जिस समय भारत का विभाजन हुआ और पाकिस्तान अस्तित्व में आया उस वक्त पाकिस्तान में एक से एक और काफी ज्यादा हिंदू मंदिर थे, लेकिन उनमें से ज्यादातर की हालत अब बिल्कुल खराब हो गई है। पूजा करने के लायक अगर मंदिरों की गिनती की जाए तो इक्का दुक्का ही मिलेंगे। क्या आप जानते हैं कि आजादी के बाद से यानी की पाकिस्तान बनने के बाद से कितने हिंदू मंदिर वहां बनाए गए हैं अब तक?
पाकिस्तान को बने हुए 75 साल बीत गए हैं और बंटवारे के कुछ साल बाद तक ऐसा दौर था पाकिस्तान में धर्म के नाम पर नफरत अपने सबसे ऊपर के लेवल पर था। ये सोचा ही नहीं जा सकता था वहां कि कोई मंदिर भी बनाया जा सकता है। 6 दिसंबर 1992 को जब भारत में अयोध्या स्थित बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया, तब पाकिस्तान में भी करीब 1000 मंदिरों को निशाने पर लिया गया। इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्णाकांशसनेस मतलब इस्कॉन ने इसके लिए साल 2000 के बाद पाकिस्तान सरकार से बात की और कोशिश शुरू की कि मंदिर बन जाए, लेकिन ये आसान काम तो था नहीं।
इस्कॉन के न्यूयॉर्क और ब्रिटेन के जुड़ाव से काफी फायदा हुआ और इस तरह से पाकिस्तान में इस्कॉन ने दो हिंदू कृष्ण मंदिर बना डाले। मंदिरों के बनने के दौरान भी इसके अगेंट्स कई आवाजें उठाई गई। हालांकि मंदिर के लिए जमीन पाकिस्तान सरकार ने ही अलॉट की। वैसे तो मंदिर बनाने में वक्त लग गया, लेकिन आज वही मंदिर पाकिस्तान के जाने माने मंदिरों में से एक है।
अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करने वाले पाकिस्तान जैसे देश में मंदिर का बनना तो हैरानी की बात है ही। खैर आगे बढ़ते हैं और इन दोनों मंदिरों के बार में जानते हैं।
तो इस्कॉन का पाकिस्तान में पहला मंदिर बना साल 2007 में क्वेटा शहर में। बलूचिस्तान प्रांत में वैसे पुराने कई मंदिर हैं पर इसकी गतिविधियां ज्यादा हैं और इसके लिए इस्कॉन को जमीन पाकिस्तान सरकार ने ही अलॉट की थी। इसके बाद इस्कॉन ने जब सरकार से कराची में मंदिर खोलने के लिए बात की तो सरकार की तरफ से इसकी भी मंजूरी दे दी गई और इसके लिए सरकार ने जमीन भी दी। दोनों मंदिरों के बनने का जो खर्चा आया उसे वहां रहने वाले हिंदुओं और इस्कॉन ने उठाया। आपको ये जानना चाहिए कि फिलहाल दुनियाभर में इस्कॉन के जो मंदिर है उनकी संख्या 400 से भी ज्यादा हैं। इस्कॉन ने पश्चिमी देशों में कई बड़े मंदिर और स्कूल खड़े किए और बेंगलुरु का जो इस्कॉन टेंपल है वो दुनिया में सबसे बड़ा है जिसको 1997 में हरे कृष्ण हिल पर बनाकर खड़ा किया गया।