कारगिल युद्ध को 25 साल पूरे हो चुके हैं। इस लंबे अरसे की यादें आज भी भारतीयों के दिलों में जिंदा हैं। इस युद्ध में कई माताओं ने अपने बेटे खोए, कई बहनों ने अपने भाई तो कई विवाहित महिलाओं ने अपने पति खो दिए। इस युद्ध को लेकर अक्सर भारत की तरफ से कहा जाता रहा है कि ये युद्ध पाकिस्तान की साजिश थी, लेकिन पाकिस्तान ने हमेशा इस बात को नकारा है। लेकिन अब कारगिल युद्ध को लेकर पाकिस्तान के सुर बदल गए हैं। आखिरकार पाकिस्तान ने मान लिया है कि उसके सैनिकों ने न सिर्फ कारगिल युद्ध में हिस्सा लिया था बल्कि आतंकियों के साथ मिलकर भारत के खिलाफ गहरी साजिश भी रची थी। दिलचस्प बात ये है कि इस बात का खुलासा किसी हुक्मरान ने नहीं बल्कि देश के मौजूदा आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर ने किया है। इतना ही नहीं असीम मुनीर ने 1999 में भारत के साथ लड़े गए युद्ध को पूर्वी पड़ोसी के साथ लड़े गए सबसे बड़े युद्धों में गिना है।
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मुनीर ने रक्षा दिवस पर दिया भाषण
मुनीर ने शुक्रवार को रक्षा दिवस पर अपने भाषण में भारत के साथ हुए तीन युद्धों और कारगिल का जिक्र किया। उन्होंने पाकिस्तानी सशस्त्र बलों के “शहीद” सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने जीएचक्यू में मौजूद लोगों से कहा कि,”यकीनन पाकिस्तानी कौम…एक बहादुर कौम है, जो आजादी की अहमियत को निभाना और इसकी कीमत चुकाना जानती है। 1948, 1965, 1971 या करगिल की पाक-भारत जंगें हों…हजारों शोहदा (शहीद) वतन की सलामती और हुरमत (सम्मान) की खातिर कुर्बान हुए।”
First time ever #PakistaniArmy accepts involvement in #KargilWar. Pakistan Army Chief General #AsimMunir confirms Pakistan Army’s involvement in #KargilWar. Pakistan Army Chief General Asim Munir in a defence day speech on Friday said, “1948, 1965, 1971 or Kargil war between… pic.twitter.com/Um83MwSrwM
— Upendrra Rai (@UpendrraRai) September 7, 2024
मुनीर के बयान को कारगिल युद्ध में पाकिस्तानी सेना की प्रत्यक्ष भूमिका पर किसी मौजूदा सेना प्रमुख द्वारा दिया गया अपनी तरह का पहला कबूलनामा माना जा रहा है। यह एक ऐसा रुख है जिसे इस्लामाबाद पिछले 25 सालों से टालता आ रहा है।
आखिर क्यों हुआ था दोनों देशों के बीच युद्ध?
आजादी के बाद से ही दोनों देशों के बीच काफी तनाव रहा है। इसी बीच 1982 में भारत और पाकिस्तान के बीच शिमला समझौता हुआ जिसमें तय हुआ कि दोनों देशों की सेनाओं को सर्दियों के मौसम में बहुत ज्यादा बर्फ वाली जगहों पर काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसलिए दोनों देशों की सेनाएं सर्दियों के मौसम में जम्मू-कश्मीर के बहुत ज्यादा बर्फ वाले इलाकों में एलओसी को छोड़कर कम बर्फ वाली जगहों पर चली जाएंगी।
भारतीय पोस्ट पर पाकिस्तानी सेना ने की घुसपैठ
हर साल की तरह 1998 में भी भारतीय सेना ठंड के मौसम में कम बर्फीली जगह पर चली गई जिसके बाद पाकिस्तान ने धोखे से भारतीय पोस्टों पर कब्जा कर लिया। पाकिस्तानी सेना के 5 हजार जवानों ने घुसपैठियों की तरह सैकड़ों भारतीय पोस्टों पर कब्जा कर लिया। जब भारतीय सेना 1999 में गर्मी का मौसम आने पर दोबारा अपनी पोस्टों पर गई तो उन्हें तब पाकिस्तान के घुसपैठ के बारे में पता चला। पाकिस्तान ने 150 किलोमीटर तक डुमरी से लेकर साउथ ग्लेशियर तक कब्जा कर रखा था। इसके बाद भारतीय सेना के 5 जवान जब वहां गए तो पाकिस्तानी सैनिकों ने उनकी हत्या कर दी। जिसके बाद अपनी पोस्ट को खाली करवाने के लिए भारतीय सेना ने एक अभियान शुरू किया जिसको ‘ऑपरेशन विजय’ का नाम दिया गया।
527 सैनिक हुए थे शहीद
पाकिस्तानी घुसपैठियों ने पहाड़ो के ऊपर से बैठकर भारतीय सेना पर गोलीबारी की। वहीं भारतीय सेना ने निचले इलाकों से ही पाकिस्तानी सेना को मुंहतोड़ जवाब दिया। इस अभियान को भारतीय सेना और वायुसेना ने संयुक्त रूप से चलाया। इसमें 2 लाख जवानों ने हिस्सा लिया। जिसमें 527 जवान शहीद हो गए और 1300 से ज्यादा जवान घायल हो गए। इस युद्ध में पाकिस्तानी सेना को भारत से कही ज्यादा नुकसान हुआ। आखिरकार अंत में जब घुसपैठिए भारतीय सेना का मुकाबला नहीं कर पाई तो वो लोग भागने को मजबूर हो गए। इतना ही नहीं पाकिस्तान ने तो अपने सैनिकों की लाशें तक लेने से इनकार कर दिया।