वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का खतरा टलने का नाम नहीं ले रहा। कोरोना की दूसरी लहर का कई देशों पर भयंकर प्रकोप देखने को मिल रहा है, जिसमें भारत भी शामिल है। सेकेंड वेव का कहर अभी खत्म नहीं हुआ कि इसी बीच कई एक्सपर्ट्स तीसरी लहर की भी आशंका अभी से जताने लगे है।
कोरोना की पहली वेव जहां सबसे ज्यादा उम्रदराज लोगों पर असर डाला था। वहीं दूसरी लहर युवाओं के लिए बड़ा खतरा बनकर आई। तीसरी लहर से सबसे ज्यादा बच्चे प्रभावित हो सकते है, ऐसी आशंकाएं जताई जा रही है। यहां सबसे बड़ी चिंता की बात ये है कि बच्चों के लिए कोरोना वैक्सीन नहीं होना। अभी बच्चों को वैक्सीन का टीका नहीं लगाया जा रहा। ऐसे में तीसरी लहर के आने से पहले इनको कोरोना से सुरक्षित कैसे किया जाएगा, ये एक सवाल बना हुआ है।
फाइजर की वैक्सीन को दी गई मंजूरी
हालांकि इस बीच अमेरिका से एक राहत भरी खबर आई है, जिससे बच्चों के लिए भी वैक्सीनेशन की उम्मीद जगी है। दरअसल, अमेरिका अब अपने यहां 12 से 15 साल के बच्चों को भी वैक्सीन का टीका लगाने जा रहा है। अमेरिकी खाद्य और औषधि प्रशासन (FDA) ने फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन को इस उम्र के बच्चों पर इस्तेमाल करने का इमरजेंसी अप्रूवल दे दिया। अमेरिका से 16 और उससे ऊपर के उम्र के लोगों को पहले ही वैक्सीन लगाई जा रही है।
FDA के कार्यकारी आयुक्त डॉ. जेनेट वुडकॉक ने कहा कि वैक्सीनेशन के दायरे को बढ़ाकर ही हम सामान्य स्थिति में लौटने के करीब लाता है। माता-पिता और अभिभावक इस बात से आश्वस्त हो सकते हैं कि हमने सभी उपलब्ध डेटा की कठोर और गहन समीक्षा के बाद ही वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी।
बच्चों के लिए पूरी तरह सुरक्षित वैक्सीन
अमेरिकी FDA ने बताया कि ये वैक्सीन बच्चों के लिए भी पूरी तरह सुरक्षिता है। FDA के मुताबिक 12-15 साल के 2 हजार से ज्यादा वॉलंटियर्स को वैक्सीन पर टेस्ट किया गया था। जिसके डेटा के अनुसार वैक्सीनेशन के बाद बच्चों में कोरोना का कोई केस नहीं मिला। कंपनी का दावा है कि बच्चों पर उनकी वैक्सीन 100 फीसदी असरदार है। 18 साल के लोगों की तुलना में 12 से 15 साल की उम्र के जिन बच्चों को वैक्सीन की डोज दी गई, वो कोरोना से संक्रमित नहीं हुए।
…और भी कंपनी कर रही वैक्सीन का ट्रायल
वैसे फाइजर ऐसी इकलौती कंपनी नहीं, जो अपने टीके की आयु सीमा को कम करना चाह रहा। मॉर्डना ने भी 12 से 17 साल के बच्चों पर अपनी वैक्सीन की स्टडी की, जिसमें भी वैक्सीन का बच्चों पर कोई दुष्प्रभाव देखने को नहीं मिला। वहीं फाइजर और मॉडर्ना ने 6 महीने से 11 साल तक के बच्चों पर भी वैक्सीनेशन पर स्टडी शुरू कर दी है।
गौरतलब है कि अमेरिका के द्वारा बच्चों पर वैक्सीन की मंजूरी दिए जाने के बाद दूसरे देशों में भी ऐसा करने की उम्मीद बढ़ गई है। हालांकि अमेरिका ऐसा करने वाला पहला देश नहीं। कनाडा पहले ही 12 से ऊपर के लोगों को वैक्सीन लगाने की इजाजत दे चुका है। देखना होगा कि अब आगे कौन सा देश अपने यहां भी बच्चों के लिए वैक्सीन लगाने की इजाजत देता है।