोजित एक सम्मेलन में कहा कि सऊदी अरब यूरेनियम को समृद्ध करेगा और ‘येलोकेक’ बनाएगा। ‘येलोकेक’ यूरेनियम का एक पाउडर रूप है, जिसका उपयोग परमाणु रिएक्टरों में ईंधन तैयार करने के लिए किया जाता है। इसे सुरक्षित रूप से संभालने की आवश्यकता होती है, लेकिन यह विकिरण के न्यूनतम जोखिम के साथ एक सुरक्षित प्रक्रिया है। इस कदम से सऊदी अरब को न केवल आर्थिक लाभ होगा बल्कि पेट्रोलियम पदार्थों के समाप्त होने के बाद भी आय के नए स्रोत मिलेंगे।
SAUDI ARABIA TO SELL ENRICHED URANIUM, EXPANDING NUCLEAR PROGRAM
“We will enrich it [uranium] and we will sell it; and we will do a ‘yellowcake,'” Prince Abdulazi said of the powdered mineral concentrate used for preparing uranium fuel for nuclear reactors.
According to… pic.twitter.com/D0NbFh7A1t
— Sputnik (@SputnikInt) January 13, 2025
परमाणु महत्वाकांक्षाएं और वैश्विक चिंताएं
सऊदी अरब का यह कदम वैश्विक समुदाय के लिए चिंता का कारण बन सकता है। हालांकि सऊदी अरब ने अपने ऊर्जा मिश्रण में विविधता लाने और शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परमाणु ऊर्जा का उपयोग करने की बात कही है, लेकिन उसकी परमाणु महत्वाकांक्षाएं सवालों के घेरे में हैं। क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने 2018 में कहा था कि यदि ईरान परमाणु हथियार विकसित करता है, तो सऊदी अरब भी ऐसा करेगा। इस पृष्ठभूमि में सऊदी अरब का यह निर्णय अधिक संवेदनशील हो जाता है।
सऊदी अरब बनाम यूएई
खाड़ी देशों में, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की शुरुआत की थी। उसके पास पहले से ही एक परमाणु ऊर्जा संयंत्र है, और उसने यूरेनियम को समृद्ध न करने और खर्च किए गए ईंधन को फिर से संसाधित न करने का वादा किया है। इसके विपरीत, सऊदी अरब ने अभी तक अपना पहला परमाणु रिएक्टर चालू नहीं किया है। उसे अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) द्वारा सीमित मात्रा में परमाणु रिएक्टर संचालित करने की अनुमति प्राप्त है।
तेल के बाद का भविष्य
सऊदी अरब ने यह महसूस कर लिया है कि तेल संसाधन असीमित नहीं हैं। इसीलिए, वह वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की ओर अग्रसर हो रहा है। यूरेनियम संवर्धन और बिक्री उसके लिए एक दीर्घकालिक आय स्रोत साबित हो सकता है। यह निर्णय देश की ऊर्जा और आर्थिक सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
चुनौतियां और संभावनाएं
हालांकि सऊदी अरब के इस फैसले में आर्थिक लाभ की बड़ी संभावना है, लेकिन इसे वैश्विक राजनीति और सुरक्षा के लिहाज से चुनौतीपूर्ण भी माना जा रहा है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सऊदी अरब अपने परमाणु कार्यक्रम को किस दिशा में ले जाता है और इसके लिए वैश्विक समुदाय के साथ कैसे संवाद स्थापित करता है।
सऊदी अरब का यह कदम, जहां उसके आर्थिक भविष्य को सुरक्षित करने की कोशिश है, वहीं क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह नीति आने वाले समय में देश की वैश्विक स्थिति और प्रभाव को किस प्रकार बदलती है, यह देखना दिलचस्प होगा।