सरबजीत सिंह की हत्या के आरोपी पाकिस्तानी अंडरवर्ल्ड डॉन आमिर सरफराज उर्फ तांबा की रविवार को पाकिस्तान के लाहौर में अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी। खबरों के मुताबिक, इस्लामपुरा इलाके में अज्ञात हमलावरों ने उनके घर में घुसकर गोली मारकर हत्या कर दी। जब उसे गोली मारी गई तब वह लाहौर में अपने घर पर मौजूद था। बताया जा रहा है कि आमिर सरफराज को करीब 4-5 राउंड गोलियां लगी। हमलावर 1.30 बजे उसके घर पहुंचे थे। जिसके बाद उन्होंने उसे गोली मार दी और भाग गये। कई गोलियां लगने से घायल आमिर सरफराज को बाद में अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई। हालांकि, सूत्रों की मानें तो आमिर की मौके पर ही मौत हो गई थी।
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सरफराज के भाई ने पूरी घटना बताई
सरफराज के भाई जुनैद ने एफआईआर में कहा कि जब अज्ञात शूटर आवास में दाखिल हुए तो वह अपने भाई सरफराज के पास मौजूद थे। जुनैद ने बताया कि वह ग्राउंड फ्लोर पर था और आमिर सरफराज टॉप फ्लोर पर था। दोपहर करीब 12.40 बजे दो अज्ञात लोग मोटरसाइकिल से उनके आवास पर पहुंचे। इनमें से एक व्यक्ति ने हेलमेट पहन रखा था, जबकि दूसरे ने मास्क लगा रखा था। आवास में घुसते ही उन्होंने अमीर सरफराज को तीन गोली मारी और भाग गये।
रणदीप हुड्डा ने किया ‘अज्ञात हमलावर’ का शुक्रिया
वहीं, आमिर सरफराज की हत्या की खबर के बाद सरबजीत सिंह पर बनी बॉलीवुड बायोपिक में सरबजीत सिंह का किरदार निभाने वाले एक्टर रणदीप हुडा ने प्रतिक्रिया दी है। पोस्ट शेयर करते हुए रणदीप हुडा ने ‘अज्ञात हमलावर’ का शुक्रिया अदा किया है। रणदीप हुड्डा ने पोस्ट में लिखा- कर्मा… जो आप करते हो वो लौटकर जरूर आता है। शुक्रिया ‘अज्ञात हमलावर। मुझे अपनी बहन दलबीर कौर की याद आ रही है। पूनम और स्वप्नदीप को मैं प्यार भेजता हूं। सरबजीत सिंह को कुछ तो इंसाफ मिला है।’
कौन थे सरबजीत सिंह ?
सरबजीत सिंह भारत-पाकिस्तान सीमा के पास रहने वाले एक किसान थे। 30 अगस्त 1990 को वह गलती से पाकिस्तानी सीमा में चले गये। उन्हें पाकिस्तानी सेना ने गिरफ्तार कर लिया था। 1999 में, एक पाकिस्तानी अदालत ने उन्हें लाहौर, मुल्तान और फैसलाबाद में बम विस्फोटों का दोषी ठहराया और मौत की सजा सुनाई। दूसरी ओर, सरबजीत के परिवार ने दावा किया कि पाकिस्तान उन पर गलत आरोप लगा रहा है। मामला जब अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहुंचा तो मजबूरन पाकिस्तानी सरकार को फांसी का फैसला टालना पड़ा।
जेल में हुई सरबजीत की हत्या
फांसी टलने के बाद परिवार और देश को उम्मीद थी कि सरबजीत वापस आ जाएगा, लेकिन अप्रैल 2013 में अमीर सरफराज ने कोट लखपत जेल में पॉलिथीन से गला घोंटकर और पीट-पीटकर उसकी हत्या कर दी। पाकिस्तान की जासूसी संस्था आईएसआई के आदेश पर आमिर ने सरबजीत को प्रताड़ित किया और मार डाला। गंभीर हालत में उन्हें लाहौर के जिन्ना अस्पताल लाया गया। कई दिनों बाद इलाज के दौरान दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई।