इजरायल के बारे में कहा जाता है कि वो अपना बदला कभी नहीं भूलता। इजरायल की इसी आदत की वजह से कई देश उससे पंगा लेने से डरते हैं। इजरायल खुद भी समय-समय पर इसका उदाहरण पेश करता रहता है। हाल ही में महज 12 घंटे के अंतराल में इजरायल के दो बड़े दुश्मनों को मार गिराया गया। एक तरफ जहां ईरान की राजधानी तेहरान में हमास के शीर्ष नेता इस्माइल हनीया की मौत हो गई, वहीं दूसरी ओर लेबनान की राजधानी बेरूत में हिजबुल्लाह कमांडर फुआद शुक्र की हत्या कर दी गई। दोनों ही घटनाओं के पीछे इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद का हाथ बताया जाता है। मोसाद इजरायल की ताकत का वह हथियार है जो दुश्मन की जान उसकी नाक के नीचे से ले लेता है। आपको याद दिला दें कि यह वही मोसाद है जिसने 1978 में फिलिस्तीन पॉपुलर फ्रंट के संस्थापकों में से एक वादी हद्दाद की टूथपेस्ट से हत्या कर दी थी।
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वादी हद्दाद को मारने की तैयारी
वादी हद्दाद को अबू हानी भी कहा जाता था। वादी 1960 और 1970 के दशक में फिलिस्तीनी गुरिल्ला आंदोलन का सदस्य था और वह कई विमान अपहरणों के लिए जिम्मेदार था। इनमें से सबसे कुख्यात एन्तेबे विमान अपहरण था, जिसमें लगभग 106 लोगों को बंधक बनाया गया था। वादी हद्दाद का जन्म 1927 में एक फिलिस्तीनी ईसाई परिवार में हुआ था।
जनवरी 1978 में बगदाद में एक सामान्य भोजन के बाद वादी हदाद को पेट में ऐंठन होने लगी। उसकी भूख सी भी खत्म हो गई। उसका वजन करीब 25 पाउंड कम हो गया था। उसकी ऐसी हालत देख उसे इराकी सरकारी अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों ने हेपेटाइटिस का निदान किया। हदाद ने बगदाद के सबसे बड़े डॉक्टरों से इलाज करवाया। हालाँकि, उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। जल्द ही, उसके बाल झड़ने लगे। उसका बुखार बना रहा। संदेह था कि उसे ज़हर दिया गया था, लेकिन डॉक्टरों को नहीं पता था कि कब और कैसे।
फिलिस्तीन मुक्ति संगठन के अध्यक्ष यासर अराफात ने एक सहयोगी को पूर्वी जर्मनी की गुप्त पुलिस, स्टासी से सहायता लेने का निर्देश दिया। इस दौरान, सोवियत संघ ने पासपोर्ट, शरण, गोला-बारूद और खुफिया जानकारी देकर फिलिस्तीनी लड़ाकों की सहायता की।
इस तरह बनाया मारने का प्लान
जब अराफात के सलाहकारों ने पूर्वी जर्मन गुप्त सेवा या स्टासी से संपर्क किया, तो हदाद को बगदाद से पूर्वी बर्लिन स्थानांतरित कर दिया गया। उसे एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, और हदाद को रेगेरींगस्क्रांकेनहाउस में स्थानांतरित कर दिया गया। जब हदाद के सहयोगियों ने उसे बगदाद से हवाई मार्ग से लाया, तो उन्होंने सुविधाओं से भरा एक बैग पैक किया। इसमें टूथपेस्ट की एक ट्यूब थी। जब हदाद बर्लिन पहुंचा, तब तक वह एक चलता-फिरता मृत व्यक्ति बन चुका था।
हदाद को ईस्ट बर्लिन के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ कई जगहों से खून बह रहा था। दस दिनों तक हदाद को बहुत दर्द हुआ। उसकी चीखें पूरे ईस्ट बर्लिन के अस्पताल में सुनी जा सकती थीं और डॉक्टरों को उसे पूरे दिन और रात बेहोश रखना पड़ा। फिर, 29 मार्च को हदाद की मौत हो गई।
टूथपेस्ट मरीन मिलाया गया था जहर
ऐसा कहा जाता है कि मोसाद ने वादी हदाद के एक सहयोगी को काम पर रखा और उसके टूथपेस्ट में ज़हर मिलाकर उसे मार डाला। टूथपेस्ट की नली में ज़हर था। इसे तेल अवीव के दक्षिण-पूर्व में नेस जियोना में इज़राइल इंस्टीट्यूट फॉर बायोलॉजिकल रिसर्च में विकसित किया गया था। ज़हर हदाद के शरीर में तब गया जब वह अपने दाँत साफ़ कर रहा था। यह धीरे-धीरे गंभीर स्तर पर पहुँच गया और फिर हदाद के लिए जानलेवा बन गया।